Saturday, March 13, 2010

एड्स विधेयक संसद में पेश करने की मांग उठी



मांग उठाने वाले संगठनों ने चिंता जताई
सालों से विधेयक के चक्कर काट रहा

(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

एचआईवी एड्स पर प्रस्तावित विधेयक संसद में पेश किएजाने पर हो रही देरी पर चिंता जताते हुए नगालैंड में इस क्षेत्रमें काम कर रहे गैर सरकारी संगठनों ने विधेयक को संसद केमौजूदा सत्र में प्रस्तुत करने की मांग की है। सॉलीसिटर जनरल ने इस विधेयक को तैयार किया है। गैर सरकारीसंगठन ने मांग की है कि इसे बिना किसी बदलाव के संसद में जल्द पेश किया जाना चाहिए। केंद्रीय विधि मंत्रीवीरप्पा मोइली को लिखे संयुक्त पत्र में गैर सरकारी संगठन ने उल्लेख किया है कि विधि मंत्रालय को वर्ष 2007 मेंयह विधेयक सौंप दिया गया था लेकिन इसे अब तक सदन में पेश नहीं किया जा सका है। पत्र में कहा गया है किविधि मंत्रालय बीते तीन वर्ष से असंवेदनशीलता दिखा रहा है जो अस्वीकार्य है। एचआईवी पीडितों का उपचार, संरक्षण और समुचित देखभाल सुनिश्चित करने वाला विधेयक पिछले दो वर्षो से केन्द्र सरकार के विभिन्नमंत्रालयों के चक्कर लगा रहा है। ऎसी आशंका है आम सहमति नहीं बन पाने से उसे संसद में पेश नहीं किया जासका है। देशभर में बच्चों एवं महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर सक्रिय गैर सरकारी संगठन प्लान इण्डिया नेविधेयक के सम्बंध में मांग की है कि इसे पुराने रूप में ही पेश किया जाए। ऎसा नहीं हुआ तो इन बीमारियों सेग्रसित मरीजों एवं उनके परिजनों को समुचित सहायता नहीं उपलब्ध कराई जा सकेगी। पिछले दिनों दिल्ली मेंएक समारोह में इस विधेयक के अविलम्ब संसद में पेश किए जाने की मांग को लेकर अभियान में जुटे बच्चों एवंमहिलाओं को पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता ऑस्कर फर्नाडीस, ग्रामीण विकास राज्यमंत्री अगाथा संगमा, क्रिकेटवीरेन्द्र सहवाग, फिल्म निर्देशक नागेश कुकनूर ने अपनी ओर से समर्थन दिया। प्लान इण्डिया की कार्यकारीनिदेशक भाग्यश्री डेंग्ले ने बताया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के मुताबिक देश में 18 वर्ष से कम उम्र के एकलाख किशोर एचआईवी संक्रमित हैं। हर साल 70 हजार बच्चे इसकी चपेट में आते हैं। पिछले साल अक्तूबर केतीसरे सप्ताह में केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री वीरप्पा मोइली ने कहा था कि वह एचआईवी/एड्स विधेयक के नएमसौदे पर स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ विचार विमर्श करेंगे। मरीजों और सामाजिक संगठन प्रस्तावित विधेयक मेंकुछ अहम प्रावधान होने का विरोध कर रहे हैं। एचआईवी पॉजिटिव छह सदस्यों के दल के साथ मोइली सेमुलाकात करने वाले 'लायर्स कलेक्टिव' के रमन चावला ने उस समय बताया था कि मंत्री ने उन्हें जल्द से जल्दमतभेद दूर करने का आश्वासन दिया है। कानून मंत्रालय ने 38 मुख्य प्रावधान हटाने के बाद एचआईवी/एड्सविधेयक का तीसरा मसौदा तैयार किया है। पॉजीटिव पीपुल नेटवर्क मुख्य प्रावधानों को विधेयक में शामिल करनेकी मांग करता रहा है। इसलिए हमने मोइली को बताया कि विधेयक में इन प्रावधानों को शामिल करने के बाद इसेसंसद द्वारा पारित किया जाना चाहिए। चेन्नई नेटवर्क ऑफ पॉजीटिव पीपुल के डायसी डेविड ने विधेयक केमसौदेके बारे में कहा यह विधेयक का पहला मसौदा है जिसे हम संसद द्वारा पारित कराना चाहते हैं। डेविड मोइली केसाथ मुलाकात करने वाले प्रतिनिधि मंडल के साथ शामिल थे। दिल्ली नेटवर्क ऑफ पॉजीटिव पीपुल के सदस्यप्रदीप दत्ता ने कहा कि विधेयक के मसौदे से जो सबसे अहम प्रावधान हटाया गया है वह एचआईवी रोगी को आपातचिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के बारे में था। दत्ता ने कहा था कई बार आपात स्थिति होने के बावजूद अस्पतालोंमें एड्स रोगी को इलाज नहीे मुहैया कराया जाता है। इसलिए हम एक ऐसे स्वास्थ्य अधिकारी की नियुक्ति चाहतेहैं जो ऐसी स्थिति आने पर 24 घंटे के अंदर इलाज मुहैया कराने का आदेश दे सके। कई बार हम देखते हैं कि ऐसेबच्चे जिनके एड्स रोगी अभिभावकों की मुत्यु हो जाती है, को पारिवारिक संपत्ति के अधिकार से वंचित रखा जाताहै। इसलिए एड्स रोगी के बच्चों का संपत्ति का अधिकार सुरक्षित रखने से संबंधित प्रावधान विधेयक में होनाचाहिए।

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