Monday, March 8, 2010

एक बात उनकी ''बेहतर चिट्ठाकारी'' पर!

ब्लॉगर्स समुदाय असंख्य हो चला है। अंतहीन होता जा रहा है, अपनी ढेर सारी खूबियों और खराबियों के साथ। कहते हैं कि सार-सार को गहि रहै। अंततः सार चिरस्थायी रह जाता है। कई चिट्ठाकार ऐसी सहज, सुपाठ्य और चमत्कृत कर देने वाली सर्जना कर रहे हैं, जिन्हें आद्योपांत पढ़ने की ललक बनी रहती है। ब्लॉगवानी अथवा चिट्ठाजगत अथवा अन्य मंच पर जाने से पहले जिज्ञासु मन सवालों से बोझिल होता जाता है कि पता नहीं फलां साथी ने आज कुछ लिखा होगा कि नहीं! लिखा मिल जाए, मुराद पूरी हो लेती है आद्योपांत पाठ की। मन थिर हो जाता है। साहित्य, ज्ञान-विज्ञान, खेती-बाड़ी, चिकित्सा जगत से जुड़ी कितना-सारा तो रोज रचा जा रहा है। कितना तो संपन्न होता जा रहा है ब्लॉग जगत। लेकिन किंचित साथियों के ऐसे उलाहने भी गौरतलब हो जाते हैं कि उनकी अच्छी पोस्ट भी ओझल कर दी जाती है। जहां तक अपनी बात है, ऐसा आज तक कभी लगा नहीं, पता नहीं क्यों? इतना जरूर है कि कभी-कभी सुपठनीय तलाशते समय मेले की भीड़ जैसा लगता है। ठेलठाल कर, धक्कामुक्की खाते हुए गंतव्य तक पहुंच लेने की बेचैन-त्वरा। लेकिन यह अनायास अन्य रचनाओं के प्रति कोई उपेक्षा-भाव अथवा उलाहने जैसा नहीं लगता।

........और एक अपनी बात।
राजनीतिक विषय-वासना में अक्सर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से प्रायः हर दिन एक-दो पोस्ट उधार ले लिया करता हूं। अपने संसदनामा पर। परसो एक की पोस्ट ने तो आज के संसद के घटनाक्रम को सुनकर अचंभित ही कर डाला। सांसदजी डॉट कॉम परसो एक रिपोर्ट प्रसारित हुई थी............आइए पहले इस पर एक नजर दौड़ा लीजिए, फिर बताता हूं कि अचंभा किस बात का हुआ!.......

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महिला आरक्षण विधेयकः तीन बड़े सवाल!!!
कल-आज-कल। आठ मार्च। विश्व महिला दिवस। राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल। 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान। संसद में सबसे पहले 1996 में पेश। संविधान (108वां संशोधन), 2008। कानून मंत्री वीरप्पा मोइली विधेयक पेश करेंगे। राज्यसभा की सदस्य संख्या 245,12 रिक्त (छह नामांकित), फिलहाल सदस्य संख्या 233, विधेयक विरोधी 26 से कम, विशेष बहुमत के लिए 155 की जरूरत, पक्ष में 165 से अधिक की उम्मीद। सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का दो-तिहाई बहुमत जरूरी।

बड़ा सवालः एक (कांग्रेस समर्थक दल) ...... क्या बिल पास हो जाने पर विरोधी दल आगे भी कांग्रेस का समर्थन जारी रखेंगे?
बड़ा सवालः दो (नीतीश राज)....... जदयु सांसद बंटे तो बिहार में राजपाट पर आगे क्या असर होगा?
बड़ा सवालः तीन (व्हिप)........क्या राज्यसभा में बिल पर क्रॉस वोटिंग भी हो सकती है? दलित-आदिवासी, पिछड़े वर्गों के सांसद पसोपेश में।

समर्थक दलः......... कांग्रेस, भाजपा, वामदल, बीजद, असम गण परिषद, नेशनल कॉन्फ्रेंस, तेलुगु देशम, राकांपा, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, जद-एस। कई निर्दल से भी समर्थन संभव! जद-यू (?) बसपा (?) विरोधी दलः.........राजद, सपा, बसपा, शिवसेना, जद-यू (?) बसपा (?) मनमोहन सिंहः सरकार बिल पास कराने में कामयाब होगी। सोनिया गांधीः बिल प्रस्तुत होते समय सभी यूपीए सांसद सदन में उपस्थित रहें। नितिन गडकरीः संवैधानिक संशोधन पारित कराने में हर संभव मदद करेंगे। लालू यादवः राजद सांसद राज्यसभा में विधेयक का विरोध करें। शरद यादवः इस विधेयक के विरोध में लड़ाई जारी रहेगी। नीतीश कुमारः पार्टी सांसदों को विधेयक का समर्थन करना चाहिए। मुलायम यादवः ये विधेयक मुसलमानों, दलितों और पिछडों के खिलाफ गहरी साजिश है। विरोध करेंगे। सुखबीर सिंह बादलः विधेयक का समर्थन करेंगे।

(स्वतंत्र आकलन)........महिला आरक्षण बिल पारित हो जाने के बाद देश की मौजूदा और दूरगामी दोनों तरह की राजनीति में आश्चर्यजनक परिवर्तन करेगा। केंद्र और कई राज्यों में सत्ता-समीकरण डांवाडोल होने का भी अंदेशा है! ''


तो आज अचंभे की बात यही रही कि उपरोक्त ''बड़ा सवालः एक'' आज सटीक बैठती भविष्यवाणी जैसा उस समय लगा, जब सपा और राजद ने कांग्रेस से समर्थन लौटाने की घोषणा कर दी। यह टिप्पणी आज की भारी-भयंकर मीडिया की मौजूदगी में छोटे-मुंह, बड़ी-बात लग सकती है, लेकिन ब्लॉग जगत के लिए यह फक्र की बात हो सकती है कि यहां भी साधनारत लोग किसी बड़े संपादक, टिप्पणीकार से उन्नीस नहीं। इसीलिए मैंने ऊपर लिखा है कि इसी तरह की तमाम बेशकीमती रचनाएं चिट्ठाकार रच रहे हैं, हिंदी जगत को अत्यंत सार्थक और सशक्त बना रहे हैं, जिन्हें पहचानने, सराहने, सार्वजनिक करने की जरूरत है बिना किसी मनोमालिन्य के। यहां फिलहाल इतना ही। कभी फिर इसी तरह ब्लॉगिंग के मोहल्ले पर कुछ और कही-अनकही।
सविनम्र मेरी उम्मीद होगी कि शायद चिट्ठाकार साथी मेरी टिप्पणी से नाखुश न हों।
साभार!

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