Saturday, March 27, 2010
राहुल के खिलाफ माया के हाथ लगा नया दांव
(खबर sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)
राहुल अमेठी में, कोर्ट ने दिया इस क्षेत्र को छत्रपति 'शाहूजी महाराज नगर' नाम से जिला बनाने का आदेश
पूर्व में विफल रहीं बसपा सुप्रीमो मायावती शायद ही चूक करें लेकिन इस समय तो यहां मतगणना हो रही
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का लोकसभा क्षेत्र अमेठी उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नए तरह की अखाड़ेबाजी का सबब बनने जा रहा है। हाईकोर्ट द्वारा जिले के रूप में छत्रपति शाहूजी महाराज नगर(अमेठी) की बहाली का जो आदेश दिया है, उससे कांग्रेस बनाम बसपा की राजनीति परस्पर और प्रखर होने के अंदेशे बढ़ चले हैं। इससे दोनों पार्टियों के बीच अदावत का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। वैसे भी कल से राहुल गांधी दो दिन के लिए सुल्तानपुर में ही डेरा डाले हुए हैं। उनकी कल की मीटिंग में कांग्रेस और बसपा विधायकों के बीच आस्तीनें भी खिंच चुकी हैं। मुद्दा बना नरेगा का भ्रष्टाचार। राहुल का कहना था कि केंद्र से मिल रहे नरेगा के पैसे को राज्य सरकार सही इस्तेमाल नहीं कर रही है। करोड़ों रुपया पात्र लोगों तक पहुंचने की बजाय भ्रष्टाचारियों की जेब में जा रहा है। कल उन्होंने माया सरकार को चेतावनी भी दे डाली कि स्थिति दुरुस्त न हुई तो केंद्र सरकार राज्य सरकार के इस मामले में सीधा हस्तक्षेप करने से नहीं चूकेगा। राहुल की इस यात्रा के साथ कुछ-एक और अप्रिय बातें रहीं। प्रशासन के साथ जहां उनकी मीटिंग होनी थी, पहले से मधुमक्खियों के छत्ते जमे हुए थे। उड़ाने के बावजूद मधुमक्खियां वहां से जाने का नाम नहीं ले रही थीं। अंत तक एसपीजी की भृकुटियां तनी रहीं। खैर, हंगामेदार बैठक तो हुई। उधर, प्लेन से उतरने के बाद अमेठी कूच करते समय राहुल के रास्ते में कोई अजनबी आ गया, जिसे पुलिस को झपटकर दबोचना पड़ा। अब नया मरोड़ अमेठी को जिले का दर्जा देने को लेकर उठ रहा है। बसपा सरकार में अमेठी संसदीय क्षेत्र की पाँचों विधानसभा सीटों को मिलाकर छत्रपतिशाहूजी महाराज नगर बनाने का फैसला हुआ था। उन दिनों कांग्रेस-बसपा में सियासी मुकाबला इस विंदु तक पहुंच गया था कि मायावती ने अमेठी में बड़ी रैली कर इस संसदीय क्षेत्र के पाँचों विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर छत्रपति शाहूजी महाराज नगर नाम से एक नए जिला बनाने की घोषणा कर दी थी। कांग्रेस इसका विरोध करने लगी थी। नया जिला गठित करने की औपचारिकताएँ पूरी होतीं, उससे पहले ही बसपा ने भाजपा से गठबंधन खत्म कर देने का फैसला ले लिया और अपनी सरकार गिरा दी थी। बाद में प्रदेश में सपा की सरकार बनी और उसने मायावती सरकार में बने सभी नए नौ जिले और चार मण्डल खत्म कर दिए थे। मामला अदालत गया और वहाँ से बहाली हो गई, लेकिन चूँकि अमेठी जिला गठित ही नहीं हो सका था इसलिए उसकी बहाली नहीं हो सकी। अब जब अदालत ने सरकार से विचार करने के लिए कहा है तो बसपा को बैठे बिठाए मनमुताबिक सियासी मुद्दा मिल गया है। ताजा पेंच ये भी है कि इस समय जनगणना चल रही है और इस दौरान कोई नया जिला, तहसील आदि नहीं बन सकती। इसलिए कोर्ट के आदेश के बावजूद तीन माह तक इस दिशा में कुछ होना मुमकिन नहीं लगता। उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने छत्रपति शाहू जी महाराज जिले को बहाल किए जाने के मामले में राज्य सरकार को निर्णय लेने का आदेश दिया है। पीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह जिले को बहाल किए जाने के मामले में याची के अनुरोध पर तीन माह में विचार कर अपना निर्णय ले सकती है। सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील अमेठी, गौरीगंज, मुसाफिरखाना व रायबरेली जिले की सलोन व तिलोई कुल पांच तहसीलों को जोड़कर 21 मई 2003 को तत्कालीन बसपा सरकार ने एक नया जिला छत्रपति शाहू जी महाराज बनाना चाहा था। ऊपर बताया जा चुका है कि 13 नवंबर 2003 को दूसरी सरकार आने पर इस जिले को बनाये जाने सम्बंधी आदेश खारिज कर इसी के साथ नवनिर्मित नौ जिलों व चार मण्डलों को बनाये जाने सम्बंधी आदेश भी खारिज कर दिया था। पूर्व में निरस्त किए गये नौ जिलों व चार मण्डलों को याची राकेश कुमार शर्मा की ओर से चुनौती दी गयी जिनको बहाल किए जाने के आदेश पीठ ने 21 मई 2004 को दिए थे। केवल छत्रपति शाहू जी महाराज जिले को बहाल नहीं किया गया था। याची उमाशंकर पाण्डेय ने अधिवक्ता अशोक पाण्डेय की ओर से याचिका प्रस्तुत कर मांग की गई थी कि अन्य जिलों की तरह छत्रपति शाहू जी महाराज को भी बहाल किया जाये। अब कार्यकारी मुख्य न्यायमूर्ति अमिताव लाला व न्यायमूर्ति शमीहुल हसनैन की खण्डपीठ ने इस प्रकरण में सरकार से तीन माह में निर्णय लेने को कह दिया है। सूबे में सरकार फिर बसपा की है। उसकी कांग्रेस से खूब ठनी भी हुई है। अभी इस पर अन्य पार्टियों का रुख सामने नहीं आया है, लेकिन इतना साफ माना जा रहा है कि चाहे जैसे भी, इस मर्तबा शायद ही मामला अपने चंगुल से जाने दे, यानी अमेठी के जिला 'छत्रपति शाहू जी महाराज' बनने से शायद ही कोई रोक सके। आदेश अदालत का है। मौका भी है, दस्तूर भी। जिला बना तो इसका कांग्रेस की क्षेत्रीय सियासत पर असर पड़ने से भी इनकार नहीं किया जाना चाहिए। वैसे केंद्र में सत्ता कांग्रेस की है, इसलिए तू डाल-डाल, मैं पात-पात जैसी कोई नई बात सामने आ जाए तो उस पर भी कोई अचरज नहीं किया जा सकता है।
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