Monday, January 18, 2010

क्या सचमुच दोस्त, दोस्त ना रहा?

ये अमर सिंह के सियासी जीवन का पहला अध्याय था या अंतिम चैप्टर। वह आगे किस तरह खुलेगा या क्लोज होगा, नेता जी ने तो कह दिया है कि मेले-ठेले में लोग आते-जाते रहते हैं। ये कोई नई बात नहीं। लेकिन मुलायम ने अंत तक अमर सिंह के बारे में और अमर सिंह ने भी अंत तक मुलायम सिंह के बारे में कोई ऐसी टिप्पणी करने से भरसक परहेज किया है, जिसका फायदा अन्य राजनीतिक दल या मीडिया वाले उठा सकें। और क्या-क्या कहा मुलायम ने....सविस्तार प्रस्तुत है...sansadji.com ...सांसदजी डॉट कॉम... पर

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