शिवसेना के मानस पुत्र राज ठाकरे ने एक बार फिर यूपी और बिहार वालों पर शर्मनाक टिप्पणियों से प्रहार किया है। उसने कहा है कि ऐ यूपी और बिहार वालों मुंबई-महाराष्ट्र में तुम लोग सिर्फ पानी-पुरी बेचो। और कोई काम तुम्हारे वश का नहीं। पानी-पुरी बेचकर अपने बाल-बच्चों को पालो-पोषो। राजनीति मत करो। राजनीति करना तुम लोगों के वश की बात नहीं है। महाराष्ट्र में राजनीति तो मराठी ही करेंगे। राज के जहर उगलने से एक बार फिर हिंदी पट्टी के मुंबईवासियों का खून खौल उठा है।
कौन नहीं जानता कि राज ठाकरे समय-समय पर यूपी-बिहार वालों के खिलाफ विष वमन करता रहता है। बाल ठाकरे से उसने इसी तरह की राजनीति सीखी है। इसी तरह की राजनीतिक फसल काट-काट कर पिता-पुत्र ने अरबों-करोड़ों की संपत्ति बना ली है। बरगलाने वाले उसके बयानों ने मुंबई में कई बार आग लगाई है। अभी कुछ ही दिन पहले जब बिहार की अदालत ने बाल ठाकरे की एक ऐसी ही टिप्पणी पर सुनवाई करते हुए बाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया तो उसके दूसरे पुत्र उद्धव ठाकरे ने न्याय पालिका को ललकार दिया कि कोई बाल ठाकरे को गिरफ्तार तो कर दिखाए! एक तो चोरी, दूसरे सीना जोरी, वह भी हिंदुस्तान की न्याय पालिका के साथ। सचमुच ही क्या हिंदुस्तान सरकार में इतनी हिम्मत है जो न्याय पालिका को ललकारने वाले, हिंदुस्तानी कौमों को ललकारने वाले, फिरकापरस्ती, नस्लभेद का जहर उगलने वाले इन फासीवादी पिता-पुत्रों की जुबान पर लगाम लगा सकती है? जवाब है, कभी नहीं, क्योंकि सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं।
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4 comments:
स्थानीय लोगों को यह डर सताता है की नर्क से आये लोग कहीं उनके शहरों को भी नरक न बना डालें. वे अपने स्थानों को बर्बाद कर यहाँ भाग आये, पर अगर हमारा शहर भी बर्बाद कर डाला तो हम कहाँ जायेंगे? बिहार जैसे राज्य कैसे वहीँ के नेताओं और लोगों ने बर्बाद किये यह तो आप भी जानते ही हैं, बस इसी से डरते हैं लोग. वैसे भी मुंबई के आधारभूत ढांचे पर इतना बोझ है की अब पचास प्रतिशत से अधिक जगह स्लम है. ऐसे में अपनी ज़िम्मेदारी से भागकर मुंबई भाग आना कितना सही है, अच्छा होगा की बिहारी बिहार को मुंबई तो क्या न्यूयार्क लन्दन से भी ज्यादा उन्नत स्थान बनायें, जिससे की लोग उल्टे बिहार में बसने को तरसें.
दक्षिण भारतियों और गुजरातियों के खिलाफ भी बाल ठाकरे ने अभियान छेड़ा था, पर वहां के नेताओं और जनता ने अपनी लगन और मेहनत से बंगलौर, चेनै, अहमदाबाद, सूरत, हैदराबाद जैसे शहरों को विश्वस्तरीय बना कर दिखा दिया, की अब लोग और कोर्पोरेट्स मुंबई से वहां जा कर बसने लगे हैं. भागना किसी समस्या का हल नहीं है, इससे स्लम्स और स्थानीय लोगों में बेरोजगारी बढती है. आज दक्षिण भारतीयों, और गुजरातियों को कहीं और जाने की ज़रूरत नहीं है, आप भी ऐसा ही बिहार बनायें. शुभकामनायें.
Raj Thakre is a psychic case, either we should ignore him, or we should reply in same manner...
ये तो इस देश के शासनतंत्र और न्यायपालिका, दोनों की निष्क्रियता का एक जीवन्त उदाहरण मात्र है...
भाइयों मुझे बाल ठाकरे किसी गली के गुंडे जैसा लगता है..इससे ज्यादा उसकी औकात नहीं है..
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