लोकतंत्र के
जुटे चिबिल्ला,
फिर आगे-आगे
मरगिल्ला,
धा-धिल्ला..
धिल्ला...धिल्ला
धा-धिल्ला..धिल्ला...धिल्ला.........
पस्सवान से बीसा लल्लू
और मुलायम-माया मल्लू,
मोदी, लालकिसुन भै कल्लू,
ललिता के नैनन पर पल्लू,
ममता रंग
हुआ भड़किल्ला..
धा-धिल्ला..
धिल्ला...धिल्ला
धा-धिल्ला..धिल्ला...धिल्ला.........
विपक्ष का अंगूर है खट्टा
दिल्ली बनी हंसी का ठट्ठा
बजे पीठ महंगी का फट्टा
लो झेलो, अब रगड़ो घट्ठा
बोले कांय-कांय
ज्यों पिल्ला,
धा-धिल्ला..
धिल्ला...धिल्ला
धा-धिल्ला..धिल्ला...धिल्ला.........
धोकर वामपंथ का धब्बा
चाप रहीं सोनिया मुरब्बा,
बड़े मगन हैं राहुल बब्बा,
इर्द-गिर्द सब चौबा-छब्बा
दांत दिखाएं
खूब छबिल्ला,
धा-धिल्ला..
धिल्ला...धिल्ला
धा-धिल्ला..धिल्ला...धिल्ला.........
वोट डालकर वोटर भागे
चोर-चपाटी पीछे-आगे
लिये कटोरा कुर्सी मांगें
जिससे दुक्ख-दरिद्दर भागे
ठग-ठगिनी
सब एक साथ में
तिल्ली के संग
नाचे तिल्ला...
धा-धिल्ला..
धिल्ला...धिल्ला
धा-धिल्ला..धिल्ला...धिल्ला.........
लोकतंत्र के
जुटे चिबिल्ला,
फिर आगे-आगे
मरगिल्ला,
धा-धिल्ला..
धिल्ला...धिल्ला
धा-धिल्ला..धिल्ला...धिल्ला.........
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6 comments:
लिखने का अंदाज गजब है।
पढ़के मन मेरा खिल्ला खिल्ला।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.
बहुत खुब.....सुर ताल और संवाद उम्दा है.....नायाब गीत
रचना अच्छी है।
कविता इतनी सुन्दर है कि आज कि राजनीति से व्यथित होने के बदले इतनी सुन्दर कविता पढ़ हम सुखी हो गए.आनंद लाभ करवाने हेतु आभार.
bahut badiya ap to sachmuch muh fat hain abhar
बहुत अच्छे !!!!!
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