Saturday, March 20, 2010

भाजपा में उल्टी हवा, अब ठाकुर कोपभवन में




(खबर sansadji.com, सांसदजी.डॉट कॉम से)


देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी भाजपा इन दिनों घर के घमासान में फंस गई है। शत्रुघ्न सिह्ना, शाहनवाज हुसैन के बाद अब सीपी ठाकुर कोपभवन में चले गए हैं। भाजपा की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी को लेकर अंदरूनी ना-नुकर तो राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी कायम है, लेकिन हैरतअंगेज तरीके से बिहार का आंतरिक असंतोष खुलकर मुखर हो रहा है। जबकि बिहार में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव है। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के टीम गठन को लेकर उल्टी हवा उसी दिन बहनी शुरू हो गई थी, जब गडकरी ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से बिना कोई राय-विमर्श किए नाम घोषित कर दिए थे। राजस्थान भाजपा में लंबे समय से दो गुट सक्रिय हैं। एक वसुंधरा राजे समर्थक, दूसरा विरोधी। टीम में वसुंधरा को बड़ा ओहदा देने से विरोधी खेमा भीतर-ही-भीतर हाथ-पैर पटकने लगा है। यद्यपि वहां विधानसभा के ऊधम के चलते पार्टी अभी उसी मोरचे पर व्यस्त होने से कोई विद्रोही नाम मुखर होकर नहीं उभरा है। हां, निर्दल सांसद किरोड़ी ने जरूर संकेत किया है कि भाजपा कार्यकारिणी में राजस्थान से किसी मीणा को तरजीह न देना इस सूबे में पार्टी को भारी पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में पीलीभीत के सांसद एवं मेनका गांधी के पुत्र वरुण गांधी को बड़ा पद दिए जाने और विनय कटियार को लगभग हाशिये जैसी स्थिति में डाल दिए जाने को लेकर सुगबुगाहट है। उत्तर प्रदेश भाजपा में भी पार्टी के भीतर सालों से कई तरह की गुटबंदियां फुनकार रही हैं। सांसद राजनाथ सिंह के अलग समर्थक, सांसद लालजी टंडन के अलग और सांसद कलराज मिश्र के अलग। एटा के सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पहले से ही पार्टी के बाहर-भीतर होते रहते हैं। उनकी आवाज ने भी भाजपा की अंदरूनी एका को डांवाडोल कर रखा है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां जबसे सत्ता की पटरी से भाजपा की गाड़ी उतरी है, गच्चा ही खाती जा रही है। फिलहाल इस प्रदेश से भी कोई विरोधी नाम मुखर नहीं हुआ है, लेकिन बिहार की चिंगारी ने पूरी पार्टी को चौंका दिया है। वैसे पहले से ही इसकी उम्मीद थी। भागलपुर के भाजपा सांसद शाहनवाज हुसैन के बारे में कहा जाता है कि संघ प्रमुख के इशारे पर महासचिव की बजाय उन्हें पार्टी प्रवक्ता बना दिया गया। सूत्रों के अनुसार शाहनवाज इस सूचना से भी काफी तिलमिलाए हुए हैं क्योंकि मुस्लिम नेता होते हुए भी उन्होंने अपनी पहचान के अस्तित्व को दांव पर लगाकर भाजपा का दामन थामा और अब उसी पार्टी में उनके साथ इस तरह का संघी रवैया अख्तियार किया जाए तो सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है। शाहनवाज इतने दुखी चल रहे हैं कि वह सुषमा स्वराज के यहां बुलाई गई भाजपा प्रवक्ताओं की मीटिंग में भाग लेने भी नहीं पहुंचे। सूत्रों के अनुसार उनका अस्वस्थ होना तो एक बहाना भर था। वैसे पता चला है कि उन्होंने अपनी नाराजगी से वरिष्ठ नेताओं को अवगत भी करा दिया है। टीम गडकरी में फूट रही इन लपटों की एक वजह ये भी बताई जाती है कि राजनाथ सिंह इसलिए चुप हैं, कुच बड़े ओहदेदारों