एक तरफ लाखों-करोड़ों आईटी छात्र देश-दुनिया के इंजीनियरिंग कॉलेजों में अपने भविष्य के सपने बुन रहे हैं, दूसरी तरफ कंपनियां अपने लाखों कर्मचारियों को बेलौस बाहर का रास्ता दिखा रही हैं. प्लेसमेंट किस चिड़िया का नाम है, छात्र और कालेज भूलते-से जा रहे हैं. बाहर चारों तरफ भगदड़ का माहौल है. उम्मीद है तो सिर्फ इतनी कि शायद कुछ साल बाद हालात काबू में आ जाएं. हालात तो तब काबू में आएंगे, जब मंदी से निजात मिले. हाल-फिलहाल तो ऐसा लगता नहीं.
आईटी क्षेत्र के करोड़ों कर्मचारियों पर गाज गिरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर कंपनियां हजारो-हजार लोगों को एक साथ नौकरी से विदा कर दे रही हैं, दूसरी तरफ जरूरत के हिसाब से भर्तियां भी कर ले रही हैं. सत्यम कंप्यूटर के ही सायेदार सत्यम बीपीओ अपने अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के लिए नए कर्मचारियों की भर्ती कर रही है. अभी तक नई नियुक्तियों को लंबित रखा गया था. देश की सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कंपनी टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ट्रेनीज के सहारे काम निकाल लेना चाहती है. टीसीएस के वाइस प्रेजिडेंट अजय मुखर्जी कहते हैं कि ऐसा कॉस्ट मैनेजमेंट के मद्देनजर किया जा रहा है. अब अनुभवी लोगों को नौकरी पर रखने से पहले डोमेन एक्सपर्टीज और बिजनेस जरूरतों को ध्यान में रखा जाना जरूरी हो गया है. दूसरी ओर कंपनी अगले कारोबारी साल (2009-10) में 24,800 लोगों की भर्ती करने का इरादा भी जताती है. आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया को 12 से 15 महीने के लिए टाल दिया है. इससे पहले आईटी कंपनियां इंजीनियरिंग छात्रों को प्रशिक्षण पूरा करने से पहले ही नौकरी दे देती थीं. एचआर कंसल्टिंग फर्म हेविट और अमेरिकी कंपनियों का भारत में प्रतिनिधित्व करने वाले समूह एएमसीएचएएम की तमिलनाडु में कराई गई स्टडी में यह बात सामने आई है कि इंजीनियरिंग संस्थानों के काफी फैकल्टी सदस्यों का मानना है कि कॉलेजों में प्लेसमेंट अंतिम सेमेस्टर में ही कराए जाएं। नैस्कॉम ने तो देश भर के 200 इंजीनियरिंग कॉलेजों को आगाह कर दिया है कि वे प्लेसमेंट टाल दें. हालांकि इस प्रस्ताव को मानना अनिवार्य नहीं बताया जा रहा है. इंफोसिस टेक्नोलॉजीज ने 16-17 महीने पहले जिन लोगों को नौकरी का वायदा किया था (उन्हें कैंपस सिलेक्शन के जरिये चुना गया था) उन 20000 फ्रेशर्स को काम पर रख रही हैं, बाकी भर्ती पर रोक लगा दी है. यह भी अंदेशा बना हुआ है कि कंपनी अपने एम्पलॉइज की सैलरी कट कर सकती है. इनक्रिमेंट रोक सकती है. कंपनी के कर्मचारियों की सैलरी का एक हिस्सा वैरियएबल सेल्स कंपोनेट के रूप में आता है. रेवेन्यू गिर रहा है तो सैलरी भी कटेगी. कंपनी में फ्रेश हायरिंग अभी फ्रिज कर दी गई है. विप्रो लिमिटेड का सोचना है कि आईटी कंपनियों का कारोबार जब रफ्तार पकड़ेगा , तब नौकरियां दी जाएंगी. दूसरी तरफ वह 8000 भर्तियों के लिए कैंपस सेलेक्शन करने वाली है. उसने 15000 नौकरियों के लिए ऐप्लिकेशन मंगाए थे. इसी तरह पिछले साल 14000 भर्तियां की गई थीं. कंपनी ने तीसरी तिमाही में 1092 सॉफ्टवेयर इंजीनियर और 226 बीपीओ एंम्पलॉयी को निकाल बाहर किया था.
एक तरफ छंटनी की अंधाधुंध मार, दूसरी फॉर्च्युन उन 100 कंपनियों की लिस्ट जारी करती है, जो सेवाशर्तों और कामकाज के लिहाज से अच्छी बताई जाती हैं. अमेरिका की नेटैप पहले नंबर पर है. इसके पास कुल 7,999 कर्मचारी हैं. मंदी में जब अन्य कंपनियां कर्मचारियों को लगातार छांटती जा रही हैं, इस कंपनी ने अपना इरादा अडिग रखा है. यहां के कर्मचारियों की सालाना औसत सैलरी 1,34,716 डॉलर है. छंटनी का हाल ये है कि जापान की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी पैनासोनिक 15000 कर्मचारियों को एक झटके में नौकरी से निकाल देती है. मुनाफे पर संकट है तो जॉब कट होगा ही. पहले उम्मीद थी कि कंपनी चालू साल में 30 अरब येन का मुनाफा कमा लेगी. अब 380 अरब येन का नुकसान होना है.इसी तरह प्लाज्मा टीवी की डिमांड घटने की वजह से नुकसान बढ़ता जा रहा है. फ्रांसीसी-इतालवी कंपनी एसटीमाइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स भी 4500 जॉब कट करने जा रही है. कंपनी में 45 हजार कर्मचारी हैं. इस कंपनी को पिछले साल 59 करोड़ 60 लाख यूरो का नुकसान हुआ है. इस साल वह अपनी कॉस्ट में 70 करोड़ डॉलर की कटौती कर रही है. इससे पहले वह अपनी 3 कंपनियां बंद करने का ऐलान भी कर चुकी है. माइक्रोसॉफ्ट ने अपने 5 हजार स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया है. उसके भी मुनाफे में 11 प्रतिशत गिरावट आ गई है. उधर, इंटेल कॉरपोरेशन मलयेशिया और फिलिपीन के अपने प्लांट को बंद करने जा रही है. उसने 6 हजार स्टाफ को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. पिछले साल इस कंपनी में कुल 84,000 कर्मचारी थे. एरिक्सन भी अपने 5 हजार कर्मचारियों को निकाल रही है, जबकि चौथी तिमाही में उसे 1.1 बिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ है.
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1 comment:
इन्जीनियरिंग में इतने सारे छात्रों ने प्रवेश ले लिया है, उनके लिये कुछ सुझाव तो दीजिये। केवल स्थिति की भयावहता का वर्णन करना कहाँ तक उचित है?
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