Saturday, May 1, 2010

वाल्मीकि बस्ती फूंकने पर सोनिया, राहुल हुड्डा से नाराज


sansadji.com
हिसार (हरियाणा) में पुलिस की मौजूदगी में दंबगों द्वारा वाल्मीकि बस्ती फूंक दिए जाने और दलित पिता-पुत्री को जिंदा जलाकर मार डालने पर कांग्रेस के शीर्ष सांसदों की हुड्डा सरकार पर भृकुटियां टेढ़ी हो चली हैं। पहले बूटा सिंह, इसके बाद सांसद राहुल गांधी का इस घटना को लेकर हरियाणाया जाना और अब कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद सोनिया गांधी द्वारा मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को कड़ी फटकार लगाना यह संकेत कर रहा है कि पार्टी में उस घटना को लेकर हलचल मची हुई है। सोनिया ने घटना को शर्मनाक बताते हुए हुड्डा को व्यक्तिगत पत्र लिखा है कि दोषियों के खिलाफ जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करें वरना ठीक नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि हिसार (हरियाणा) के गांव मिर्चपुर में जाट समुदाय के कुछ लोगों द्वारा वाल्मीकि बस्ती फूंक दिए जाने तथा पिता-पुत्री को जिंदा जलाकर मार डालने के बाद नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित ऑर्गेनाइजेशन्स (नैक्डोर) के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष संजीव कपिल तथा महामंत्री सुरेश टांक, फूलसिंह टांक आदि के नेतृत्व में एक दल ने 22 अप्रैल को पीड़ित गांव का दौरा कर मामले की गहराई से छानबीन की। नैक्डोर टीम को मिर्चपुर के पीड़ित वाल्मीकि जनों से पता चला कि जाट समुदाय के राजेंद्र, धर्मवीर, पवन, कुलविंदर, विकास, मोनू, अजित सोनू और टिंकू ने गांव पर पूरी तैयारी के साथ हिंसक धावा बोला। इस बर्बर हमले में स्थानीय थाना पुलिस की भी पूरी मिलीभगत रही। इस बर्बर जातीय अत्याचार के खिलाफ नैक्डोर ने राजधानी दिल्ली में मंडी हाउस से हरियाणा भवन तक पैदल मार्च निकाला एवं केंद्र व हरियाणा सरकार से पूरे मामले पर त्वरित कदम उठाने की मांग की। पैदल मार्च, सभा एवं प्रदर्शन का नेतृत्व नैक्डोर के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती, निदेशक राजेश उपाध्याय, हरियाणा इकाई के अध्यक्ष संजीव कपिल, महामंत्री सुरेश टांक, फूलसिंह टांक आदि ने किया।
नैक्डोर टीम को मिर्चपुर के पीड़ितों ने बताया कि 19 अप्रैल को जाट समुदाय के राजेंद्र, धर्मवीर, पवन, कुलविंदर, विकास, मोनू, अजित सोनू और टिंकू जब गांव से गुजर रहे थे, वीरभान नामक दलित वाल्मीकि के रस्सियों से बंधे कुत्ते ने उन्हें देखकर भौंका। इस पर राममेहर के रिश्तेदार टिंकू ने कुत्ते पर पत्थर फेंक दिया। दलित वाल्मीकियों को जाटों के रुतबे का एहसास था, इसलिए उन्होंने कुत्ते की हरकत पर माफी मांगी, लेकिन जाटों ने उल्टे उन पर जाति सूचक गालियों की बौछार की और कहा कि 'चूड़ों तुम्हें पता नहीं कि हम जाट हैं?' वीरभान और उसके पड़ोसी करन सिंह ने जब जाति सूचक गालियों का विरोध किया तो जाट युवकों ने उनकी पिटाई कर दी।
पीड़ित ग्रामीणों ने नैक्डोर जांच टीम को बताया कि 20 अप्रैल को जाटों ने गांव में पंचायत की और उसमें ये कहकर वाल्मीकियों को बुलवा लिया कि वे घटना के संबंध में अपना पक्ष रखें। पंचायत में इन दलितों को फिर से जाति सूचक गालियां दीं गईं तथा भरी पंचायत में मारा-पीटा गया। इस तरह लगातार अपमान और जातीय हिंसा से पीड़ित वाल्मीकियों ने तत्काल पूरे मामले से पुलिस स्टेशन को अवगत कराया। 21 अप्रैल को थाना पुलिस गांव में पहुंची और इसी दिन जाटों ने एक और बैठक कर वाल्मीकियों को पुलिस में रिपोर्ट करने पर सबक सिखाने का फैसला किया। पुलिस की उपस्थिति में जाटों ने गांव में अपने चार अलग-अलग हमलावर समूह बनाए और वाल्मीकि बस्ती को चारों ओर से घर कर धावा बोल दिया। लाठियों, ईंटों व अन्य हथियारों से लैस जाटों ने वाल्मीकि बस्ती पर किरासन तेल छिड़क कर सारे घरों में आग लगा दी। इस सामूहिक जातीय हमले में पचास से अधिक वाल्मीकि लहूलुहान हो गए। कई लोगों के पैर, हाथ और सिर टूट गए। इस आगजनी और हमले के दौरान विकलांग और पोलियो की शिकार 14 साल की सुमन और उसके पिता की मौत हो गई। हमलावरों ने घरों में जमकर तोड़फोड़ और लूटपाट की। 20 से ज्यादा घर पूरी तरह जल कर राख हो गए।
