Monday, February 23, 2009

प्रेम चाहिए कि गर्म बिस्तर?



चिकित्सा, शिक्षा, रोजगार, आजीविका, निजीकरण, रीटेल चेन, खुला बाजार, रियेलिटी शो, क्रिकेट कार्निवाल,......इसके बाद अखबारों में सेक्स, टीवी में सेक्स, मोबाइल पर सेक्स, वाहनों में सेक्स, दफ्तरों में सेक्स, पर्यटन के बहाने सेक्स, विज्ञापनों में सेक्स, कारोबार-राजनीति में सेक्स...... अंतरिक्ष में सेक्स.


सवाल-दर-सवाल........


प्रेम चाहिए कि गर्म बिस्तर?

अन्तरिक्ष में सेक्स चाहिए या पृथ्वी पर जीवन?

मोटरगाड़ियां और विमानयात्राएं ज्यादा जरूरी है या भूख से दम तोड़ते बच्चों को भोजन?

मनोरंजन अहम है या सूचनाएं?

दवाएं चाहिए कि दारू का इन्तजाम?

अपनी पहचान, अपनी सांस्कृतिक विरासत चाहिए कि खुला बाजार में निरंकुश क्रयशक्ति?

मनुष्य बचाये जायें या क्लोनिंग से बवे नयी सभ्यता?

जनपद चाहिए कि महानगर?

हरियाली चाहिए कि प्रदूषण?

जमीन चाहिए कि सेज?

परमाणु बम चाहिए कि विश्वशान्ति?

खेल चाहिए कि कारोबार?

साहित्य चाहिए कि ब्लू फिल्में?

साम्राज्यवाद चाहिए कि मानवतावादी लोकतन्त्र?

रंग बिरंगी पार्टियां चाहिए या सामाजिक परिवर्तन?

जनपद और लोकजीवन चाहिए कि भोपाल गैसत्रासदी?

ज्ञान चाहिए कि तकनीक?

संवेदनाएं चाहिए कि रोबोट?

अपनी आजीविका चाहिए कि बाजार की दलाली?

शान्ति चाहिए या फिर युद्ध?

हिरोशिमा और नागासाकी चाहिए कि तक्षशिला और नालंदा?

पुस्तकें चाहिए या फिर सूचना तकनीक?

स्कूल चाहिए कि बार रेस्तरां?

ब्राह्मण तंत्र जारी रहे या फिर समता पर आधारित वर्गहीन, वर्णहीन, रंगविहीन वैश्वक समाज?

अमरिका की गुलामी चाहिए या फिर स्वतन्त्र और सम्प्रभु भारत?

4 comments:

इष्ट देव सांकृत्यायन said...

सवाल बहुत महत्वपूर्ण हैं. इन्हे तुरंत हमारी संसद को भेजा जाना चाहिए. इस आग्रह के साथ कि वहां इन सवालों के हल के लिए एक समिति बनाई जाए और उसमें कुछ लोगों के जीने-खाने का जुगाड बैठाया जाए.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

अमरिका की गुलामी चाहिए या फिर स्वतन्त्र और सम्प्रभु भारत?
कहां है स्वतंत्रता और सम्प्रभुता? हमने तो भ्रष्टाचार, शोषण, बाहुबल को ही इस देश में पनपते देखा है।

Arun Arora said...

सवाल बहुत अच्छॆ है जवाब भी हर किसी को पता है पर जिनके पेट भरे है उन्हे इन सवालो के जवाब खोजने कॊ जरूरत कहा पडती है जिनके पेट भरे नही है उन्हे पेट भरने से फ़ुरसत कहा ?

लाल और बवाल (जुगलबन्दी) said...

जितनी चीज़ें आपने पूछीं सब की सब भिजवाई जाएं।