Thursday, February 12, 2009

बापू का चश्मा, घड़ी चप्पल बिकाऊ है


राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की घड़ी, चश्मा और चप्पल नीलाम होने वाली है. है कोई खरीदार? बापू के आदर्श तो पहले ही नीलाम हो चुके हैं. उसे नीलाम किसने किया है? बापू के फर्जी अनुयायियों को मालूम होगा. घड़ी, चश्मा और चप्पल ही नहीं, बापू का कटोरा, कटोरी, चम्मच भी नीलाम होने वाली है. चश्मा कहीं पड़ा है, घड़ी कहीं पड़ी, चप्पल कहीं और है. किसी भी शहर में चले जाइए, जहां बापू की मूर्तियां लगी हों. जरा करीब से देखिएगा, उनकी क्या हालत है. पीएम, सीएम, जीएम, डीएम के कमरों में टंगी बापू की तस्वीरें बेशर्मों से सवाल करती रहती हैं कि अरे पापियों अपने सिरहाने क्यों टांग रखा है मुझे. मुझसे अच्छा तो भगत सिंह था जांबाजी से फांसी पर टंग गया. मुझे कब तक टांग कर मेरे आदर्शों की नीलामी करते रहोगे? सवाल सुनने वाले बेशर्मी से मुस्करा कर चल देते हैं.
जिस चश्मे ने अंग्रेजों से जूझते भारत को देखा था, जिस चश्मे से वह अपनी उम्मीदों का इंडिया देखना चाहते थे, जिस चश्मे से दलित, मुस्लिम, स्त्री वर्ग को खुशहाल देखना चाहते थे. वैसा तो देख न सके, अब उनका वही चश्मा जरूर नीलाम हो रहा है. जो चप्पल पहन कर उन्होंने दांडी मार्च किया था, नमक सत्याग्रह किया था, चंपारन से लाहौर तक सड़कें नापी थीं, वह चप्पल भी नीलाम हो रही है.
नीलाम होने के बाद वही हाल बापू के इन सामानों का भी होगा, जो उनकी प्रतिमाओं और चित्रों का हो रहा है. अब तो वतन भर बिकने यानी देश दोबारा नीलाम होने की बारी है. बारी क्या है, नीलाम हो ही रहा है.

1 comment:

शोभा said...

सही लिख है आपने। सुन्दर प्रस्तुति।