Thursday, May 29, 2008

ऐ इंसानों!



आँधी के झूले पर झूलो
आग बबूला बन कर फूलो

कुरबानी करने को झूमो
लाल सबेरे का मुंह चूमो
ऐ इन्सानों ओस न चाटो
अपने हाथों पर्वत काटो

पथ की नदियाँ खींच निकालो
जीवन पीकर प्यास बुझालो

रोटी तुमको राम न देगा
वेद तुम्हारा काम न देगा

जो रोटी का युद्ध करेगा
वह रोटी को आप वरेगा ।

-गजानन माधव मुक्तिबोध


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