Sunday, April 25, 2010
सुनिए जरा, संसद का ताजा राग-दरबारी, जो अभी नहीं सुना होगा! !
sansadji.com
इन दिनों संसद सड़क पर है और सड़क यूपी की ओर। यूपी की सियासत चुपके-चुपके नए संसदीय समीकरण के घाट लगने जा रही है। आईपीएल का भ्रष्टाचार और सपा प्रवक्ता द्वारा ललित मोदी की तरफदारी, माया की सीबीआई जांच, सांसद मुलायम सिंह से सांसद चौ.अजित सिंह की नजदीकियां,कुछ ऐसे गुल हैं जो अधखिले-खिले ही नए सवाल बो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख राजनीतिक दल बसपा, कांग्रेस, सपा, भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल विधानसभा चुनावों को देखते हुए अपनी-अपनी बिसात बिछाते जा रहे हैं। पर्दे के पीछे मुलायम सिंह, अजित सिंह कांग्रेस को लेकर कोई नई रणनीति बुनते लग रहे हैं। कोई साफ गतिविधि तो नहीं, लेकिन छिटपुट बयानों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं। सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं महासचिव मोहन सिंह देवरिया पहुंच कर कहते हैं कि आई.पी.एल. मामले में कमिश्नर ललित मोदी को परेशान करना उचित नहीं है। केन्द्र सरकार बेवजह मोदी को घसीट रही है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। इसका हर स्तर पर विरोध होना चाहिए। (सुनिए कि इसमें शरद पवार की धुन सुनाई दे रही है) वह कहते हैं कि मोदी ने केन्द्रीय मंत्री शशि थरूर की पोल खोल दी तो भारत सरकार उनके पीछे पड़ गई है। साथ ही वह ये कहने से भी नहीं चूकते कि पहली बार देश के 13 राजनीतिक दल मिलकर महंगाई के खिलाफ 27 अप्रैल को देशव्यापी हड़ताल करने जा रहे हैं। संसद से सड़क तक आन्दोलन चलाया जायेगा। फिर कहते हैं कि मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ जुलाई महीने में भ्रष्टाचार का मुकदमा चलाने के लिए सीबीआई अनुमति मांगेगी। प्रदेश सरकार का जाना तय है। नीयत समय से दो साल पहले ही विधानसभा चुनाव होंगे। सपा रणनीति बना रही है। उधर, कानपुर में केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद कहते हैं कि आईपीएल मुद्दे पर केंद्र सरकार को कोई भी कार्रवाई करने का सीधा अधिकार नहीं है। अगर ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी सर्व सम्मत से गठित की गयी तो फिर कमेटी इस मामले को देखेगी। एहतियात के तौर पर सारी कंपनियों से ब्योरा मांगा जा रहा है ताकि जरूरत पड़ने पर उसे सामने रखा जा सके। सरकार सारे मामले पर नजर रखे है। अब सुनिए सपा अध्यक्ष और सांसद मुलायम सिंह यादव की। लखनऊ में वह कहते हैं कि महंगाई के मुद्दे ने वामदलों को हमारे करीब ला दिया है। 27 को हम बगलगीर होंगे। महंगाई और भ्रष्टाचार से यूपी का बुरा हाल है। केंद्र सरकार के मंत्री और नेता आईपीएल में करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं। 12 अप्रैल को दिल्ली में 13 दलों सीपीआई, सीपीएम, फारवर्ड ब्लाक, आरएसपी, तेलुगुदेशम, रालोद, राजद, लोकजनशक्ति, इंडियन नेशनल लोकदल, एआईएडीएमके, बीजू जनता दल तथा जनता दल सेक्यूलर के नेताओं की बैठक में ही यह तय हो गया था कि महंगाई को लेकर देशव्यापी हड़ताल होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ.अजित सिंह भाजपा के गठजोड़ से पिछला लोकसभा चुनाव जीते हैं। उससे पहले रालोद का पैक्ड सपा से रहा है। अब फिर सपा की ओर घूम रहे हैं। इससे संकेत मिलते हैं कि सपा-रालोद वामदलों की मदद से प्रदेश में ताकत का त्रिकोण बनाने में जुटे हैं। एक कोण कांग्रेस, दूसरा, बसपा और तीसरा सपा-रालोद-वामदलों का। यद्यपि यूपी में वामदलों का नामोनिशान तक नहीं है। वह जब पश्चिमी बंगाल में खिसके जा रहे हैं, फिर यूपी में उनके बूते कौन सा पुरुषार्थ संभव है। हां सपा-रालोद का एक होना जरूरी कांग्रेस और