Monday, February 22, 2010

अटल के कमरे में विराजे आडवाणी




भाजपा संसदीय दल में बदलाव की हवा आज उस समय साफ महसूस की गई जब राजग के नवनियुक्त कार्यकारी अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने संसद भवन में अपने वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी के कक्ष से अपना कामकाज शुरू कर दिया। वाजपेयी अब भी राजग के अध्यक्ष हैं और इसी हैसियत से उन्हें यह कक्ष मिला है। वाजपेयी को आवंटित यह कक्ष उनके अस्वस्थ होने के कारण पिछले दो सालों से अधिक से प्रयोग में नहीं था। वाजपेयी की अस्वस्थता को देखते हुए राजग की कल की बैठक में आडवाणी को उनके स्वस्थ होने तक इस गठबंधन का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वाजपेयी के इस कक्ष के बाहर अब भी उनके ही नाम की तख्ती लगी है। यह कक्ष हालांकि उस कक्ष से छोटा है जो विपक्ष के नेता के रूप में आडवाणी को मिला था। यह कक्ष अब विपक्ष की नई नेता सुषमा स्वराज को मिल गया है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कार्यालय के आकार नहीं बल्कि उसके महत्व के मायने हैं। आडवाणी ने लोकसभा में विपक्ष के नेता के लिये सुरक्षित सीट भी सुषमा को सौंप दी है, जो उपाध्यक्ष करिया मुंडा की सीट के साथ है। आडवाणी आज सदन में इस सीट के बजाय विपक्ष की अग्रिम पंक्ति में भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह, सदन में पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे और वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ बैठे।

sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार


संसद पर गूंजे तेलंगाना के नारे

सोमवार को संसद में एक ओर राष्ट्रपति का अभिभाषण चलता रहा, दूसरी तरफ पृथक तेलंगाना राज्य की मांग की गूंज संसद के अंदर-बाहर दोनों जगह सुनाई पड़ती रही। सांसदों ने इस बारे में जहां राष्ट्रपति के अभिभाषण में इसका जिक्र होने के चलते संसद के केन्द्रीय कक्ष में ही विरोध जताया, वहीं कुछ सांसदों ने प्रधानमंत्री से मिलकर इस मामले पर शीघ्र कदम उठाने का आग्रह किया। उधर तेलंगाना क्षेत्र के वकीलों ने पृथक राज्य के समर्थन में संसद के समक्ष सड़कों पर अपना उग्र प्रदर्शन किया निजामबाद से सांसद मधु याक्षी गौड़ा ने बताया कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जब संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में अभिभाषण दे रही थीं उस समय उन्हें मिलाकर छह से अधिक सांसदों ने काली कमीज पहनकर पृथक तेलंगाना राज्य के समर्थन में तख्तियां लहरायीं। सांसदों ने अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी मुलाकात की और उन्हें स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया। प्रधानमंत्री ने आश्वस्त किया है कि सरकार इस समस्या के समाधान के लिये काम कर रही है। उन्होंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान लोगों की मौत होने पर भी चिंता जतायी। उधर तेलंगाना अधिवक्ता संयुक्त कार्य समिति के बैनर तले आज लगभग 200 वकीलों ने संसद मार्च किया और सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए सुरक्षा घेरे को तोड़ कर संसद भवन से महज 100 किलोमीटर की दूरी तक पहुंच गये।ये वकील पहले चलो संसद धरने के लिये संसद मार्ग के एक छोर पर स्थित जंतर मंतर पर इकट्ठा हुए। इसके बाद वे पुलिस को चकमा देते हुए संसद भवन से महज 100 मीटर दूर पहुंचने में कामयाब रहे। इन वकीलों को बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। धरने के बाद विरोध प्रदर्शनरत वकीलों ने अपने काले कोट उतार दिये और जंतर मंतर से एक किलोमीटर की भी कम दूरी पर स्थित संसद भवन की ओर चुपचाप जाने लगे। ये विरोध प्रदर्शनकारी बाद में छोटे समूहों में बंट गये। जैसे ही वे संसद के नजदीक पहुंचे, उन्होंने अपने कोट फिर पहने लिये और अपराहन करीब तीन बजे संसद भवन से सटे संसद एनेक्सी पर पहुंच कर नारे लगाने लगे। इससे थोड़ी देर पहले ही संसद के बजट सत्र के पहले दिन की कार्यवाही खत्म हुई थी। करीब 90 मिनट तक प्रदर्शनकारियों ने संसद मार्ग पर यातायात बाधित किया। संसद के भीतर की गहमागहमी से इतर बाहर की गहमागहमी का यह कुछ अलग ही नजारा रहा।