मौके पर पीड़ितों ने नैक्डोर टीम को बताया कि हमला एवं आगजनी करने वालों में राजेंद्र पुत्र पालीराम, रामफल पुत्र पृथी सिंह, नन्हा पुत्र मयचंद, बोबला पुत्र टेकचंद, कुलविंदर और पवन पुत्र राममेहर तथा राममेहर के रिश्तेदार मुकेश व टिंकू की मुख्य भूमिका रही। पीड़ित दलितों ने मांग की कि सभी हमलावरों को अनुसूचित जाति और जनजाति अत्याचार निवारण कानून 1989 के तहत गिरफ्तार किया जाए। इसी कानून के तहत संबंधित पुलिस अधिकारियों को भी मामले में आरोपी बनाकर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाए, क्योंकि पहले से जाटों के मंसूबों से पूरी तरह वाकिफ होने के बावजूद थाना पुलिस ने गांव के दलितों को समय से सुरक्षा प्रदान करने में जानबूझकर लापरवाही की। मृतकों के आश्रितों को तत्काल 25 लाख मुआवजा तथा सरकारी नौकरी दी जाए और इस जातीय हिंसा में घायल दलितों को पांच लाख रुपये की तत्काल सहायता दी जाए। आगजनी व तोड़फोड़ से जिसके घर तबाह हुए, उन्हें सरकार नए मकान बनाकर दे और पूरे नुकसान की अविलंब भरपाई करे। गांव के सभी दलित परिवारों को एक साल का राशन दिया जाए। सुरक्षित आजीविका मुहैया कराने के लिए गांव के दलितों को रोजगार गारंटी कार्यक्रम के तहत तुरंत सौ दिनों का रोजगार दिया जाए। हरियाणा पुलिस का लोकतांत्रीकरण किया जाए और उसमें जाटों की भर्ती पर तत्काल प्रभाव से तब तक रोक लगा दी जाए, जब तक कि हरियाणा पुलिस में अन्य समुदायों की आनुपातिक भर्ती नहीं हो जाती।
छानबीन में नैक्डोर जांच दल को पता चला कि पूर्वनियोजित तरीके से ये हमला हरियाणा के दलितों को सबक सिखाने के मंसूबे से किया गया। ये साफतौर पर जातीय हिंसा और अत्याचार का मामला है। हमले में पूरी तरह से स्थानीय पुलिस की सांठ-गांठ रही। पूर्व सूचना के बावजूद पुलिस ने बड़े पैमाने पर होने वाले इस सामूहिक हमले से पहले आरोपियों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया और इस बर्बर घटना को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की। यह भी पता चला है कि स्थानीय प्रशासन साफ तौर पर इस मामले में हमलावरों का जातीय पक्षधर बना रहा। नैक्डोर की मांग हैं कि अनुसूचित जाति, जनजाति निवारण कानून 1989 के तहत अपने आधिकारिक कर्तव्य में जानबूझकर कोताही बरतने के लिए दोषी पुलिस कर्मियों को दंडित किया जाए। जातीय हिंसा के शिकार लोगों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए। दलितों के पुनर्वास के लिए उनके घर बनाए जाएं। पक्की आजीविका की सुविधा प्रदान की जाए और उपलब्ध सरकारी जमीन को उनके बीच बांटा जाए। भविष्य में अन्य स्थानों पर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए यह जरूरी है कि हरियाणा पुलिस का लोकतांत्रीकरण किया जाए (जाट पुलिस के रूप में उसका स्वरूप खत्म किया जाए) और उसमें गैरजाट समुदायों, खास तौर से दलितों को भर्ती किया जाए। फास्ट ट्रैक कोर्ट से इस मामले की त्वरित सुनवाई कराई जाए। समस्त हरियाणा को जातीय हिंसा संभावित राज्य घोषित किया जाए और हरियाणा सरकार को विवश किया जाए कि वह ऐसे मामलों के तीव्र निपटारे के लिए विशेष अदालतों और जिला प्रशासन में अनुसूचित जाति के अधिकारियों की नियुक्त करे।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बूटा सिंह ने भी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिर्चपुर गांव का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और गांव के दलितों को उचित सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने पीड़ितों को आश्वस्त किया कि वह इस मामले की रिपोर्ट राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के साथ ही हरियाणा के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी सौंपेगे। राज्य की हुड्डा सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच लाख और जिनके घर जलाए गए हैं, उन्हें एक लाख रुपये के मुआवजे की घोषणा की। घटना के दिन लापरवाही बरतने वाले एसएचओ को निलंबित कर दिया गया है।

1 comment:

yugal mehra said...

कुछ नहीं हे जी सब नाटक बाज़ी है, जिनके घर जलें हैं वो ही जानते हैं की सरकारों ने उनके लिए क्या किया आजतक