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(sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)
पुल तो एक बहाना है, सोनिया पर निशाना हैः .....पुल को लेकर लोकसभा में आज जबर्दस्त हंगामा हो गया। आर.पी.एन. सिंह ने लोकसभा में पुल उद्घाटन मामले में विशेषाधिकार हनन का नोटिस स्पीकर को सौंप दिया। उत्तर प्रेदश में रायबरेली पुल प्रकरण अनायास की बात नहीं। इसकी आड़ में बसपा ने कांग्रेस के खिलाफ दूरदर्शी रणनीति बनाई है। केंद्र सरकार की सहायता से डलमऊ में गंगा पर एक किलोमीटर लंबा पुल बना है। रायबरेली जिले को फतेहपुर जिले से जोड़ने वाले गंगा नदी पर निर्मित इस पुल की लंबाई 1025 मीटर है। इस पुल का शिलान्यास तत्कालीन रायबरेली सांसद इंदिरा गांधी ने 1976 में किया था। 2004 में यह मसला सरगर्म होने पर सांसद सोनिया गांधी ने दखल देकर इसे बनवाया। आज भी रायबरेली से सांसद हैं कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी। यहां डलमऊ घाट पर बने पुल का बुधवार को राज्य के लोकनिर्माण विभाग मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने आकस्मिक तरीके से उद्घाटन कर डाला। अब इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बसपा में ठन गई है। बसपा चाहती है कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले ऐसे ही इतने मामले लपेट लिए जाएं कि बेधड़क दौड़ते राहुल गांधी के रथ पर लगाम लग सके। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. रीता बहुगुणा जोशी कहती हैं कि पुल का इस तरह उद्घाटन करना दुर्भावनापूर्ण है। यह कदम रायबरेली की जनता की भावनाओं के विरूद्ध है। जनता इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगी। केन्द्रीय राशि से बने पुल का लोकार्पण तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को करना था। जहां तक राजनीति का प्रश्न है, फिलहाल तो बसपा बाजी मार गई है। पुल का लोकार्पण सोनिया गांधी को मार्च के दूसरे हफ्ते में करना था। इसके जवाब में प्रदेश सरकार ने कहा था कि लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी चार मार्च को इसका लोकार्पण करेंगे। बुधवार को केंद्रीय भूतल परिवहन राज्य मंत्री आरपीएन सिंह के विशेष विमान से रायबरेली पहुंचने की खबर पर नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपने निर्धारित कार्यक्रम से एक दिन पहले ही लखनऊ से उस पुल का लोकार्पण कर डाला। इसके बाद कांग्रेस के आधा दर्जन विधायकों अजयपाल सिंह(डलमऊ), शिव गणेश लोधी(सतांव), शिवबालक पासी(सलोन), अशोक सिंह (सरेनी) और राजारम त्यागी(बछरावां) ने लखनऊ में राज्यपाल बीएल जोशी को ज्ञापन देकर लोकार्पण रोकने की मांग की। विधायकों ने बताया कि सोनिया गांधी द्वारा पुल के लोकार्पण को लेकर केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा 17 फरवरी को ही सूचना दे दी गई थी। बीच में राज्य सरकार ने अपनी ओर से कार्यक्रम घोषित कर लिया। इस बीच जब केंद्रीय भूतल परिवहन राज्यमंत्री आरपीएन सिंह रायबरेली पहुंचे तो जिला प्रशासन ने रास्ते में मुंशीगज में ही रोक लिया। प्रशासन की दलील थी कि बिना अनुमति मौके पर जाने से शांतिभंग की आशंका है। इस कार्रवाई से खफा कांग्रेसियों ने जमकर हंगामा काटा व लखनऊ-इलाहाबाद मार्ग पर यातायात रोककर पौने तीन घंटे तक हंगामा किया। इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर तकरार हुई। प्रशासन के लिखकर देने पर मंत्री वापस लौटे। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि उन्हें इस तरह रोकना और पुल का निरीक्षण न करने देना सैद्धांतिक एवं कानूनी रोक से रूप गलत है। अब पूरे प्रदेश में मंत्रालय के सभी कार्यो का रिव्यू करायेंगे। आरपीएन सिंह विशेष विमान से रायबरेली के फुर्सतगंज पहुंचे थे। वहां से जिले के सभी कांग्रेस विधायक व अन्य नेताओं के साथ डलमऊ रवाना हुए थे। उधर, संसद सत्र के दौरान केंद्रीय मंत्री को रोकने का प्रकरण लोकसभा अध्यक्ष के पास तक पहुंच गया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस मामले पर उन्होंने पत्र लिखा है कि लोकसभा अध्यक्ष से अनुमति लिये बगैर कैसे रोका गया। बहरहाल, सारी नोकझोंक, बयानबाजी के पीछे असली बात उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों को लेकर तेज होने वाली सियासी रणनीति बताई जा रही है। उल्लेखनीय होगा कि पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की आश्चर्यजनक बढ़त से यूपी में बसपा की आज भी नींद उड़ी हुई है।
1 comment:
केंद्र और राज्यों में इस प्रकार का टकराव राष्ट्रहित में नहीं है|
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