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फटी-फटी चिल्लाते क्यों हैं परसौली के बाबा जी।
गीत-गौनई गाते क्यों हैं परसौली के बाबा जी।
मूछें खड़ी-खड़ी हैं
आंखे चढ़ी-चढ़ी,
बातें बड़ी-बड़ी हैं
नखरे घड़ी-घड़ी.
फिर भी दया लुटाते क्यों हैं परसौली के बाबा जी।
हरदम गाल बजाते क्यों हैं परसौली के बाबा जी।
धूत-भूत-अवधूत
सरीखे नाती-पूत,
ऋद्धि-सिद्धि की भी है
जो महिमा कूत-अकूत
राट-पाट के नाते क्यों हैं परसौली के बाबा जी।
हरदम हिट हो जाते क्यों हैं परसौली के बाबा जी।
2 comments:
ये कौन हैं भई-परसौली के बाबा जी..??
हर गली, हर मोहल्ले में हैं परसौली के बाबा जी
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