Friday, March 26, 2010
घर के 'शत्रुओं' को बख्शेंगे नहीं शत्रुघ्न
(sansadji।com)
पटना साहिब (बिहार) लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिह्नाका कहना है कि पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ उनके मतभेदचंद दिनों की बात है। पार्टी के अंदर ही कई लोग उनके विरोध में कामकर रहे हैं। राजनीति में दो तरह के विरोधी होते हैं। एक प्रत्यक्ष दिखनेवाला विपक्ष होता है और दूसरा पार्टी के अंदर के विरोधी होते हैं। वहअपनी पार्टी के अंदर के तानाशाहों से निपटने की इच्छा रखते हैं। मैंअपने विरोध में उठ रहे सभी स्वरों को दबाने के लिए तैयार हूं और मुझे यकीन है कि मैं इस काम में सफल रहूंगा।वह कहते हैं कि गडकरी अच्छे इंसान हैं। वह मेरे छोटे भाई की तरह हैं। हमारे बीच जो भी मतभेद हैं, वे जल्दसुलझा लिए जाएंगे। अगली बार जब मैं उनसे मिलूंगा, तब हमारे बीच सकारात्मक बातें होंगी। यह परिवार केअंदर का मतभेद है और ऐसे मतभेद आसानी से सुलझा लिए जाते हैं। उल्लेखनीय है कि भाजपा अध्यक्ष गडकरी नेजब से पार्टी की नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन किया है, शॉटगन नाम से मशहूर अभिनेता एवं सांसद शत्रुघ्नलगातार कुछ न कुछ मीडिया के सामने व्यक्त करने से नहीं चूक रहे हैं। वह टीम गडकरी पर उंगली उठाकर सुर्खियोंमें बने हुए हैं। पिछले दिनों जब पानी नाक से ऊपर होता दिखा तो अपने बेटे लव सिन्हा की पहली फिल्म सदियां केप्रचार के दौरान उन्होंने हल्की चुप्पी साध ली, फिर इतना बोल ही गए कि अपने आत्मविश्वास के चलते ही मैं इसमुकाम पर पहुंचा हूं और मुझे सफेद को सफेद और काले को काला कहने की आदत है। उससे पहले भाजपा अध्यक्षकी टीम पर उंगली उठाते हुए उन्होंने कहा था कि वह पार्टी में कोई पद पाने के लिए नहीं, बल्कि पार्टी की बेहतरी केलिए ऐसा कर रहे हैं। मैंने अपने लिए कभी किसी पद या ओहदे की मांग नहीं की। जहां तक किसने क्या पाया कासवाल है तो, मैं इतना ही कह सकता हूं कि मैंने कद पाया है। भाजपा की नई टीम पुरानी बोतल में नई शराब है औरइसमें में काबिल लोगों को नजरअंदाज किया गया है। मुझे नहीं लगता कि अपनी चिंताएं रख कर मैंने कोईलक्ष्मण रेखा पार की है। मैंने जो कुछ कहा पार्टी की भलाई के लिए कहा है। स्वास्थ्य कारणों के चलते पूर्वप्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सक्रिय राजनीति में नहीं रहने से पार्टी में शून्य पैदा हो गया है। उनके सक्रियनहीं रहने से पार्टी की प्रगति कमजोर हुई है। अटलजी हमारे देश के सबसे कद्दावर नेताओं में हैं। हमारा कहना हैकि नये लोग आने चाहिए लेकिन अनुभव का कोई विकल्प नहीं है। हमें वरिष्ठ नेताओं के दिशानिर्देश कीआवश्यकता है और इसी बात की कमी हममें है। हम अटल जी के खराब स्वास्थ्य और कुछ अन्य वजहों से उनकादिशानिर्देश नहीं हासिल कर पाये हैं।
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1 comment:
आभार यह समाचार पढ़वाने का/
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