Wednesday, March 10, 2010

न तो शरद की पार्टी टूट रही, न लालू-मुलायम अविश्वास प्रस्ताव ला रहे



बातों-बातों में कई अटकलें लुढ़कीं
(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

हां, राज्यसभा से निलंबित सात सांसदों में से तीन का भविष्य जरूर सिमट सकता है क्योंकि उनका कार्यकाल निकट है। निलंबित एक सांसद ने कोर्ट जाने की चेतावनी भी एक चैनल से प्रसारित कर दी है। जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव और पार्टी के दूसरे बड़े नेता तथा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, दोनों ने ही कह दिया है कि हमारी पार्टी नहीं टूटेगी। शरद यादव कहते हैं कि महिला आरक्षण विधेयक को लेकर पार्टी में फूट की बात ठीक नहीं। वैसे भी ये पार्टी का अंदरूनी मामला है और इसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा पृथक पार्टी बनाने की खबरों पर टिप्पणी करते हुए जद यू अध्यक्ष ने कहा कि सब बेकार की बाते हैं। ऐसा कुछ भी नहीं है। पार्टी की भावी रणनीति के बारे में उन्होंने कहा कि हम विधेयक का विरोध जारी रखेंगे क्योंकि देश की अधिकांश जनता इसके खिलाफ है। उन्होंने हालांकि सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश किये जाने की संभावना से यह कहते हुए इंकार किया कि हम अविश्वास प्रस्ताव लाने का कोई इरादा नहीं कर रहे हैं। बुधवार को दिन भर जो सियासी सुर्खियां लोगों के जहन में उछलकूद मचाती रहीं, उनमें थीं तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस का मनमुटाव, आम बजट पर लगभग अपने सभी समर्थक दलों से कांग्रेस का मनमुटाव, महिला आरक्षण बिल पर खुल्लमखुल्ला देश की चार प्रमुख पार्टियों के सांसदों (राजद, सपा, बसपा, जदयू) का कांग्रेस से महाभारत जैसा विरोध, और अब आगे लोकसभा में धर-पछाड़ने की तैयारी। कुछ और ताजा सूचनाएं पीछे की सुर्खियों को ही पर लगाती हुई। जैसेकि, पता चला कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव आज राष्ट्रपति से मिल कर समर्थन वापसी का पत्र सौंपने वाले हैं, जो निराधार बात कही गई। लालू से जुड़ी दूसरी सूचना कि उनके निश्तेदार-सांसद साधु यादव महिला आरक्षण बिल पर विरोधी लॉबी में होने के बहाने कांग्रेस से निलंबित कर दिए गए। बहाना बिल का है, हकीकत ये पता चली है कि साधु यादव फिर लालू के निकट हो चले हैं। बिहार के निकट भविष्य की राजनीति के लिए यही दोनों के समय का तकाजा है। आरक्षण बिल से ही शुरू हुआ है जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का अंदरूनी घमासान। पता चला कि बिल पर जदयू अध्यक्ष शरद यादव से मतभेद के चलते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पार्टी से अलग होने का मन बना चुके हैं। ये खबर भी अंततः बेसिरपैर की निकली। यानी जदयू दो फाड़ नहीं होने जा रहा है। शरद ने बात सिरे से खारिज कर दी, उधर नीतीश ने भी दोपहर होते-होते इस बात का खंड़न कर दिया। आरक्षण बिल पारित होने के बाद तीसरी बड़ी सनसनी सुनी गई कि मुलायम सिंह, लालू यादव और शरद यादव (अध्यक्षत्रयी) अब केंद्र सरकार को लोकसभा में देख लेने की रणनीति बना रहे हैं। अध्यक्षत्रयी ने इसे भी खारिज कर दिया। लालू ने तो यहां तक कह दिया कि जब हमारे पास ले-देकर कुल चार ही सांसद हैं, फिर इतना हवा-हवाई कैसे सोच सकते हैं। मुस्करा कर इतना जरूर कह गए कि अभी नहीं, फिर कभी! कुछ ऐसा ही मुलायम सिंह का भी कहना रहा। चाहे कुछ भी हो, लोकसभा और राज्यसभा की पूरे दिन सुर्खियां तो आज भी राजद और सपा के ही नाम रहीं। रामगोपाल यादव राजद-सपा सांसदों के साथ सुबह ही राज्यसभा से वॉक आउट कर गए। उधर दोपहर दो बजे बाद लोकसभा की कार्यवाही भी हंगामा न थमने पर कल तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

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