सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने एक सर्वसम्मत फैसले में सांसदों को मिलने वाली स्थानीय क्षेत्र विकास निधि की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है, जिसके तहत सांसदों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों के विकास के लिए दो करोड़ रुपए सालाना के हिसाब से मिलते हैं । पीठ ने कहा है कि सांसदों को मिलने वाली स्थानीय क्षेत्र विकास निधि योजना वैध है। पीठ में न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन, डीके जैन, पी सदाशिवम और जेएम पांचाल भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि योजना में हमारे हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं है। पीठ ने कहा कि हालांकि योजना के काम में सुधार किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि सिर्फ यह आरोप कि कोष के दुरुपयोग का खतरा है, योजना को खत्म किए जाने का आधार नहीं हो सकता। इसने कहा कि योजना पर नजर रखने के लिए लोकसभा और राज्यसभा दोनों के ही पास स्थाई समितियां हैं और इसके कार्यान्वयन के लिए जवाबदेही के बहुत से स्तर हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि योजना के तहत जल, बिजली, आधारभूत ढांचा, पुस्तकालय और खेल सुविधाएं मुहैया कराए जाने से स्थानीय क्षेत्रों के विकास में मदद मिली है। पीठ ने विरोधियों के इस तर्क को खारिज कर दिया कि योजना से वर्तमान सांसदों को उनके राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ अनुचित लाभ मिलता है।
Thursday, May 6, 2010
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