Wednesday, March 10, 2010
मुलायम को बता दूंगा कि मैं मेला हूं या झमेलाः अमर सिंह
मार्च में रोजाना दौरा कर मुलायम सिंह की पोल खोलता रहूंगा
मुलायम लोहिया समर्थक हैं तो प्रमुख पदों से परिजनों कोहटाएं
(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार)
इधर राज्यसभा में आरक्षण बिल पर हंगामा मचा हुआ था और राज्यसभा सदस्य अमर सिंह रामपुर में समाजवादी पार्टी पर बरस रहे थे। आरक्षण बिल पर मची महाभारत के ज्यादातर दिनों में सांसद अमर सिंह दिल्ली से बाहर ही रहे हैं। इससे एक बात साफ हो जाती है कि वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर कितने बेचैन हैं और उनका मुख्य जोर अब ज्यादा से ज्यादा जनता से मुखातिब होने पर है। रामपुर में कृष्णा विहार में आयोजित जनसभा में क्षेत्रीय सांसद जयाप्रदा को भी पहुंचना था, लेकिन वह महिला होने के नाते महिला आरक्षण बिल पर सदन में मौजूदगी उन्हें ज्यादा अपरिहार्य लगी। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे कुछ राजनीतिक कारण भी गिनाए जाते हैं। बताया जाता है कि महिला आरक्षण बिल पर कांग्रेस आला कमान की ओर से सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह को पीएम से मुलाकात के लिए बुलाया जाना भी सपा के पूर्व महासचिव को अंदरखाने नागवार गुजरा है। उनके ताजा सियासी रुख का तकाजा भी यह लगता है कि आगे वह हर कदम फूंक-फूंक कर रखते चलें। सदन में उपस्थित न रहने के पीछे शायद उनका एक मकसद कांग्रेस सुप्रीमो को यह संदेश देना भी रहा हो कि दोस्ती मुद्दे पर होगी और दोनों (मुलायम-अमर) से एक साथ नहीं। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि उत्तर प्रदेश की आगामी राजनीति के लिए उसे अभी मुलायम से निकटता में ज्यादा फायदा दिखता है। इसीलिए वह अमर सिंह को ज्यादा भाव नहीं दे रही है। इस बीच पता चला है कि सांसद जयाप्रदा राजनीतिक अनिश्चितता के इस मोकाम पर परेशान भी हैं और निश्चिंत भी। साथ में किसी बड़ी पार्टी का पोर्टफोलियो न होना उनकी परेशानी का सबब बताया जाता है। फिलहाल, सपा से जुदा हुए दोनों सांसद अपने भविष्य का वह राजनीतिक मोरचा नए सिरे से मजबूत करने में जुटे हुए हैं, जिसका एक अंजाम उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों तक सामने आना है। पिछले एक पखवाड़े के भीतर दूसरी बार यहां पहुंचे ठाकुर अमर सिंह ने रामपुर में कल की भी अपनी जनसभा में सपा और मुलायम सिंह को ही मुख्य निशाने पर रखा। उनके प्रहार की दिशा वही रही। वह कहते हैं कि महिला आरक्षण बिल का विरोध कर मुलायम मुलायम यादव बेवजह महिलाओं को अपना दुश्मन बना रहे हैं। महिलाएं शीघ्र ही सपा सुप्रीमो के विरोध में चकला-बेलन लेकर खड़ी हो जाएंगी। राममनोहर लोहिया ने कभी पद का लालच नहीं किया लेकिन लोहिया को आदर्श मानने वाले मुलायम सिंह पार्टी में तमाम जिम्मेदार पदों पर अपने परिवार के लोगों को बैठाए हैं। खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो बेटा प्रदेश अध्यक्ष, एक भाई नेता विरोधी दल है तो दूसरा राष्ट्रीय महासचिव। यदि मुलायम सिंह लोहियावादी हैं तो पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ दें। किसी दूसरी जाति के व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष बनायाएं। मुलायम सिंह ने प्रदेश के यादवों का नहीं, सिर्फ अपने इलाके के यादवों का भला किया, पुलिस में भर्ती हो या पार्टी में जिम्मेदारी, सब सैफई और आसपास के यादवों के हिस्से में है। मुलायम को सैफई ही यूपी लगती है। महिला आरक्षण बिल पर मुलायम सिंह और लालू यादव अलग-थलग पड़ गए हैं। अधिकतर पार्टी और नेता इसके पक्ष में हैं। ये लोग बिल को रोक भी नहीं सकते, क्योंकि उनके साथ कोई है नहीं। मुलायम सिंह अंग्रेजी का विरोध करते हैं, जबकि उनके घर के बच्चे प्रतीक और तेजू आज भी आस्ट्रेलिया में पढ़ रहे हैं। उन्होंने कुछ पुराने आरोप दुहराते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को मुलायम यादव खुद पार्टी में लाए थे, जबकि ठीकरा मेरे सिर फोड़ा जा रहा है। मुलायम कहते हैं कि पीछे मुड़कर नहीं देखते हैं, यह तो मेला है, लेकिन अमर सिंह मेला है या झमेला है यह बताकर रहूंगा। दो माह से मेरा स्वास्थ्य ठीक नहीं है, लेकिन मैं हिम्मत हारने वाला नहीं, इलाज कराता रहूंगा और मुलायम की पोल खोलता रहूंगा। सपा के प्रवक्ता मेरी बराबरी मधु कोड़ा से कर रहे हैं, जबकि जिन विभागों में घोटाले की बात कर रहे, वह मुलायम सिंह के ही पास थे। पार्टी प्रवक्ता ही मुलायम के लिए जेल भेजने का इंतजाम कर रहे हैं। यदि इस तरह का बयान फिर दिया तो सीधे सुप्रीम कोर्ट में ले जाऊंगा। मार्च में हर रोज दौरा करूंगा। जनसभा के दौरान अमर सिंह ने कहा कि कार्यक्रम के बाद फौरन उड़कर संसद में पहुंचना है। यदि नहीं पहुंचा तो मुलायम सिंह के भाई मेरी राज्यसभा की सदस्यता के बारे में बातें करने लगेंगे।
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