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(sansadji.com)
लोकसभा के बजट सत्र का दूसरा चरण 12 अप्रैल की बजाय अब 15 अप्रैल से शुरू होगा। सांसदों ने 13 अप्रैल को बैसाखी और 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती को देखते हुए 15 अप्रैल से बैठक शुरू करने का अनुरोध किया था। लोकसभा सचिवालय की एक सूचनानुसार सदन की बैठक अब 15 अप्रैल से शुरू होगी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक बैठक 12 अप्रैल को शुरू होने वाली थी। इस प्रकार 12 और 13 अप्रैल के लिए निर्धारित बैठकें रद्द कर दी गई हैं। दो चरणों में होने वाले संसद के बजट सत्र के तहत लोकसभा की बैठक 22 फरवरी को शुरू हुई थी और यह 16 मार्च तक चली थी। दूसरे चरण की बैठक सात मई तक चलनी है। सदन में करीब तीन सप्ताह के अवकाश के दौरान स्थायी समितियां विभिन्न मंत्रालयों के बजट की समीक्षा कर रही हैं। बजट सत्र का प्रारंभ 22 फरवरी को संसद के दोनों सदनो के सयुंक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के अभिभाषण से हुआ था। पहले चरण में 15 बैठकें हुयी और इस दौरान 2010-11 का आम बजट तथा रेल बजट पेश किया गया। महिला आरक्षण विधेयक को लेकर भारी हंगामे के कारण कम से कम चार दिन सदन में कोई कामकाज नहीं हो सका। बजट प्रस्तावों में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क बढाने के विरोध में विपक्ष ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के बजट भाषण का बहिष्कार किया। लोकलुभावन फैसलों के लिए संप्रग के घटक दलों के दबाव और कठोर फैसलों की जरूरत बताने वाली प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सलाह के बीच गत बजट सत्र जितना हंगामेदार रहा, आगे की संभावनाएं भी कमोबेश वैसे ही संकेत देती हैं। विपक्ष मंहगाई के मुद्दे पर सरकार को घेर सकता है। लगभग तीन महीने के बजट सत्र के दौरान मंहगाई, आंतरिक सुरक्षा, उर्वरक की कीमतों में बढोत्तरी और सरकार के एकतरफा तरीके से भारत..पाक सचिव स्तरीय वार्ता शुरू करने जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरने की विपक्ष की कोशिशें जारी हैं। इस बीच एक बड़ा मसला परमाणु विधेयक भी माना जा रहा है, जिसको लेकर अमेरिकी प्रतिनिधि मान-मनव्वल की मुद्रा में भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से पिछले दिनों बातचीत भी कर चुके हैं। आगे के बजट सत्र के दौरान कश्मीर में स्वशासन की सिफारिश से संबंधित सगीर अहमद समिति की रिपोर्ट, रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट आदि पर भी चर्चाएं गर्म हो सकती हैं। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार कह चुकी हैं कि सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सदन की बैठक सुचारू रूप से चलाने में पूरा सहयोग मिलना चाहिए। वह चाहती हैं कि बजट सत्र के दौरान सदन की 35 बैठकों में हर दिन का कामकाज सुचारू रूप से चले। लेकिन लगता नहीं कि आगे भी ऐसा हो सकेगा।
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