Monday, April 19, 2010
सावधान! संसद है!! बहस चल रही है!!!
sansadji.com
बहस गर्म है। सवाल है, आईपीएल बंद कर देना चाहिए या नहीं? जदयू सांसद शिवानंद तिवारी कहते हैं, बंद कर देना चाहिए। माकपा सांसदों का कहना है, ट्वेंटी-ट्वेंटी कोई क्रिकेट ही नहीं। सांसद लालू भी आईपीएल से खफा हैं। भाजपा सांसद शाहनवाज हुसैन कहते हैं, हमारा ऐतराज खेल के भ्रष्टाचार पर है, खेल पर नहीं।
हिंदुस्तान टाइम्स के खेल सलाहकार प्रदीप मैगजीन कहते हैं कि "ब्रैंड आईपीएल को कलंकित करने वाले लोग वे ही हैं जो पहले इसे विश्व क्रिकेट का सबसे बड़ा आयोजन बता रहे थे। अब आईपीएल में भ्रष्टाचार और फ्रेंचाइज़ी के मालिकों को लेकर तरह-तरह की कहानियाँ आ रही हैं। ऐसा नहीं है कि क्रिकेट बिरादरी इन कहानियों से अनजान थी, लेकिन ग्लैमर और पैसे की चकाचौंध का मिश्रण इतना मोहक था कि मीडिया ने इसे अनदेखा करने में ही भलाई समझी। हम नौटंकी और सोप ओपेरा के ज़माने में रह रहे हैं और यहाँ कोई बात तब तक सच नहीं है जब तक कि टेलीविज़न उस पर अपनी मुहर नहीं लगा देते। जैसे ही ललित मोदी ने शशि थरूर पर हमला बोला, मीडिया ने भी अपनी भाषा तुरंत बदल दी। आईपीएल मुख्यालय पर आयकर विभाग के छापे, और तमाम आरोपों के बावजूद अपनी अकड़ बनाए रखने वाले आईपीएल के 'सिकंदर' ललित मोदी के अलावा बेहद प्रभावशाली और अपने बयानों के लिए अक्सर चर्चाओं में रहने वाले केंद्रीय मंत्री शशि थरूर लगातार मीडिया की सुर्खियों में हैं। आईपीएल का क्रिकेट मैच अब मैदान से निकलकर ख़बरों की दुनिया में पहुँच गया है। करोड़ों-अरबों का ये खेल टेलीविज़न चैनलों को अब भी टीआरपी दे रहा है। इस खेल में पारदर्शिता सबसे बड़ा मुद्दा है. अभी तक इसकी अनदेखी होती रही है और पैसे बनाने के इस खेल में क्रिकेटर मोहरा बनाए जाते रहे हैं। खिलाड़ियों को मज़बूर किया जा रहा है कि वे लगातार दो महीने तक किसी निजी टीम के लिए खेलें और लगभग हर रात किसी न किसी समारोह में शिरकत करें। इससे भी अधिक चिंता की बात ये है कि आईपीएल की इन पार्टियों में मॉडल और कई बड़ी हस्तियों के अलावा वे लोग भी होते हैं जो 40 हज़ार रुपये का टिकट ख़रीदने का माद्दा रखते हों। आईपीएल और निजी स्वामित्व वाली टीमों के इस युग में जहाँ क्रिकेट का मुख्य मक़सद पैसा कमाना और अपने प्रभाव में इज़ाफा करना है, क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड को ऐसे कदम नहीं उठाने चाहिए जिससे क्रिकेटरों को लालच और ऐसी दूसरी बुराइयों से बचाया जाए?"