लोकसभा में आज खिंचेगा पाला, गूंजेगी महंगाई

महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की विपक्ष की मांग के बीच इस विषय पर लोकसभा में मंगलवार को चर्चा हो सकती है और सरकार ने आज कहा कि उसका रूख इस विषय पर सभी को साथ लेकर चलने का है। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने प्रेट्र से कहा ‘‘ हम इसके लिए हमेशा तैयार हैं, किसी भी विषय पर ठोस चर्चा के लिए। इस आशय का निर्णय कल लोकसभा की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि तीन महीने लंबा चलने वाला संसद का बजट सत्र शुरू होने के साथ ही राष्ट्रपति के अभिभाषण और दिवंगत राजनेताओं को श्रद्धांजलित अर्पित कर सोमवार को सदन मंगलवार की सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया। भाजपा समेत कई विपक्षी दलों ने मंगलवार को महंगाई के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की है। भाजपा ने इस विषय पर चर्चा नहीं कराये जाने की स्थिति में कार्य स्थगन प्रस्ताव पेश किये जाने की धमकी भी दी है। सोमवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद विपक्ष ने जिस तरह की निराशा जताई है, वह मंगलवार को तीखी प्रतिक्रियाओं में व्यक्त हो तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद महंगाई को जिस तरह पंख लगे हैं, कृषि मंत्री शरद पवार के मुंह खोलते ही जिस तरह दूध और चीनी के दाम उछल पड़े हैं, उसने विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा थमा दिया है। आश्चर्य की बात ये मानी जा रही है कि महंगाई जैसा मुद्दा किसी जमाने में वामपंथी नेताओं का मुख्य स्वर हुआ करता था, अब वह वह आवाज भाजपा के गले का हार बनती जा रही है। कांग्रेस के लिए यही सबसे बड़े आश्वासन की बात हो सकती है। माकपा-भाकपा हों या सपा-बसपा-राजद-राजग-रालोद, महंगाई के मुद्दे पर भाजपा की हुंकार ने अन्य सभी विपक्षियों के सुर शिथिल कर दिए हैं। पिछले कुछ महीनों में गुड्स और सर्विसेज की कीमतों में तेजी से हुई बढ़ोतरी भी सरकार की बड़ी चुनौती है। बढ़ती महंगाई दर के पीछे सिस्टम में नकदी की अधिकता और पिछले साल के लोअर बेस इफेक्ट को वजह बताया जा रहा है। सप्लाई सिस्टम का दुरुस्त होना भी बढ़ती महंगाई दर की एक बड़ी वजह है। लिहाजा इस चुनौतियों से लड़ने की उम्मीद भी वित्त मंत्री से की जा रही है। महंगाई के अलावा नक्सलवाद, महिला आरक्षण तथा रोजगार जैसे देश के ज्वलंत मुद्दों पर राष्ट्रपति के अभिभाषण में कोई ठोस कार्यक्रम का अभाव होने का आरोप लगाते हुए विपक्षी भाजपा, वाम दलों और सरकार को बाहर से समर्थन दे रही सपा ने कहा है कि इससे सरकार का ढुलमुल रवैया प्रदर्शित होता है जबकि कांग्रेस सहित सत्तारूढ दलों ने इन आरोपों से इंकार करते हुए कहा कि इसमें आम जनता की भलाई की दिशा में कई महत्वपूर्ण पहल का जिक्र है। विपक्ष के आरोप हैं कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में देश की दशा और दिशा का कोई जिक्र नहीं किया गया है। सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों के बारे में कुछ भी ठोस नहीं कहा गया है और कोई कार्ययोजना नहीं बताई गई है। भाषण में मूल्य वृद्धि के बारे में उपचारात्मक उपायों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। राष्ट्रपति के भाषण में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का ढुलमुल रवैया प्रदर्शित होता है और यह काफी उबाऊ है, जिसमें किसानों के हालात के बारे में कुछ खास नहीं कहा गया है। दूसरी तरफ से कांग्रेस का जवाब भी उतना ही असंतोषकारी है कि विपक्षी दलों के पास कोई मुद्दा नहीं है और वह बिना अभिभाषण का अध्ययन किये ही आरोप लगा रहे हैं। वह राष्ट्रपति का अभिभाषण ठीक से पढ़ें। सवाल राष्ट्रपति का अभिभाषण पढ़ने का नहीं, बल्कि उस जनता के हालात का है, जो महंगाई की मार से हांफ रही है। उस जनता का दर्द बयान करने के लिए किसी अभिभाषण की जरूरत नहीं रह जाती है। विपक्ष कहे, कहे, सारा देश कह रहा है कि सरकार से उसे अपने गंभीर हालात का समाधान चाहिए ही चाहिए। देखिए, मंगलवार को देश के इस गंभीरतम मसले पर सरकार और विपक्षी माननीयों के कैसे तेवर देखने को मिलते हैं?

sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से साभार

No comments: