Monday, March 8, 2010
डर गई सरकार, हिल जाएगा जनाधार!
दोटूक टिप्पणी
(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)
लालू, मुलायम, शरद से मिलेंगे प्रधानमंत्री
डर गई सरकार कि खिसक जाएगा राहुल का जुटाया जनाधार
महिला आरक्षण बिल को लेकर संप्रग का संकट गहराया
समर्थक भाजपा और वामदल भी दोराहे पर
सरकार की सबसे बड़ी चिंता ये बताई जाती है कि लंबे समय बाद कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के कारण पिछड़ी और दलित राजनीति में पार्टी ने जो विगत लोकसभा चुनावों में आधार लौटा लिया था, और बिहार-यूपी के आगामी विधानसभा चुनावों में भी जिसमें और इजाफे के सपने देखे जा रहे थे, महिला आरक्षण बिल पर उपजे राजद, जदयू, बसपा, सपा के गतिरोध ने पार्टी को भीतर तक डरा दिया है। भाजपा संप्रग नेतृत्व पर चाहे जो भी आरोप जड़े, डर बेमतलब नहीं है कि बिल विरोधी दलों के सोमवार के हंगामे ने निश्चित ही देश के पिछड़े और दलित मतदाताओं तथा बुद्धिजीवियों के कान खड़े कर दिए हैं, कि क्या सचमुच ये बिल दलित और पिछड़े समुदायों की महिलाओं के राजनीतिक हितों की अनदेखी करने वाला है! बहरहाल, सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा के हंगामों के बीच यह बात विशेष गौरतलब रही कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज देश की महिलाओं को 33 फीसदी राजनीतिक आरक्षण का ऐतिहासिक इनाम नहीं मिल सका। प्रधानमंत्री ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और जनता दल युनाइटेड अध्यक्ष शरद यादव से मुलाकात कर महिला आरक्षण बिल पर उनकी पार्टियों द्वारा पैदा किए कथित गतिरोध पर चर्चा करेंगे। यह निर्णय सोमवार शाम कांग्रेस की कोर कमेटी की बैठक में लिया गया। प्रधानमंत्री ने आज समर्थक दलों की इस दलील को ठुकरा दिया कि विधेयक का विरोध कर रहे सदस्यों को सदन से निकाल कर इसे पारित करा लिया जाए। पहले दिन में चर्चा उड़ गई थी कि पीए सर्वदलीय बैठक बुला रहे हैं।
गौरतलब होगा, इस बैठक में भाजपा और वामदलों को न बुलाए जाने को लेकर एक और मुश्किल के आगाज का प्रबल अंदेशा हो चला है। अंदेशा 'गांठ की गंवाने' जैसा लगता है। राज्यसभा में कानून मंत्री वीरप्पा मोइली के बिल पेश करने के बाद सरकार सोमवार को ही इस पर वोटिंग कराना चाहती थी, लेकिन राजद, सपा और जदयू के भारी विरोध पर सरकार को कदम वापस खींचने पड़े हैं। आज दिन में सदन बार-बार स्थगित होने के बाद भी सामान्य न हुआ तो बिना बिल पास हुए कार्यवाही शाम को कल सुबह तक के लिए समाप्त कर दी गई। महिला आरक्षण विधेयक की मुखालफत कर रहे सांसदों राजद के सुभाष यादव, राजनीति सिंह और सपा के कमाल अख्तर ने सभापति हामिद अंसारी से छीना-झपटी कर बिल की प्रतियां ही फाड़ दीं। इस पर सांसद राजनीति कहते हैं कि हमने कोई गैरकानूनी काम नहीं किया। सस्पेंड हुआ तो भी हमारा विरोध जारी रहेगा।
उधर इस हालात पर भाजपा, कांग्रेस और वामदलों के पी. चिदंबरम, पवन बंसल, वृंदा कारत, सीताराम येचुरी और मैसूर रेड्डी आदि ने श्री अंसारी से माफी मांगी है। उसी बीच सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और राजद अध्यक्ष लालू यादव ने संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी। दोनों नेता बोले कि जब तक सरकार महिला आरक्षण बिल के मौजूदा स्वरूप को पास कराने पर अड़ी रहेगी, हम सरकार को समर्थन नहीं देंगे। संख्याबल के नाम पर राजनीतिक डकैती कत्तई मंजूर नहीं की जाएगी। दोनों दलों के 35 सांसद हैं। इस तरह देखा जाए तो पहले से ऐलान कर रहे लालू और मुलायम की बात सच निकली कि युद्ध होगा, हुड़दंग होगा। सदन में आज के नजारे तो वैसे ही थे।
उधर, विधेयक समर्थक भाजपा और वामदलों में भी वोटिंग को लेकर मतभेद पैदा हो गया है। इस पर दोनों दलों के प्रमुख नेता प्रधानमंत्री से मिले भी। भाजपा ने बहस के बिना वोटिंग न कराने की मांग रख दी तो माकपा ने बिना बहस के वोटिंग की मांग कर डाली। कानून मंत्री वीरप्पा मोइली तथा सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी के अनुसार अब सरकार मंगलवार को एक बार और इस पर चर्चा कराने तथा इसे पारित कराने का प्रयास कर सकती है।विधेयक राज्यसभा की कल की कार्यसूची में शामिल है। महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस के रवैये से भाजपा और माकपा भी नाक-भौंह मनोमालिन्य में हैं। विपक्ष की नेता सांसद सुषमा स्वराज कहती हैं कि सरकार के मंगलवार को चर्चा कराने के वादे को देखते हुए पार्टी ने अपने सांसदों फिर व्हिप जारी किया है। सरकार चाहती तो आज ही बिल पास हो सकता था। दरअसल, कांग्रेस की नीयत साफ नहीं है। दोनों समर्थक विपक्षी दल (भाजपा और वाम-दल) चाहते थे कि आज ही बिल पर चर्चा के बाद वोटिंग करा ली जाए। इस समय राज्यसभा में कुल सीटें 245 हैं, जिनमें 12 रिक्त हैं। यानी मौजूदा समय में कुल सदस्य 233 हैं। जिनमें विरोधी सदस्य 26 हैं और बिल के पक्ष में 159 हैं। बिल पारित होने को 155 मतों की आवश्यकता है। समर्थक सदस्यों में कांग्रेस के 71, भाजपा के 45, माकपा के 15, अन्नाद्रमुक के 7, राकांपा के 5, द्रमुक और बीजद के 4-4, अकाली के 3, तेदेपा- तृणमूल के 2-2 और फॉरवर्ड ब्लॉक के एक सांसद हैं।
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