आज अंतिम चरण का मतदान समाप्त हो रहा है. 15वीं लोकसभा का प्रसव -काल समापन की ओर है. नवजात सरकार को लेकर सभी दलों की अपनी-अपनी प्रसव-पीड़ाएं चरम पर हैं. सभी अपनी-अपनी सउरी (प्रसव-कक्ष) के झरोखों से बाएं-दाएं झांक रहे हैं. पैदा होने वाला शिशु चेहरे-मोहरे में किस पर जाएगा, किसके जैसा होगा, इस तरह के प्रश्न मतदाताओं को कम, उन पुरोहितों को ज्यादा मथमथा रहे हैं, जिनकी बारहों महीने लार टपकती रहती है. जो कुर्सी के बिना किसी काम के कम, बेकाम के ज्यादा होते हैं. या कहिए पूरे समाज पर बोझ होते हैं.
कुछ सवाल ऐसे भी हैं, जो बड़े ही पते के हैं और अंदर-ही-अंदर मतदाताओं को भी खूब गुदगुदा रहे हैं (जैसे वोडाफोन के जूजू). सोलह मई को वोटिंग मशीने किसकी हथेली पर पोटी करेंगी, और किसकी हथेली पर सोनहलवा परोसेंगी....इसी बेचैनी का सबब बन रहे हैं ये सवाल.
1. क्या मायावती एनडीए के पाले में होंगी?
2. क्या मुलायम-लालू-पासवान यूपीए के दड़बे में घुस जाएंगे?
3. क्या वामपंथी लालपीला होने की नौटंकी करते हुए फिर कांग्रेस के उसमें प्रविष्ट हो जाएंगे?
4. क्या जयललिता थर्ड फ्रंट का राग अलापते-अलापते उमा भारती का चोला ओढ़ लेंगी?
5. ....और....क्या....मध्यावधि चुनाव होंगे?
जहां तक अपुन की समझ में आ रहा है, केंद्र सरकार का गठन जल्दी से नहीं होने जा रहा है. मायावती और जयललिता एनडीए के साथ होंगी. वामपंथी चौथे मोरचे के साथ कांग्रेस के साथ होंगे. लालपंथी बाहर से बिना शर्त समर्थन देंगे, बाकी लालू-कालू सरकारी मलाई खाने के लिए झपट पड़ेंगे. एनडीए की सरकार किसी कीमत पर नहीं बनेगी. राष्ट्रपति सोनिया गांधी के किचन-कैबिनेट से निकली हैं. सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस को मिलने जा रही हैं, इसलिए पहले वह कांग्रेस को ही सरकार बनाने के लिए बुलाएंगी और छोटे-मोटे चूहे दौड़ कर कांग्रेस के साथ हो लेंगे. वैसे राजनीति में कुछ भी ठीक-ठीक अनुमान लगा पाना असंभव होता है.
यदि कांग्रेस को बुलावा मिलता है तो संभव है कि मायावती एनडीए की अंगुली पकड़ने की बजाय बाहर से उस वक्त की प्रतीक्षा करें, जब अमर कुछ बकें, सपा से कांग्रेस की रार बढ़े और मलाई सरपोटने के लिए वह लपक पड़ें. एक बात और अंतिम चरण का मतदान संपन्न होते ही आजम खां को सपा से खदेड़ दिया जाएगा. क्योंकि अमर ने मुलायम को जो हिरोइनों का चस्का लगा दिया है, वह लागी नाही छूटे रामा, चाहे जिया जाय रे..........
...तो देखिए 16 मई के बाद भारतीय लोकतंत्र के ये जूजू कैसे-कैसे गुल खिलाते हैं.
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1 comment:
गिरगीटों के रंग पुछ रहे है साहब..
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