बसपा दोनों के लिए भारी पड़ सकता है। कांग्रेस यही चाहती है। यद्यपि जमीनी हकीकत ये है कि इससे कुल मिलाकर कांग्रेस का ही नुकसान होना है, लेकिन ज्यादा नुकसान भाजपा को होना है। देखिए अभी तो महाभारत की बेला बहुत दूर है। तब तक सूबे की सियासत जाने कितने रंग बदल ले! फिलहाल इस टिप्पणी का निष्कर्ष लें तो तीन बातें मुख्य रूप से गौरतलब होंगी। सलमान खुर्शीद कहते हैं, आईपीएल के खिलाफ सीधी कार्रवाई नहीं। मोहन सिंह कहते हैं मोदी पर कार्रवाई का विरोध होना चाहिए। मुलायम सिंह कहते हैं आईपीएल में केंद्र के मंत्री करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं। और अजित सिंह मुलायम के मंच के साझीदार हो रहे हैं। उधर, आईपीएल पर एक नया तमाशा नमूदार हो रहा है, जिससे कांग्रेस के गले में पानी अटक रहा है। पता चला है कि कोलकाता नाइटराइडर्स के मालिक शाहरुख खान और उनकी पत्नी गौरी ने कांग्रेस सांसद और आईपीएल गवर्निंग कौंसिल के सदस्य राजीव शुक्ला की कंपनी में 10 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
बैग ग्लैमर नाम की इस मीडिया कंपनी में निवेश उसी समय किया गया, जब जनवरी-फरवरी 2008 को आईपीएल के पहले सीजन के लिए बोली खत्म होने वाली थी। शाहरुख को निवेश के बदले 10 फीसदी इक्विटी मिली। बैग ग्लैमर असल में बैग फिल्म्स एंड मीडिया लिमिटेड की 100 फीसदी सहायक कंपनी है। इसे शुक्ला की पत्नी अनुराधा संचालित करती हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में सवाल उठाए गए हैं कि शाहरुख ने आईपीएल के लिए फ्रेंचाइजी की बोली खत्म होने से पहले पैसा क्यों लगाया? उन्होंने एक ऐसी कंपनी में निवेश क्यों किया, जो भारी घाटे में थी। 2007-08 में कंपनी का घाटा 90 करोड़ रु. था, जो 2009 में बढ़कर 400 करोड़ रु. तक पहुंच गया। निवेश क्या इसलिए किया गया, कि राजीव शुक्ला आईपीएल की उस गर्वनिंग कौंसिल के सदस्य भी हैं, जो फ्रेंचाइजी बांटती है। दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि आईपीएल की कमान राजीव शुक्ला को दी जा सकती है, जो आईपीएल संचालन के लिए प्रस्तावित तीन सदस्यों की कोर कमेटी की बागडोर संभालने वालों में शामिल किए जा सकते हैं। उनकी एंट्री मोदी के रिप्लेस में होनी तय सी मानी जा रही है। यदि ऐसा होता है तो?? बहरहाल, इंडियन प्रीमियर लीग के तीसरे संस्करण का खिताबी मुकाबला आज नवी मुंबई के डीवाय पाटिल स्टेडियम में हो रहा है। मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स के बीच होने वाले इस विस्फोटक मुकाबले के लिए दोनों ही टीमें अपना सब कुछ दाव पर लगाने वाली हैं। बाकी सियासी आईपीएल तो अभी कुछ दिन और चलेगा। 26 को बीसीसीआई का फाइनल मैच है, उसके बाद मोदी भ्रष्टाचार पर छक्का मारने की घुड़की दे चुके हैं। बता चला है कि इस दलदल में भाजपा के भी पांव फंसे हैं। मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और सांसद अरुण जेटली का नाम लिया जा रहा है। इसलिए बहुत संभव है कि कल से आईपीएल पर संसद में भाजपा के सुर बदले-बदले से नजर आएं तो कोई हैरत नहीं होनी चाहिए। इंतजाम कर लिए गए हैं। फोन टैपिंग का शोर मचाकर आईपीएल मुद्दे को बीसीसीआई की ओर ठेल कर रखा जाए। भ्रष्टाचार ने इन दिनों पूरी भारतीय सियासत को फेट रखा है। सारी पार्टियां औंधे मुंह हैं। महिला आरक्षण बिल अस्ताचल की ओर विदा करने के बाद जो लोग महंगाई का राग अलाप रहे हैं, या फोन टैपिंग के बहाने आईपीएल मामले को जो लोग दूसरी दिशा में ठेलने की रणनीति बना रहे हैं, उन्हें शायद इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता दिख रहा है कि देश की जनता भी ये तमाशा देख-समझ रही है। लेकिन क्या कर लेगी जनता?
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