Friday, March 5, 2010

लालकृष्ण-मनमोहन में नूरा-नोकझोंक, लालू को जम्हाई



इस बार संसद का बजट सत्र रोज नए-नए चित्र खींच रहा है। महंगाई पर तकरार हो चुकी है। अब महिला आरक्षण बिल पर तलवार खिंची है। पिछले तीन दिन से भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच तकरार चल रही रही है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने आज कहा कि आडवाणी जी ने पूर्व सैनिकों के एक रैंक एक पेंशन का मुद्दा उठाया है। वास्तविक स्थिति यह है कि हमने कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक रैंक, एक पेंशन और संबंधित मामलों पर विचार के लिए एक समिति का गठन किया था। समिति ने एक रैंक एक पेंशन की सिफारिश नहीं की थी लेकिन समिति ने अधिकारी रैंक और कमीशन अधिकारी के नीचे के पूर्व सैन्य कर्मचारियों के पेंशन फायदे के लिए जो भी सिफारिशें कीं, उन्हें सरकार ने मान लिया है। समिति की सात में पांच सिफारिशों को लागू किया जा चुका है जबकि शेष दो को जल्द लागू किया जाएगा। स्वतंत्रता दिवस के भाषण में मैंने यही कहा था। गौरतलब है कि आडवाणी ने कल भाजपा संसदीय दल की बैठक में आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री ने यह गलत दावा कर संसदीय गरिमा को ठेस पहुंचायी है कि सशस्त्र सैनिकों के लिए घोषित बढी हुई पेंशन दे दी गयी है। बुधवार को सदन में अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के दौरान आडवाणी के भाषण के बीच में प्रधानमंत्री ने कम से कम चार बार हस्तक्षेप कर उनके आरोपों को खारिज किया था। जब संसद में आज प्रधानमंत्री का भाषण चल रहा था, उधर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जम्हाई ले रहे थे। तभी लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने व्यवस्था बनाये रखने का आग्रह किया। भाषण के दौरान लालू ने कुछ देर के अंतराल के बाद दो बार इतनी जोर से जम्हाइयां लीं कि सारा सदन उन्हें देखने लगा। दूसरी बार ऐसा करने पर अध्यक्ष ने कहा कि कृपया सदन में व्यवस्था बनाए रखिये। बाद में लालू ने खड़े होकर मनमोहन के भाषण में हस्तक्षेप किया। जब वह सदन को आश्वासन दे रहे थे कि भारत-पाक संबंधों में किसी बिचौलिये की भूमिका को नहीं स्वीकार किया जाएगा। इस पर लालू ने कहा कि तब आपके थरूर (विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर) क्या कह रहे हैं। वैसे प्रधानमंत्री का भाषण शुरू होने से पहले लालू सत्ता पक्ष के मंत्रियों की सीट पर कुछ देर के लिए नजर आये। वह वहां जाकर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से काफी देर तक बात करते देखे गये। मुखर्जी भी उन्हें बीच-बीच में कंधा थपथपाकर कुछ आश्वासन देते नजर आये। मुखर्जी से बातचीत के बाद लालू अपने दूसरी तरफ बगल बैठे कृषि मंत्री शरद पवार से मुखातिब हुए और दोनों एक-दूसरे की मुट्ठी पकडे बैठे नजर आये। प्रधानमंत्री के आने से कुछ पहले लालू अपनी सीट पर जाकर बैठ गये।

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