Monday, February 16, 2009

भीतर के देवता



पा-लागन

आंगन के पार
द्वार खुलेद्वार के पार
आंगन भवन के ओरछोर सभी मिले
उन्हीं में कहीं खो गया भवन
कौन द्वारी कौन आगारी,
न जाने, पर द्वार के प्रतिहारी को
भीतर के देवता ने किया बार-बार पा-लागन।

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