रॉन्देवू के प्रवक्ता गायकवाड़ केन्द्र सरकार से आईपीएल की सभी टीमों की जांच की मांग कर ही चुक हैं। उन्होंने अपने खिलाफ साजिश रचने वालों में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी नाम लिया है। कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और ललित मोदी के हित एक ही हैं और इसके पीछे राजनीतिक साजिश काम कर रही है। जदयू अध्यक्ष एवं सांसद शरद यादव कहते हैं कि आईपीएल पर पाबंदी लगनी चाहिए। लेफ्ट और भाजपा ने भी आईपीएल टीमों के मालिकों के खातों की जांच की मांग की है। खेल मंत्री एमएस गिल भी कहते हैं कि आईपीएल को लेकर जो कुछ भी हो रहा है वो क्रिकेट नहीं है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी इन बातों से पहले पल्ला झाड़ झुके हैं, लेकिन अब रुख बदल है। कुछ दिन पहले वह कह रहे थे कि वित्त मंत्रालय का इससे कुछ लेना देना नहीं है। कुछ रोज पहले थरूर भी कह रहे थे, मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। बेशक देना पड़ा। भाजपा के एक सांसद व प्रवक्ता शाहनवाज कहते हैं, खेल बंद नहीं होना चाहिए, दूसरे पार्टी सांसद व उपाध्यक्ष विनय कटियार कहते हैं, खेल युवाओं को बिगाड़ रहा है, इसे बंद कर देना चाहिए। शिवानंद तिवारी कहते हैं कि इस खेल के भ्रष्टाचार से कुछ लोग अरबपति हो रहे हैं, इसलिए इसे बंद कर देना चाहिए। मीडिया वाले उनसे पूछ रहे हैं कि ....तो क्या जो सांसद राजनीति से अरबपति हो गए, तो राजनीति भी बंद कर देनी चाहिए? इस सवाल का सांसद द्वारा जो जवाब दिया गया, बेदम लगा। उसी बीच जब बातचीत राजनीतिक भ्रष्टाचार की चलती है, तृणमूल सांसद कबीर सुमन का नाम जहन में उभरता है।
पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के सांसद और लोकप्रिय गायक कबीर सुमन अपनी ही पार्टी पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने और क़त्ल कराने जैसे गंभीर आरोप लगाते हैं। आरोप किसी और पर नहीं, तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और भारतीय रेल मंत्री ममता बनर्जी पर लगाते हैं। ममता सुमन के आरोपों से आहत हो जाती हैं। कबीर सुमन कहते हैं कि मार्क्सवादियों पर हम जो आरोप लगाते हैं, तृणमूल कांग्रेस भी वही सब करती है। पंचायत स्तर पर मेरी पार्टी में व्यापक भ्रष्टाचार है जिसकी रिपोर्ट मुझे लगातार मिलती रहती है। वहां रिश्वत के बिना कुछ नहीं हो सकता। मार्क्सवादियों ने लंबे समय तक लोगों को मारा है, वही सब मेरी पार्टी तृणमूल कांग्रेस कर रही है। वह कहते हैं कि जिन बुद्धिजीवियों ने सिंगूर और नंदीग्राम में पार्टी का साथ दिया था वो अब पार्टी से मुहं मोड़ सकते है क्योकि पार्टी जनता से दूर होती जा रही है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है।
बात खेल की हो रही है, भ्रष्टाचार की भी। आईपीएल को लेकर अब भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड पर आयकर विभाग का शिकंजा कसता जा रहा है। विभाग ने मामले की जांच के सिलसिले में बीसीसीआई से 10 सवाल पूछकर 23 अप्रैल तक उसके जवाब मांगे हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सूत्रों ने सोमवार को बताया कि बीसीसीआई से आईपीएल की टीमों के स्वामित्व, विभिन्न टूर्नांमेंटों से हुई आय और खिलाडि़यों को दी गयी धन राशि आदि के बारे में जानकारी मांगी गयी है। उल्लेखनीय है कि मामले की जांच के सिलसिल में कुछ दिन पूर्व आयकर विभाग के अधिकारियों का दल मुंबई में आईपीएल आयुक्त ललित मोदी के कार्यालय और बीसीसीआई के मुख्यालय पर गए थे। सीबीडीटी सूत्र कहते हैं कि जांच पूरी करने में तीन से छह माह का समय लग सकता है़, हमारे लिए यह एक विस्तृत प्रक्रिया होती है। क्रिकेट बोर्ड को मिली कर छूट नवंबर 2009 में खत्म कर दी गयी और अब इस संगठन को टूर्नामेंटों और उससे संबंधित गतिविधियों से हुई आय पर कर चुकाना पड़ेगा। आईपीएल को बीसीसीआई ने खड़ा किया है और उस पर उसका पूरा नियंत्रण है। आयकर की दृष्टि से आईपीएल कोई अलग निकाय नहीं बल्कि बीसीसीआई का ही अंग है।
इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट उस याचिका को स्वीकार करने से इंकार कर देता है, जिसमें कोच्चि आईपीएल फ्रेंचाइजी विवाद में पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की जाती है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ एक वकील द्वारा दायर याचिका को यह कहकर खारिज कर देती है कि यह स्वीकार योग्य नहीं है। याचिकाकर्ता अजय अग्रवाल का कहना होता है कि विवाद के मद्देनजर रविवार को पद से इस्तीफा दे चुके पूर्व विदेश राज्य मंत्री ने लगभग 70 करोड़ रुपये की इक्विटी दिलाने में अपने पद का दुरूपयोग कर सुनंदा पुष्कर की मदद की है। सुनंदा से ही थरूर के शादी होने की खबरें हैं। वकील पहले सुप्रीम कोर्ट में संपर्क करता है लेकिन बाद में याचिका वापस लेकर इसे हाईकोर्ट में दायर किया जाता है। याचिका में आरोप लगाया जाता है कि पूरी आशंका है, इस कोच्चि आईपीएल विवाद में हवाला और काले धन ने बड़ी भूमिका निभाई है।
और इसके साथ ही सोमवार को संसद के दोनों सदनों में एक बार फिर विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद आईपीएल में बड़े पैमाने पर काला धन लगने का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि इस मामले में विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर का इस्तीफा काफी नहीं है, बल्कि आईपीएल पर प्रतिबंध लगाया जाए और इसके एवं बीसीसीआई के धन के स्रोतों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाए। वामपंथी दलों, भाजपा, जद-यू़, राजद, सपा और बसपा आदि के सदस्य आरोप लगाते हैं कि आईपीएल में स्विस बैंक, दुबई और मॉरिशस के रास्ते बड़े पैमाने पर काले धन को सफेद बनाकर धन शोधन किया गया है। भाकपा के गुरुदासदासगुप्ता कहते हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने थरूर का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, यह अच्छी बात है। लेकिन मुद्दा सिर्फ यह नहीं है, बल्कि असल मुद्दा आईपीएल है। वित्त मंत्री और उनके मंत्रालय की नाक के नीचे आईपीएल के बहाने बड़े पैमाने पर धन शोधन का धंधा चल रहा है और वह खामोश बैठे हुए हैं। राजद सांसद लालू प्रसाद आईपीएल को सट्टेबाजी और अय्याशों का अड्डा बताते हुए कहते हैं कि स्विस बैंकों में जमा काले धन का इस खेल के बहाने शोधन किया जा रहा है। लालू थरूर से इस्तीफा लेने के लिये प्रधानमंत्री का शुक्रिया अदा करते हैं लेकिन आईपीएल के बहाने हो रहे इस पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच करायी जाने पर जोर देते हैं। कहते हैं कि आईपीएल को खेल मंत्रालय अपने अधीन लेकर उसका राष्ट्रीयकरण करे। सपा के मुलायम सिंह कहते हैं कि क्रिकेट विदेशी खेल है। इस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
बसपा के दारा सिंह चौहान कहते हैं कि देश में बीपीएल के लोग त्राहि़-त्राहि कर रहे हैं और कुछ लोगों ने काले धन का आईपीएल धंधा चला रखा है। भाजपा के गोपीनाथ मुंडे कटाक्ष करते है कि पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वादा किया था कि सत्ता में आने के 100 दिन के भीतर स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का काला धन वापस लाया जायेगा। सरकार तो ऐसा नहीं कर पायी लेकिन आईपीएल के जरिये ऐसा जरूर हो गया। उधर, राज्यसभा में जद यू शिवानंद तिवारी आईपीएल का मुद्दा उठाते हुए कहते हैं कि इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए तथा इसके और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पैसों की सीबीआई और आयकर विभाग से जांच की जानी चाहिए। आईपीएल के जरिये काले धन को सफेद बनाया जा रहा है और सटटेबाजी को बढ़ावा दिया जा रहा है। सांसद तिवारी सरकार से जानना चाहते हैं कि आईपीएल संबंधी रिपोर्ट छह माह तक क्यों लंबित रही?
.......तो बहस संसद के भीतर चल रही है, कूद कर बाहर भी आ रही है। बहस जारी है। संभव है, 21 को भाजपा की रैली में भी इस भ्रष्टाचार की टेर सुनाई दे। ताकि देश जान सके कि किस पार्टी के सांसद ईमानदार हैं, किसके नहीं हैं और उन्हें इस्तीफा देना पड़ जाता है। वैसे भी भ्रष्टाचार लोकजीवन में समा चुका है। खबरों का विषय नहीं। मीडिया धुरंधरों का मानना है कि ऐसी खबरें पढ़ी नहीं जातीं। खैर, सावधान संसद है, बहस चल रही है।
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