आज समाजवादी पार्टी के ठीये पर जो ऊंची लपटें उठ रही हैं, उसमें रामगोपाल यादव और अमर सिंह की जो चित्कारें सुनाई दे रही हैं, वह आग किसी और की नहीं, मीडिया की लगाई हुई है। मीडिया यानी चैनल और अखबार। पहली चिंगारी फेंकने में किंचित पहल अमर सिंह की भी मानी जा सकती है, जो पार्टी की अंदरूनी कलह को उस माध्यम (ब्लॉग) से सरेआम करने लगे, जिसे जो चाहे पढ़ सकता है। अमर सिंह ऐसा करते समय यह अच्छी तरह जानते थे कि ब्लॉग पर लिखी बातें सार्वजनिक होंगी ही। इस भूमिका को घर के भेदी वाली बात भी कही जा सकती है। बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि अमर सिंह ने ऐसा जानबूझ कर किया। अपने प्रति रामगोपाल यादव और उनके बंधु-बांधवों के रवैये पर वह शायद मुलायम सिंह से भी निराश और निरुत्तरित हो चुके थे। उन्हें लगा होगा कि अब चुप रहने से उनकी आज तक की सारी राजनीतिक कमाई मिट्टी मिल जाएगी। इसलिए उन्होंने खुल्लमखुल्ला ब्लॉग के सहारे तेजी से अपना पार्टी विरोधी रुख उजागर कर दिया। उधर, रामगोपाल यादव भी अमर सिंह की वजह से पार्टी में नंबर-दो की हैसियत वाली लड़ाई में खुद को कमजोर पाते हुए ऐसे ही मौके की तलाश और प्रतीक्षा में थे। उनके साथ ऐसे कई बड़े नेता गुटबंद थे, जिन्हें अमर सिंह के चलते मुश्किलें हो रही थीं। आजम खां, राज बब्बर जैसे लोग, जो सपा से बाहर भले ही थे, सपा के भीतर जो उनके दोस्त-मित्र बचे रह गए, उनके माध्यम से छिपे तौर पर इस प्रयास में थे ही कि अमर सिंह को पछाड़ दिया जाए। रामगोपाल का मामला उछलने के बाद वे सभी सक्रिय हो चुके थे। इसी मौके को ताड़ते हुए मीडिया ने सपा की कमजोर नब्ज को ऐंठना शूरू किया। मुलायम सिंह, अमर सिंह, रामगोपाल यादव, या सपा के खिलाफ उनके विरोधियों के मुंह में उंगली डाल-डाल कर बातें उगलवाई जाने लगीं।
मसलन, चैनलों के सवालों की बानगी देखिए -
....हां तो आजम खां जी, आप अमर सिंह के बारे में क्या कह रहे थे?......जी, राज बब्बर जी, आगे आपको सपा का भविष्य कैसा दिखता है? .....बेनीप्रसाद जी का मुलायम सिंह के बारे में क्या कहना है, आइए खुद उनके मुंह से सुन लीजिए.....अमित जी (अमिताभ बच्चन) क्या जया बच्चन भी संजय दत्त की तरह अमर सिंह के पक्ष में खड़ी होने जा रही हैं? ......लगता है, जया प्रदा और अनिल अंबानी भी अमर सिंह के साथ होंगे। और भी कई तरह की बकवाद...चासनी...खबरफरोशियां!!
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