Tuesday, March 9, 2010
जय हो! जय हो!! जय हो!!!
भारतीय सियासत के इतिहास में आधी आबादी का इकबाल बुलंद।
पक्ष में 186, विरोध में सिर्फ एक वोट, दो तिहाई बहुमत मिला।
अब 543 सदस्यों की लोकसभा में 181 महिला सांसद हो जाएंगी।
अट्ठाईस विधानसभाओं के 4,109 में 1370 महिला विधायक होंगी।
सरकार समर्थक तृणमूल कांग्रेस ने किया भी सदन का बहिष्कार।
वोटिंग के समय बहुजन समाज पार्टी के सांसदों का वॉकआउट।
7 सांसदों को मार्शल कंधे पर लाद कर सदन से बाहर ले गए।
कमाल,आमिर,वीरपाल,नंदकिशोर,एजाज,सुभाष,साबिर निलंबित।
(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)
विरोध, हंगामे, नारेबाजी के बीच राज्यसभा में मंगलवार को लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था देने वाला संविधान (108वां संशोधन) विधेयक पिछले 14 सालों की लंबी जद्दोजहद के बाद दो तिहाई बहुमत यानी 186 मतों से पारित हो गया। मात्र एक सांसद ने इसके विरोध में मतदान किया। विधेयक पारित होने के लिए 233 में से 155 सांसदों के समर्थन की दरकार थी। भाजपा, उसके सहयोगी दलों, वामदलों, यूपीए के एकजुट हो जाने से दो तिहाई का गणित कामयाब हो गया। अब 543 सीटों वाली लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी। इसी तरह 28 विधानसभाओं के कुल 4,109 विधायकों में से महिला विधायकों की संख्या 1370 हो जाएगी। विधेयक पारित होने से पूर्व सदन में दिन भर हंगामा होता रहा। सभापति हामिद अंसारी ने दोपहर 3 बजे विधेयक पर बहस शुरू करवाई, लेकिन सपा, राजद व लोजपा सांसदों के हंगामे के कारण उसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका। फिर इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके तत्काल बाद अंसारी ने मत विभाजन के आदेश दिए। इसी दौरान सरकार समर्थक तृणमूल कांग्रेस भी सदन का बहिष्कार कर गई तो बसपा ने वोटिंग से किनारा कर लिया। तृणमूल कांग्रेस ने यह कहते हुए हिस्सा नहीं लिया कि सरकार ने उसे धोखे में रखा। पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने दावा किया कि उनकी पार्टी को विधेयक पारित कराने के तरीके की जानकारी नहीं दी गई थी। प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया था कि पहले इस मामले पर एक सर्वदलीय बैठक होगी। इस दौरान सदन में जब मत विभाजन की मांग की गई तो सभापति ने स्वीकार कर लिया। भाजपा की मांग पर शाम को बिल पर चर्चा के बाद वोटिंग हुई। इसी के साथ सदन में दो दिन से जारी सियासी कश्मकश का भी पटाक्षेप हुआ। अभी इस विधेयक को लोकसभा में दो तिहाई बहुमत से पास होना है। उसके बाद इस पर सिर्फ राष्ट्रपति की मुहर लगनी शेष रह जाएगी। इस दौरान विधेयक विरोधी सात सांसदों को सदन से निलंबित करने के साथ ही मार्शलों के जरिए कंधे पर लादकर सदन से बाहर करवाना भी कम दिलचस्प नहीं रहा। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज के दिन को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यक, पिछड़ा या अनुसूचित जाति, जनजाति विरोधी नहीं है। इस दौरान राजद, सपा और लोजपा के सांसदों ने विधयेक पर चर्चा में भाग नहीं लिया। मतदान से ठीक पहले बसपा सांसद सतीशचंद्र मिश्र अपनी पार्टी के अन्य सांसदों के साथ विधेयक के प्रावधानों का विरोध करते हुए सदन से वाकआउट कर गए। भारी विरोध के चलते दिन में तीन बार सदन स्थगित हुआ। कमाल अख्तर, आमिर आलम खान, वीरपाल सिंह, नंदकिशोर यादव, डा. एजाज अली, सुभाष यादव और साबिर अली को मौजूदा सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव भी ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। सभापति के साथ बदसलूकी करने वाले सात सांसदों के बाकी के बजट-सत्र के लिए निलंबन का प्रस्ताव संसदीय कार्य राज्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान ने आगे बढ़ाया। सदन में चर्चा के दौरान सदन में प्रतिपक्ष के नेता अरूण जेटली ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि भारत के पड़ोसी देशों में जब महिलाओं के लिए आरक्षण है तो भारत में यह क्यों नहीं हो सकता। महिला आरक्षण में अन्य उल्लेखनीय वर्गों के लिए अलग से आरक्षण की मांग करना नहीं है। बिल के मौजूदा स्वरूप का विरोध कर रही पार्टियां अपने स्तर पर वर्ग विशेष की महिलाओं को आरक्षण देने के लिए स्वतंत्र हैं। कांग्रेस की सांसद मीनाक्षी नटराजन ने कहा कि दिवंगत प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने जो सपना देखा था, वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में आज पूरा हो गया।
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