Thursday, April 22, 2010
सांसद गुरुजी की कुर्सी दिल्ली में डांवाडोल
sansadji.com
झारखंड के दुमका लोकसभा क्षेत्र से सांसद एवं मुख्यमंत्री शिबू सोरेन एक बार फिर सियासी संकट में फंसते दिख रहे हैं। प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके सांसद होने का तो कोई मतलब रह नहीं गया था। दिल्ली में उनके सांसद आवास पर भी उनके निर्वाचित होने के बाद से ही ताला लटका हुआ है। अब उनकी सांसदी खतरे में पड़ गई है। शिबू सोरेन लगातार कई सत्रों से संसद की कार्यवाही से अनुपस्थित हैं। लोकसभा सचिवालय सूत्रों पर भरोसा करें तो पता चला है कि उनकी गैरहाजिरी का गणित अब उनकी सांसदी को खतरे में डालने वाला है। अगर पता किया जा रहा है कि वह लगातार 60 दिनों तक तो सदन से गायब नहीं रहे। यही गणित उनकी सांसदी खत्म करने का आधार दे सकता है। शिबू सोरेन का मामला बुधवार को लोकसभा सचिवालय के समक्ष आया तो उसे इस बात की याद आई कि 11 महीने बीत जाने के बाद भी सदस्यों की अनुपस्थिति संबंधी समिति का गठन ही नहीं किया जा सका है। कोई भी सदस्य अगर लगातार 60 दिनों तक कार्यवाही में भाग नहीं लेता तो इसी उच्चस्तरीय संसदीय समिति द्वारा ही कार्रवाई की सिफारिश की जाती है। सोरेन ने बमुश्किल एक या दो दिनों के लिए ही संसदीय कार्यवाही के समय हाजिरी लगाई है। नई लोकसभा गठन के तुरंत बाद आहूत सात दिवसीय विशेष सत्र को जोड़ने पर अभी तक कुल 4 संसदीय सत्र हुए हैं। बजट सत्र के पहले चरण की कार्यवाही के दिनों को जोड़कर शिबू सोरेन की उपस्थिति देखी जा रही है। लोकसभा सचिवालय की वेबसाइट पर उपस्थिति पंजिका में अपेक्षित विंदु पर शिबू सोरेन का नाम गायब है। ऐसा क्यों है इसका जवाब देने से लोकसभा सचिवालय के अधिकारी परहेज करते रहे। दूसरी ओर सोरेन के लिए विधानसभा का सदस्य बनने की छह महीने की सीमा भी खत्म होने के नजदीक आती जा रही है। अभी तक वे यही फैसला नहीं कर पाए हैं कि वे जामा से लड़ें कि जामताड़ा से। उनके साथ पहले भी ऐसा हो चुका है। इमरजेंसी के समय लोकसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी लगातार 59 दिनों तक गिरफ्तारी की डर से संसदीय कार्यवाही से अनुपस्थित रहे, लेकिन ठीक 60 दिन वे भेष बदलकर संसद पहुंच गए थे।
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