Thursday, May 6, 2010

बात सिर्फ मणिशंकर के माफी मांगने भर की नहीं!


sansadji.com
ऐसा पहली बार नहीं रहा कि सत्ता दल के किसी सांसद ने सदन से माफी मांगी हो। माफी, हो-हल्ला, सत्ता पक्ष पर दबदबा बनाए रखने, खोखली बहादुरी बघारते हुए सदन का वक्त जाया करना विपक्षी सांसदों की आदत सी हो चली है। सत्ता पक्ष भी दूध का धुला नहीं, उसके मंत्री-सांसद भी विधेयकीय प्रस्तुतियों को छोड़ बाकी समय ऐसे ही फालतू के जवाब सवाल में सदन का वक्त जाया कर रहे हैं। इस बार का बजट सत्र तो इसी तरह की असहनीय स्थितियों का गवाह बन रहा है। संसद पहुंचने जन प्रतिनिधियों को लगता है कि वे जिस तरह सदन में जनता का वक्त और पैसा बर्बाद कर रहे हैं, जिस तरह अपनी आवासीय सुविधाओं पर हर महीने करोड़ों रुपये भोग रहे हैं, उन्हें लगता है कि निर्भीक तरीके से डंके की चोट पर इसी तरह से वे ये सब करते रहेंगे, और जनता उनका कुछ नहीं कर सकती। कमोबेश ये सच्चाई भी लगती है। जनता को आज जिस मानसिक हालत में पहुंचा दिया गया है, तंत्र के बघेरों ने जिस तरह उसे घेर रखा है, वह सचमुच असहाय सी हो चली है। सदन की कार्यवाही के दौरान सांसद टीवी प्रसारण को टारगेट कर जोर-जोर से चीखते हैं, संसद परिसर में घूम-घूम कर टीवी वालों को इंटरव्यू देते डोलते हैं, यानी उन्हें अपने प्रचार की भूख ज्यादा, जनता के प्रति संसदीय जिम्मेदारी कम परेशान करती है। ये भी सच है कि जनपक्षधर देश का बौद्धिक वर्ग लगातार इन हालातों की अप्रत्यक्ष मीमांसा कर रहा है। वह संसद में मूर्खतापूर्ण हरकतों पर नजर लगाए हुए है। साथ ही वह जनता को इन सब सच्चाईयों से आगाह करने में भी व्यस्त है। हमारी संसदीय व्यवस्था फेल होती है तो भविष्य में ये सदन के करतबबाज ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार होंगे। इस बीच सांसद मणिशंकर अय्यर ने राज्यसभा में अपनी उस टिप्पणी के लिए खेद जताया है जिसके कारण भाजपा के सदस्य कई दिनों से भारी विरोध कर रहे थे और सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही थी। अय्यर ने कहा कि तीन मई को उन्होंने सदन में पहली बार बोलते हुए जो कुछ कहा, उसमें से कुछ टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी उन्होंने अनजाने में तथा किसी दुर्भावना के बिना की थी। उन्होंने कहा कि इन टिप्पणियों के लिए मैं खेद जताता हूं। इससे पूर्व प्रश्नकाल खत्म होते ही, एम वेंकैया नायडू के नेतृत्व में भाजपा के सदस्यों ने यह कह कर विरोध शुरू कर दिया कि मनोनीत सदस्य मणिशंकर अय्यर को सोमवार को गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान की गई अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। नायडू ने कहा है कि पिछले तीन दिनों से हमारे धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। क्या हम (विपक्ष), सत्तापक्ष और आसन असहाय हो गए हैं। एक माननीय सदस्य की असंयत टिप्पणी से जो स्थिति पैदा हुई है, क्या उसका उपचार नहीं है।

1 comment:

SANJEEV RANA said...

मुझे तो इनकी पोलटिक्स से भी नफ़रत होने लगी हैं