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(www.sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)
कल-आज-कल। आठ मार्च। विश्व महिला दिवस। राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल। 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान। संसद में सबसे पहले 1996 में पेश। संविधान (108वां संशोधन), 2008।
कानून मंत्री वीरप्पा मोइली विधेयक पेश करेंगे। राज्यसभा की सदस्य संख्या 245,12 रिक्त (छह नामांकित), फिलहाल सदस्य संख्या 233, विधेयक विरोधी 26 से कम, विशेष बहुमत के लिए 155 की जरूरत, पक्ष में 165 से अधिक की उम्मीद। सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत जरूरी।
बड़ा सवालः एक (कांग्रेस समर्थक दल) ......बिल पास हो जाने पर विरोधी दल आगे भी कांग्रेस का समर्थन जारी रखेंगे?
बड़ा सवालः दो (नीतीश राज)....... जदयु सांसद बंटे तो बिहार में राजपाट पर आगे क्या असर होगा? बड़ा सवालः तीन (व्हिप)........क्या राज्यसभा में बिल पर क्रॉस वोटिंग भी हो सकती है? दलित-आदिवासी, पिछड़े वर्गों के सांसद पसोपेश में।
समर्थक दलः......... कांग्रेस, भाजपा, वामदल, बीजद, असम गण परिषद, नेशनल कॉन्फ्रेंस, तेलुगु देशम, राकांपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस,जद-एस। कई निर्दल से भी समर्थन संभव! जद-यू (?) बसपा (?) विरोधी दलः.........राजद, सपा, बसपा, शिवसेना, जद-यू (?) बसपा (?)
मनमोहन सिंहः सरकार बिल पास कराने में कामयाब होगी। सोनिया गांधीः बिल प्रस्तुत होते समय सभी यूपीए सांसद सदन में उपस्थित रहें। नितिन गडकरीः संवैधानिक संशोधन पारित कराने में हर संभव मदद करेंगे। लालू यादवः राजद सांसद राज्यसभा में विधेयक का विरोध करें। शरद यादवः इस विधेयक के विरोध में लड़ाई जारी रहेगी। नीतीश कुमारः पार्टी सांसदों को विधेयक का समर्थन करना चाहिए। मुलायम यादवः ये विधेयक मुसलमानों, दलितों और पिछडों के खिलाफ गहरी साजिश है। विरोध करेंगे। सुखबीर सिंह बादलः विधेयक का समर्थन करेंगे।
(स्वतंत्र आकलन)........महिला आरक्षण बिल पारित हो जाने के बाद देश की मौजूदा और दूरगामी दोनों तरह की राजनीति में आश्चर्यजनक परिवर्तन करेगा। केंद्र और कई राज्यों में सत्ता-समीकरण डांवाडोल होने का भी अंदेशा है!
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