इसे मायावती सरकार को मुलायम सिंह यादव की खुली चुनौती कहें या उत्तर प्रदेश में सन 2012 के विधानसभा चुनाव में अपने हिस्से की धरती की धरतीपुत्र की तलाश, जिसे पहले बसपा, फिर भाजपा, फिर कांग्रेस और अब अमर सिंह की जमात ने बंजर बनाने की कोशिश की है। जमीनी हकीकत ये है कि उत्तर प्रदेश की जनता मायाराज में भ्रष्टाचार को लेकर जितनी विचलित है, केंद्र सरकार द्वारा थोपी महंगाई को लेकर उससे ज्यादा बेचैन। मुलायम सिंह की लड़ाई इसी तरह जारी रही तो, निकट भविष्य में, यानी आगामी विधानसभा चुनाव तक सपा सत्ताधारी बसपा को राजनीतिक त्रिकोण में उलझा सकती है। त्रिकोण हो सकता है सपा, बसपा और कांग्रेस का। पार्टी को एक बार फिर मुंबइया आसमान से धरती पर उतारने में धरती पुत्र को पहले से ज्यादा रणनीतिक तरीके से चरखा दांव मारने होंगे क्यों कि पार्टी-पदों से दरकिनार होते ही स्वास्थ्य की दुहाई देने वाले अमर सिंह की सेहत में अचानक गुणात्मक उछाल आ गया है।
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Wednesday, January 20, 2010
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