के नाते उन्हें पार्टी के भीतर पहले कम दुश्वारियां नहीं झेलनी पड़ी हैं। जब तक वह अध्यक्ष रहे, रोजाना रूठने-मनाने का सिलसिला ही चलता रहा। किसी तरह उन्होंने अपना कार्यकाल काटा। सूत्रों के अनुसार इसीलिए वह मौजूदा हालात पर जुबान बंद रखे हुए हैं। यद्यपि उनके बेटे पंकज सिंह और वरुण गांधी की दोस्ती को लेकर अब भी उनकी ओर इशारे करने वाले चूक नहीं रहे। सुषमा स्वराज इसलिए हालात में हस्तक्षेप से किनारा किए हुए हैं कि गडकरी ने खुद टीम बनाई है तो वही झेलें। उन्हें क्या पड़ी है झमेले में मुंह खोलने की। गडगरी भले निजी चैनल पर इस बात का खुलासा कर चुके हों कि जिसे कोई शिकायत हो, उनसे मिल कर गिले-शिकवे दूर कर सकता है लेकिन नाराज लॉबी ने उनके इस कथन को कोई तरजीह नहीं दी है। वह ये भी कहते हैं कि वैसे सभी को संतुष्ट कर पाना संभव नहीं है। गडकरी रात में ही दिल्ली लौटे हैं। अभी उन्हें दो दिन के लिए जम्मू और पंजाब जाना है। लौटने के बाद ही मौजूदा असंतोष पर कोई रणनीति बना सकते हैं। बिहार के सांसद एवं पार्टी प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी इतना भर कह कर चुप हो लेते हैं कि गडकरी जी को सब कुछ मालूम है। जिन्हें शिकायत है, वे खुद क्यों नहीं उनसे मिल लेते। शत्रुघ्न सिह्ना सिर्फ यशवंत सिह्ना की कथित उपेक्षा को लेकर ही नाराज नहीं, उन्हें खुद भी बिहार भाजपा में अपनी उपेक्षा को लेकर गहरा मलाल है। शत्रुघ्न कहते हैं कि पटना का सांसद होने के बावजूद उन्हें पटना में ही पार्टी के समारोह से किनारे रखा गया। उनकी ही नहीं अन्य कई प्रमुख नेताओं की भी नई टीम में उपेक्षा हुई है। सिन्हा ने इस बारे में सीपी ठाकुर, बीसी खंडूरी, उदय सिंह व अपना खुद का भी नाम लिया। उन्होंने आग्रह किया कि उनके इस बयानों को बगावत के रूप में न लिया जाए, बल्कि यह पार्टी के हित में हैं। उन्होंने बिहार में पार्टी द्वारा अपनी उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया और कहा कि गुरुवार की रैली की सूचना उन्हें मात्र एक दिन पहले मिली थी, जबकि इसकी तैयारी काफी पहले हो चुकी थी। शत्रुघ्न सिन्हा के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद सीपी ठाकुर ने भी मोर्चा खोल दिया है। टीम में अपनी उपेक्षा से नाराज ठाकुर दिल्ली पहुंचते ही फूट पड़े। बोले कि उनका योगदान भी पार्टी में किसी से कम नहीं है। इसलिए दावा तो उनका भी बनता है। आखिर उन्होंने भी बिहार में पार्टी के लिए बहुत लड़ाई लड़ी है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, फिर भी टीम में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है, जबकि महाराष्ट्र को ज्यादा तरजीह दी गई है। इसमें अभी सुधार की गुंजाइश है। पता चला है कि फिलहाल विदेश यात्रा पर जा रहे ठाकुर वहां से लौटकर पार्टी में अन्य असंतुष्ट नेताओं से बात करेंगे। बताया जाता है कि सुषमा स्वराज और अरुण जेटली की कल की अनौपचारिक बैठक में संगठन महासचिव रामलाल, सांसद महासचिव अनंत कुमार, सांसद प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूड़ी, निर्मला सीतारमन, तरुण विजय, रामनाथ कोविंद उपस्थित हुए, लेकिन शाहनवाज हुसैन और प्रकाश जावडेकर गैरहाजिर रहे। जावडेकर के बारे में बताया गया कि वह अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते नहीं मीटिंग में नहीं गए।

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