Monday, February 16, 2009

दिलों को तेरे तब्बसुम की याद यूं आई








चांद निकले किसी जानिब तेरी ज़ेबाई का
रंग बदले किसी सूरत शब् -ए -तनहाई का
दौलत -ए -लब से फिर आई खुस्राव -ए -शिरीन
दहनआज रिज़ा हो कोई हर्फ़ शाहान्शाई का
दीदा -ओ -दिल को संभालो कि सर -ए -शाम "फिराक "



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साज़ -ओ -सामान बहम पहुँचा है रुसवाई का


यह नर्म-नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चिराग
तेरे ख्याल की खुशबू से बस रहे हैं दिमाग
दिलों को तेरे तब्बसुम की याद यूं आई
की जगमगा उठें जिस तरह मंदिरों में चिराग
तमाम शोला-ए-गुल है तमाम मौज-ए-बहार
कि ता-हद-ए-निगाह-ए-शौक लहलहाते हैं बाग
नई जमीं, नया आस्मां, नई दुनिया
सुना तो है कि मोहब्बत को इन दिनो है फराग
दिलों में दाग-ए-मोहब्बत का अब यह आलम है
कि जैसे नींद में डूबे हों पिछली रात चिराग.
फिराग बज्म-ए-चिरागां है महफिल-ए-रिंदां
सजे हैं पिघली हुई आग से छलकते अयाग.

1 comment:

Anonymous said...

क्षमायाचना सहित,
उर्दू में हाथ तंग है। अगर कठिन शब्‍दों का हिंदी अनुवाद साथ होता तो शायद हम भी आनंद ले लेते।