Saturday, March 20, 2010

'समान अवसर आयोग' पर मुखर हुए मुस्लिम सांसद




(खबर sansadji
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मुस्लिम सांसदों का मानना है कि अब देश के मुसलमानों का ही नहीं, हर वर्ग के लोगों का पिछड़ापन सामूहिक तौर पर दूर करने का एक ही उपाय नजर आ रहा है, देश में 'समान अवसर आयोग' का गठन। केंद्रीय मंत्री एवं फर्रूखाबाद से कांग्रेस सांसद सलमान खुर्शीद तो खुलकर इस तरह की व्यवस्था के पक्ष में मुखर हो चले हैं। देश में मुस्लिम समाज की माली हालत, आरक्षण आदि पर इन दिनों रोजाना न्यूज चैनलों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों के बहस-मुबाहसे चल रहे हैं। कभी रालोद सांसद महमूद ए. मदनी, कांग्रेस सांसद जफर अली नकवी आपसी बहस में उलझे सुनाई पड़ते हैं तो कल भाजपा प्रवक्ता एवं पूर्व सांसद मुख्तार अब्बास नकवी, अल्पसंख्यक मंत्री सलमान खुर्शीद, तारिक अनवर आदि तर्क-वितर्क में व्यस्त दिखे। इन तीनों लोंगों की बहस मुख्यतः रंगनाथ मिश्र कमेटी, सच्चर कमेटी की रिपोर्टों के बहाने 'समान अवसर आयोग' के गठन अथवा जरूरतों तथा धर्म के आधार पर आरक्षण पर केंद्रित रही। नकवी का आरोप था कि मैरिड में होने के बावजूद मुस्लिम बेरोजगारों को नौकरी नहीं मिल रही है। रेलवे समेत कई सरकारी विभागों में ऐसा हो रहा है। सच्चर कमेटी की रिपोर्ट कोई संविधान नहीं, न इससे मुसलमानों का कोई स्थायी फायदा होने वाला है। जहां तक मुस्लिमों को आरक्षण देने की बात है, फर्रूखाबाद (यूपी) के सांसद एवं अल्पसंख्यक मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना था कि धर्म के आधार पर आरक्षण क्यों नहीं दिया जा सकता क्योंकि कानून कहता है कि धर्म के साथ पिछड़ापन है तो उसी आधार पर होगा, जैसा कि सच्चर कमेटी ने भी कहा है। पिछड़ों के 27 फीसद आरक्षण में से एक हिस्सा मुस्लिमों को दिया जा सकता है। इसकी व्यवस्था राज्यों के स्तर पर है। क्या केंद्र स्तर पर कर सकते हैं, ये देख रहे हैं। रंगनाथ मिश्र की रिपोर्ट और उसमें कुछ अंतर होगा। नकवी सिद्धांत की बात करेंगे तो इनमें हमारे में अंतर है। रणनीति की बात कर रहे हैं तो उस पर विचार किया जा सकता है। तारिक अनवर का कहना था कि सिर्फ धर्म बुनियाद नहीं हो सकती, ये बात सही है। छानबीन के बाद जो तस्वीर सामने आई है, उसका निष्कर्ष है कि जब तक मुस्लिमो को विशेष सहयोग नहीं दिया जाएगा, मुस्लिम पिछड़े रह जाएंगे। सलमान का कहना था कि समान अवसर आयोग के गठन पर सरकार गंभीरता से सोच-विचार कर रही है। अभी जो कमीशन काम कर रहे हैं, उनका भी महत्व है। हम किसी का अस्तित्व समाप्त या कमजोर करने नहीं जा रहे हैं। इस पर हम आपस में बात कर रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि हम केवल मुसलमानों पर कंसंट्रेशन क्यों नहीं करते हैं? लेकिन हमे तो माइनॉरिटी, मेजॉरिटी दोनों का ध्यान रखना होगा। नकवी का कहना था कि समान अवसर का आधार आर्थिक, सामाजिक शैक्षिक पिछड़ापन है, तो हम साथ हैं, राजनीतिक कारण है तो बात ठीक नहीं। नीतियां पिछड़ों-वंचितों के हिसाब से बननी चाहिए। तारिक अनवर ने कहा कि समान अवसर आयोग हमारे यहां बनना चाहिए। हम चाहेंगे कि कोई किसी भी धर्म का हो, सबको समान अवसर मिलना चाहिए। तब तक देश को मजबूत करने का मकसद पूरा नहीं होगा। बहस में ये सवाल भी उभरा कि केंद्र को राज्य अल्पसंख्यक आयोग के काम-काज में हस्तक्षेप करना चाहिए या नहीं। नकवी का कहना था कि यदि अल्पसंख्य कल्याण की योजना-राशि केंद्र दे रहा है तो उस पर ध्यान राज्य रखे, केंद्र क्यों रखेगा? ये सोच बाधा डालती है। जैसे इंदिरा आवास योजना व अन्य योजनाएं देखी जा रही हैं, उसी तरह इस आयोग के राज्यस्तरीय काम-काज का भी तरीका होना चाहिए। केंद्र से हस्तक्षेप उचित नहीं होगा। इस पर सलमान खुर्शीद का कहना था कि स्टेट को ये नहीं लगना चाहिए कि हम उन्हें आदेश दे रहे हैं। जब हम धनराशि उन्हें देते हैं तो इतना अधिकार बनता है कि उन्हें हिदायत दें कि इसका इस्तेमाल इस तरह होना चाहिए। बहस में तीनों ही राजनेता समान अवसर आयोग के गठन के पक्ष में दिखे।

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