Wednesday, April 21, 2010
मानसून पूर्वानुमान 23 अप्रैल को
sansadji.com
पृथ्वी विज्ञान मंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने आज कहा कि मौसम विज्ञान विभाग इस बार के दक्षिण.पश्चिमी मानसून का बहुप्रतिक्षित अनुमान आगामी शुक्रवार को पेश करेगा। लोकसभा में चव्हाण सांसदों के सवालों का जवाब दे रहे थे। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या वह यह अपेक्षा करते हैं, इस मौसम में बारिश अच्छी होगी तो उन्होंने कहा कि हम मानूसन अनुमान शुक्रवार शाम जारी करेंगे। कुछ अधिकारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर जानकारी देते हुए कहा कि उन्हें पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष अच्छे मानसून की उम्मीद है। देश में हालिया वर्षों में बदतर सूखा पड़ा है। पिछले वर्ष भी मानसून अच्छा नहीं रहा। भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये सामान्य मानसून जरूरी है क्योंकि 23.5 करोड़ से अधिक लोग कृषि पर निर्भर हैं। मौसम विज्ञानियों को इस वर्ष के अनुमान को अंतिम रूप देने से पहले मौसम के रूझान के बारे में कुछ और जानकारी मिलने का इंतजार है। कुछ निजी मानसून अनुमानकर्ताओं ने कहा है कि इस वर्ष मानसून शुरुआत में कुछ अनियमित रहेगा लेकिन अगस्त और सितंबर में अच्छी बारिश होने के साथ उसमें सुधार आ जायेगा। चव्हाण ने कहा कि मैंने निजी अनुमानकर्ताओं की रिपोर्टें देखी हैं। लोगों ने अपना काम कर दिया है लेकिन हम हमारा अनुमान 23 अप्रैल को जारी करेंगे। मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री डी. पुरंदेश्वरी ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि आईआईटी और आईआईएम में बेहतर वेतनमान, अच्छी सुविधाओं आदि के बावजूद संकाय सदस्यों के पद बड़ी संख्या में खाली पड़े हैं। आईआईटी खड़गपुर में 299 पद खाली हैं, वहीं आईआईटी बंबई में 222, आईआईटी रुड़की में 194, आईआईटी मद्रास में 138, आईआईटी दिल्ली में 78, आईआईटी कानपुर में 69 और आईआईटी गुवाहाटी में 65 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। वर्ष 2008.09 में सात आईआईटी में रिक्त पदों की संख्या 877 थी, जो बढ़कर 2009.10 में 1065 हो गयी है। सरकार ने पिछले दो साल में आठ और आईआईटी संस्थानों की शुरूआत की और इन संस्थानों में खाली पदों की संख्या 280 है। इसी तरह देश के सात आईआईएम में 95 पद खाली पड़े हैं। इनमें सर्वाधिक रिक्तियां आईआईएम बेंगलूर में हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटी को चिकित्सा के क्षेत्र में परंपरागत पाठ्यक्रम शुरू करने की इजाजत नहीं देने संबंधी स्वास्थ्य मंत्रालय के सुझाव को खारिज करते हुए इस क्षेत्र में पाठ्यक्रम के लिए कानून में संशोधन करने की बात कही है। आईआईटी कानून में ‘चिकित्सा’ को जोड़ने के लिए इसमें संशोधन किया जाएगा। इससे आईआईटी को मेडिसिन और इंजीनियरिंग के पाठ्यक्रमों को साथ शुरू करने में मदद मिलेगी। आईआईटी खडगपुर ने जहां एमबीबीएस, एमडी, एमएस और पीएचडी जैसे चिकित्सा शिक्षा के कार्यक्रमों को शुरू करने का प्रस्ताव दिया है, वहीं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का विचार है कि आईआईटी द्वारा चिकित्सा शिक्षा के लिए मेडिकल कॉलेज शुरू करने की सलाह नहीं दी जा सकती।
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