Monday, January 18, 2010
हैकिंगः मीडिया की खबरों को पीएमओ ऑफिस ने नकारा
नई दिल्ली! प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने उन खबरों को नकार दिया है, जिसमें कहा गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्र सरकार के विभागों के कंप्यूटर हैक कर लिए गए हैं। पीएमओ में एक अधिकारी ने कहा कि एक निजी समाचार चैनल पर प्रसारित खबर कि चीन से हैकरों ने पीएमओ के कंप्यूटर हैक किए, निराधार है। पीएमओ में मीडिया सलाहकार हरीश खरे का कहना है कि हैकर्स इस तरह की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन हमारे सुरक्षा तंत्र मजबूत हैं। हमारे सुरक्षा तंत्र में कोई घुसपैठ नहीं हुई है और यह पूरी तरह सुरक्षित हैं। दूसरी तरफ महत्वपूर्ण सरकारी वेबसाइटों की हैकिंग की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने अनेक वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा ब्लैकबेरी के इस्तेमाल के प्रति सरकार को आगाह किया है। यह चेतावनी उन अधिकारियों को लेकर है, जो प्रधानमंत्री कार्यालय तथा अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों में हैं और ईमेल आदि के लिए ब्लैकबेरी फोन का इस्तेमाल करते हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने सरकारी या आधिकारिक कंप्यूटरों तथा लैपटॉप को यूँ ही किसी इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ देने की प्रवृत्ति को भी खतरनाक तथा सुरक्षा से समझौता करने वाला बताया है। मुख्यत: चीन के हैकरों की कंप्यूटर के सुरक्षित गढ़ में सेंधमारी की बढती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने विशेषकर रक्षा, विदेश, गृह तथा प्रधानमंत्री कार्यालय जैसे सभी महत्वपूर्ण मंत्रालयों से कहा है कि वे अपने आधिकारिक कंप्यूटरों को उन कंप्यूटरों से अलग रखें जो इंटरनेट से जुड़े हैं। वैसे केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की इस सलाह पर गौर किया गया हो ऐसा नहीं लगता। एक अधिकारी ने कहा कि उनका सुझाव केवल सलाह है। राष्ट्रीय तकनीकी एवं अनुसंधान संगठन ने भी हैकरों की बढ़ती हलचल को ध्यान में रखते हुए परामर्श जारी किया है। एक फौरी जाँच में पाया गया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारी ब्लैकबेरी सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं और उन्होंने अपने आधिकारिक ई-मेल को हैंडसेट से जोड़ रखा है, जिसकी अनुमति नहीं दी जाती। वहीं प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी का कहना है कि हैकर विभिन्न प्रणालियों को निशाना बनाता रहते हैं। इस तरह के हमलों से बचाव के लिए पीएमओ का अपनी प्रणाली है। साथ ही उन्होंने साफ किया कि सुरक्षा में किसी तरह की चूक नहीं हुई है। यहाँ उल्लेखनीय है कि भारत में ब्लैकबेरी सेवाओं की शुरुआती की अनुमति देने को लेकर काफी लंबी बहस चली थी। सुरक्षा एजेंसियों इस सेवा को अनुमति देने के खिलाफ थी। एजेंसियों ने सरकारी या आधिकारिक कंप्यूटरों और लैपटॉप को यूं ही किसी इंटरनेट कनेक्शन से जोड़ देने की प्रवृत्ति को भी खतरनाक तथा सुरक्षा से समझौता करने वाला बताया है। राष्ट्रीय तकनीकी एवं अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) ने भी हैकरों की बढ़ती हलचल को ध्यान में रखते हुए परामर्श जारी किया है। उधर अपने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में बंबई हाईकोर्ट ने सोशल नेटवर्किंग साइट पर प्रोफाइल संबंधी व्यक्तिगत सूचनाओं को सबूत के तौर पर मानने का आदेश दिया है। हालांकि निचली अदालत पहले ही इसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने का आदेश दिया था। अगर आप किसी सोशल नेटवर्किंग साइट का इस्तेमाल करते हैं और अपने प्रोफाइल में ऐसी जानकारी देते हैं जो आपकी वास्तविक जानकारी से मेल नहीं खाती है तो सावधान हो जाइये. भारतीय अदालतों की नजर अब आप पर है और किसी नेटवर्किंग साइट पर आप जो जानकारी मुहैया कराते हैं अदालत उसे असली जानकारी मान सकती है.
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