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(sansadji.com)
सरकार से सिफारिशः जब कृषि मौसम नहीं हो तभी नरेगा में रोज़गार दिया जाए
एक संसदीय समिति ने फसल के मौसम में राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना के तहत काम नहीं देने की सिफारिश की है क्योंकि उसके विचार में इससे देश का कृषि कार्य प्रभावित हो रहा है। समिति ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अनेक राज्यों में नरेगा के अंतर्गत काम करने की वजह से फसल के मौसम में कृषि कार्यो के लिए मजदूर उपलब्ध नहीं होते हैं जिसके चलते कृषि कार्य रूक जाते हैं। उसने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि नरेगा के तहत मजदूर केवल गैर कृषि मौसम में ही काम करें, दिशा-निर्देशों में संशोधन करना पड़े तो उसे किया जाए। समिति सरकार के इस तर्क से सहमत नहीं है कि नरेगा में 100 दिन काम करने के बाद मजदूर कहीं भी काम करने को स्वतंत्र है। संसदीय समिति का कहना है कि इस बात का बाकायदा सर्वेक्षण किया जाए कि नरेगा से फसल के मौसम में कृषि कार्य किस हद तक प्रभावित हो रहा है। इसमें कहा गया है कि इस सर्वेक्षण के नतीजे के अनरूप दिशा निर्देशों में आवश्यक परिवर्तन किए जाएं जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि फसल के मौसम में नरेगा के तहत रोजगार नहीं दिया जाएगा। समिति का मानना है कि देश की कृषि उत्पादकता को प्रभावित होने से बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है। सरकार को चाहिए कि जब कृषि मौसम नहीं हो, उस अवधि में ही नरेगा के तहत रोज़गार दिया जाए। रिपोर्ट में इस बात पर भी चिंता जताई गयी है कि नरेगा के तहत सृजित परिसंपत्तियों की गुणवत्ता कुल मिलाकर घटिया, गैर टिकाऊ और गैरउत्पादक है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार ने रोज़गार प्रदान करने की उत्सुकता में इस योजना के तहत सृजित की जा रही परिसंपत्तियों की गुणवत्ता को नज़रअंदाज़ किया है। (भाषा से साभार)
1 comment:
कोई कुछ भी कहे मै जानता हू गाँवो मे विकास हुआ है
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