Monday, March 15, 2010

देश में विदेशी कैंपस घुसने का रास्ता साफ



फॉरेन एजुकेशन इंस्टीट्च्यूशन (एंट्री एंड ऑपरेशन) बिल-2010 लोकसभा में मंजूर
दलितों-पिछड़ों के प्रतिनिधि सांसदों के लिए मिला एक और बड़े विरोध का एजेंडा




(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

देश में विदेशी विश्वविद्यालयों को अपना कैंपस खोलने की अनुमति देने वाले ऎतिहासिक विधेयक फॉरेन एजुकेशन इंस्टीट्च्यूशन (एंट्री एंड ऑपरेशन) बिल-2010 को आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। यह बिल विदेशी संस्थानों के लिए है जो भारत में अपना कैंपस खोलना चाहते हैं और छात्रों को डिग्री देना चाहते हैं। सिब्बल ने हाल ही में अमेरिका से लौटने के बाद अमेरिकी विश्वविद्यालयों की लंबी सूची सुनाते हुए कहा था कि ये विश्वविद्यालय भारत में अपने कैंपस स्थापित करना चाहते हैं। बाद में एक मीडिया समूह को बताया गया था कि न तो हार्वर्ड विवि, न ही जार्ज वाशिंगटन विवि हिंदुस्तान आने के इच्छुक हैं। जार्ज वाशिंगटन विवि की मिशेल शेर्रार्ड के लिखे पत्र में बताया गया था कि भारत आने की कोई योजना नहीं है। इसी तरह, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल (एचबीएस) के डायरेक्टर (मीडिया रिलेशंस) जिम ऐसनर ने लिखा कि हार्वर्ड का सिर्फ एक कैंपस है और वह बोस्टन में है। इसके अलावा और कहीं कैंपस खोलने की हमारी योजना नहीं है। उस समय यह भी कहा गया था कि सिब्बल की सूची के अन्य विवि भी वेट एंड वाच लाइन में हैं। संसद में प्रस्तावित विदेशी शिक्षा प्रदाता विधेयक के मद्देनजर इनमें से कई अपनी विस्तार योजनाओं को लेकर पशोपेश में हैं। टिप्पणीकारों की मानें तो विदेशी विवि भारतीय बाजार में संभावनाएं तलाश रहे थे, लेकिन अब हालात थोड़ा बदले हैं। कई अमेरिकी विवि यह जानने के लिए ठिठक गए थे कि इस विधेयक पर संसद क्या रुख अख्तियार करती है। विधेयक में शामिल एससी/एसटी व ओबीसी को आरक्षण देने, सुविधाजनक फीस ढांचा रखने व आमदनी की स्वदेश वापसी पर रोक जैसे प्रावधानों से उन सबके माथे पर बल पड़ गए थे। अब विधेयक पारित हो गया है तो उम्मीद की जा रही है कि इसके फायदे भी देश की शिक्षा व्यवस्था सुधारने में मिलेंगे। यद्यपि विधेयक के स्वरूप को लेकर दलित-पिछड़े क्षेत्रों से जुड़े सांसदों के एक बार फिर गर्म होने के अंदेशे जताए जा रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो महिला आरक्षण विधेयक के बाद यह दूसरा ऐसा एजेंडा होगा, जिसे लेकर राष्ट्रीय राजनीति सरगर्म हो सकती है। द फॉरेन एजूकेशनल इंस्टीटयूशन बिल, 2010 को सोमवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में पास कर दिया गया। अब संसद में इस विधेयक को पेश किए जाने की राह आसान हो गई है। मानव एवं संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल का कहना है कि ये बिल मील का पत्थर साबित होगा। इससे शिक्षा के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ गुणवत्ता भी बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि पिछले कई सालों से इस विधेयक को लेकर सरकार को विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। विधेयक काफी दिनों से तैयार पड़ा था और मंत्रिमंडल की मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहा था। गत सप्ताह मंत्रिमंडल की बैठक में यह विधेयक मंजूरी के लिए पेश किया जाना था किंतु मंत्रिमंडल की बैठक अचानक स्थगित किए जाने के कारण उसे पेश नहीं किया जा सका।

1 comment:

Unknown said...

बाँकी क्या रहा? देश की डी-फैक्टो पी.एम. ईटालियन है। ईस देश कि मिट्टी तथा लोगो के दिमाग मे कुछ तो गडबड अवश्य है जो बार-बार गुलामी की और प्रवृत करती है। और कुछ ऐसा भी है जो बार-बार बचा कर निकाल लेता है......