जस्टिस लिबरहान ने रिपोर्ट में कहा है कि प्रेस काउन्सिल ऑफ़ इंडिया अक्षम है. भारतीय जनता पार्टी, संघ नेताओं और सरकारी अधिकारीयों के अलावा जस्टिस लिबरहान ने मीडिया को भी गैरज़िम्मेदारी से ख़बरें लिखने का दोषी पाया है. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की जाँच रिपोर्ट में जस्टिस लिबरहान चाहते हैं कि वकीलों और डॉक्टरों की नियामक संस्थाओं की तर्ज़ पर पत्रकारों के लिए भी कोई प्राधिकरण बने. जस्टिस लिबरहान ने अपनी अनुशंसाओं में कहा है, " इस बात की सख्त ज़रुरत है कि भारतीय चिकित्सा परिषद और बार काउन्सिल की तर्ज़ पर पत्रकारों, टीवी-रेडियो चैनलों और मीडिया समूहों के ख़िलाफ़ शिकायतों का निर्णय करने के लिए कोई स्थायी प्राधिकरण हो." सरकार ने अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में कहा है कि केन्द्रीय न्याय और सूचना प्रसारण मंत्रालय से आग्रह किया जाएगा कि वो नियामक संस्था की ज़रुरत को परखे. जस्टिस लिबरहान ने इस रिपोर्ट में कहा है, " मैं जोर दे कर कहता हूँ कि मीडिया के काम पर नज़र रखने के लिए देश में एक नियामक संस्था होनी ही चाहिए." उन्होंने आगे जोड़ा है कि अन्य पेशों की तरह पत्रकार को उनका काम करने का लाइसेंस दिया जाए. इस तरह के लाइसेंस के बाद पत्रकार भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए खुले हों और ग़लत काम के दोषी पाए जाने पर उनका काम करने का लाइसेंस स्थगित किया जा सके. जस्टिस लिबरहान ने कहा है कि समय आ गया है कि मीडिया और पत्रकार जनता की आशाओं और विश्वास पर खरे उतरें.
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