Sunday, March 14, 2010

कांग्रेस, भाजपा, नीतीश पर खूब गरजे-बरसे लालू प्रसाद



अभी-अभीः.............
बोले- नोबेल पुरस्कार ओबामा को नहीं, नीतीश को मिलना चाहिए था

बिहार की राजनीति में कांग्रेस और राहुल किसी गलतफहमी में न रहें



हम औकात में नहीं, इसलिए कांग्रेस ने ठुकराया
हम भी सारी बातें दिमाग में रखे हैं
बिहार पहले तौलता है, फिर चूना लगाता है

(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)


राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने आज एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि कांग्रेस अकेले राज करने की आदती है, इसलिए हमे साथ लेकर नहीं चल रही है। कांग्रेस की दी हुई बीमारियां ही देश झेल रहा है। मंशा अकेले चलने की है तो चलें, ठीक है लेकिन ध्यान रखें कि बिहार प्रयोग की भूमि है। बिहार पहले तौलता है, फिर चूना लगाता है। इसलिए कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी का बिहार में जो प्रोजक्शन हो रहा है, अच्छी बात है। राहुल ने बिहार की राजनीति में अभी पैर रखा है, अच्छी बात है लेकिन किसी गलतफहमी के शिकार न हों। राहुल को आजकल नए जमाने के लोग, बड़े घरानों से आए आईटी के बच्चे सियासत सिखा रहे हैं। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह उन्हें बिहार का रास्ता दिखा रहे हैं। ये वही दिग्विजय सिंह हैं, जो अपने परिवार, अपने प्रदेश से ठुकरा दिए गए हैं। दिग्विजय सिंह अपनी राजनीति क्यों नहीं निहारते, इनका पैर अपने परिवार से, मध्य प्रदेश से उखड़ गया। अब देख रहा हूं, फिर उसी तरह के लोग गेदर कर रहे हैं, बड़े घरानों के लड़के राहुल के इर्दगिर्द नई दिशा, कम्यूटर, आईटी का जादू मंतर दिखा रहे हैं। पहले दिग्विजय सिंह अपनी राजनीति सुधारने के लिए बिहार में दौरा करते थे तो अपने को ''दिग्विजय यादव'' कहते थे। कांग्रेस ने बिहार में उन लोगों को सिर-माथे चढ़ा रखा है, जो छुटभैये हमसे मिलने के लिए पाइप लाइन में रहा करते थे। अब उन लोगों से हमारे लिए अभद्र बातें कहलवाई जाती हैं। उनका इस्तेमाल किया जाता है। हमने 'उनको' दिमाग में रख रखा है। हमने सोचना नहीं था कि जिनके पैरों में जूते नहीं थे, वे आज हमारे साथ इस तरह पेश आएंगे। कांग्रेस ध्यान रखे कि हमने नब्बे के बाद देश को तीन सौ एमपी दिया। कोई नेता ऐसा है, जिसने देश को इतने एमपी दिए हों। हम किसी से दुखी नहीं। हम अपने काम में लग चुके हैं। हमारे कहने से नहीं, बिहार की जनता के भरोसे भविष्य सामने आ रहा है। लालू ने बिहार के मुख्यमंत्री के संबंध में कहा कि नीतीश कुमार कोई लीडर या काबिल आदमी नहीं थे। नीतीश हमसे उमर में छोटे, छोटे भाई जैसे हैं। उन्हें तो मैं कब से जानता हूं। बिहार में उनको और हमको लोग रंगा-बिल्ला कहा करते थे। ये वही रिटिया हैं, जिनको तावा पर जलते हुए हमने कभी पलटा था। लिफ्ट सर्विस देकर विकास का ढिढोरा पीटकर, चापलूसी की राजनीति कर वे अब ओबामा से आगे, चीन के समकक्ष कहे जा रहे हैं। गजब है। पैसा के लिए हाथ पसारने वाला ओबामा हो गया है, और पैसा देने वाला बिहार में लटका हुआ है। लालू ने कहा कि नोबेल पुरस्कार तो अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा को नहीं, बल्कि नीतीश कुमार को मिलना चाहिए। लालू ने कहा कि जब हम ताकत में थे, केंद्र में कांग्रेस ने हमे रेल मंत्री बनने का मौका दिया। आज हमारे पास चार सांसद हैं तो हमारी उसको जरूरत नहीं रह गई है। हर आदमी ताकत की पूजा करता है। कांग्रेस तो पहले से ताकत की पूजा करने के लिए मशहूर है। औकात न होने के कारण ही हम कांग्रेस बिछुड़ गए हैं। चाहता तो मैं रेलमंत्री रहते हुए रेलवे से अरबों रुपये दुह सकता था। मैंने ऐसा नहीं किया। रेलवे को ऊंचाइयों पर पहुंचाया। अब श्वेत पत्र जारी करवाया जा रहा है। लालू ने कहा- 'श्वेतपत्र बेकार की बात है।' कांग्रेस को ये नहीं समझना चाहिए कि पिछले चुनाव में उसे मुसलमानों का वोट कांग्रेस के नाम पर, अथवा दलितों का वोट राहुल गांधी के नाम पर मिला है। वह उन डरे मतदाताओं के वोट थे, जो भाजपा को सत्ता में आने से रोकना चाहते थे। चाहे किसी भी कीमत पर। लालकृष्ण आडवाणी को भाजपा ने 'पीएम इन वेटिंग' घोषित कर रखा था, इसी से मतदाता भड़क गए और कांग्रेस को सपोर्ट कर दिया।

No comments: