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Friday, March 5, 2010

प्रतापगढ़ हादसे की माया सरकार जांच कराएः अमर



लगातार की भागदौड़ के बाद सांसद अमर सिंह काफी दिनों बाद चारमार्च को अपने ब्लॉग पर प्रकट हुए। यद्यपि वह अब भी दिल्ली सेबाहर बताए जाते हैं। वह चार मार्च को प्रतापगढ़ के कुपालु महाराजआश्रम में हुए भयानक हादसे पर गहरा दुख जताते हुए सवालियाटिप्पणी करते हैं कि राज्य और जिला प्रशासन के अनुसार घटना कीवजह आयोजकों का कुप्रबंधन रहा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में जहांलोगों का जमावड़ा हो रहा हो, उसके प्रति प्रशासन से क्या अपेक्षा होनीचाहिए। क्या इतने बड़े जमावड़े पर प्रशासन को पहले से एहतियातनहीं बरतनी चाहिए थी। भारत में प्रायः धार्मिक एवं सांस्कृतिकउत्सवों में लोग बड़ी संख्या में शिरकत करते रहते हैं। प्रायः ऐसे हादसेकहीं कहीं प्रशासनिक असावधानियों (चूक) की वजह से हो जाते हैं।सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ऐसे अवसरों पर प्रशासन और पुलिस को पहले से पर्याप्त एहतियात नहीं बरतीजानी चाहिए? साथ ही प्रोग्राम के कर्ता-धर्ताओं के कुप्रबंधन को भी ऐसे आरोप से पृथक नहीं किया जाना चाहिए, जहां इतनी बड़ी संख्या में धार्मिक जनों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ जाता है। राज्य सरकार को इस घटना कीगंभीरता से जांच कराकर इसके लिए दोषी व्यक्तियों और अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।साथ ही भविष्य में ऐसे हादसे होने देने के सख्त निर्देश जारी कर देने चाहिए।

Wednesday, March 3, 2010

सावधान! संसद है बहस चल रही है!!

बुधवार की संसद फिर महंगाई के नाम रही। राज्यसभा-लोकसभा में दो बार सदन स्थगित करने पड़े। विपक्ष का शोर-शराबे भरा जबर्दस्त विरोध थमा नहीं। बजट में पेट्रोल-डीजल मूल्य-वृद्धि के खिलाफ विपक्ष ने मानो आसमान सिर पर उठा लिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी की मौजूदगी में जबरदस्त हंगामा होने लगा। लोकसभा ही नहीं, राज्यसभा में भी यही नजारा रहा। आखिरकार दोनों सदनों की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक, दोबारा 2 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।

(रिपोर्ट sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम से)

इस बीच वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस सांसदों के साथ बैठक में संकेत दिया कि हम मूल्य-वृद्धि पर विपक्ष से बात करने को तैयार हैं लेकिन मूल्य-वृद्धि कत्तई वापस नहीं लेंगे। बुधवार को पूर्वाह्न लोकसभा में अध्यक्ष मीरा कुमार ने ज्यों ही प्रश्नकाल की घोषणा की, समूचा विपक्ष , वाम दल, सरकार समर्थक सपा, बसपा, राजद के सांसद सीटों से उठ खड़े हुए और जोर-जोर से तेल कीमत-वृद्धि वापस लेने की मांग करने लगे। सपा और राजग सांसद आसन के सामने पहुंचकर नारे लगाने लगे। शोर-शराबे के बीच जब मीरा कुमार ने कहा कि वह प्रश्नकाल के बाद सदस्यों को इस विषय को उठाने का मौका देंगी, फिर न शोर थमा, न नारेबाजी। आखिरकार सदन को स्थगित करना पड़ा। दोबारा दोपहर 12 बजे सदन की बैठक पुन: शुरू होते ही पुनः पूरा विपक्षी सांसद आसन के समक्ष पहुंचकर नारे लगाने लगे। उपाध्यक्ष करिया मुंडा ने हंगामे के बीच ही आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और सदस्यों से शांत रहने और अपने स्थानों पर जाने का बार-बार आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर आज से चर्चा शुरू होनी है, इसलिए सदस्य सदन को चलने दें, लेकिन आसन के समक्ष एकत्रित सदस्यों पर उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ। आखिरकार उपाध्यक्ष ने कुछ ही मिनट बाद सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। बजट में पेट्रोल और डीजल के उत्पाद शुल्क में बढोत्तरी के विरोध में एक जुट होकर केंद्रीय बजट का बहिष्कार करने के बाद विपक्ष तथा सरकार को बाहर से समर्थन कर रहे दल आज भी एक साथ दिखे। सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज इन दलों के नेताओं के साथ रणनीति पर विचार विमर्श करती देखी गई। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने प्रश्नकाल में व्यवधान डाले जाने पर आपत्ति उठाई। उन्होंने कहा कि सदन में इस मसले पर बहस करायी जा चुकी है। अब विपक्षी सदस्य फिर वही बात उठा रहे हैं। इसी बीच समाजवादी पार्टी के सदस्य अध्यक्ष के आसन के सामने आ गए। उनके पीछे-पीछे भाजपा तथा अन्य दलों के सदस्य भी वहां पहुंच गए और नारेबाजी शुरू कर दी। उधर, राज्यसभा की भी कार्यवाही शोर-शराबे के बीच दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। राज्यसभा में बैठक शुरू होने पर भाजपा के नाथ जी. नाइक को सदन की सदस्यता की शपथ दिलाई गई। इसके बाद सदस्यों ने सदन के दो पूर्व सदस्यों एम एस अब्दुल खादर और नाना देशमुख को श्रद्धांजलि दी। श्रद्धांजलि देने के बाद जैसे ही सभापति ने प्रश्नकाल शुरू करने का ऐलान किया, भाजपा, शिवसेना, बीजू जनता दल, जदयू, राजद, माकपा, बसपा, सपा, अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि वापस लेने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। सभापति ने सदस्यों से शांत रहने और प्रश्नकाल चलने देने की अपील की, लेकिन हंगामा जारी रहा। करीब पांच मिनट के भीतर ही सभापति ने बैठक स्थगित कर दी। तृणमूल कांग्रेस ने संप्रग सरकार में दूसरी बड़ी पार्टी होने के बावजूद महंगाई पर विरोध जारी रखने का निर्णय किया है। पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने नेताओं से कहा है कि विभिन्न जिलों में विरोध जताएं और लोगों को विश्वास में लेकर आंदोलन तेज करें। लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि संप्रग सरकार में शामिल होने का मतलब यह कतई नहीं है कि हम विरोध भी न जताएं। उन्होंने बताया कि पेट्रो पदार्थो की कीमतों में हुई वृद्धि को कम करने के लिए ममता बनर्जी प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से बात करेंगी। संसद में आम बजट पेश होने के बावजूद अभी बहस नहीं हुई है। बहस के दौरान हमारी पार्टी अपना पक्ष प्रस्तुत करेगी। मुख्य विपक्षी दल भाजपा का कहना है कि जब तक सरकार पेट्रोल और डीजल के बढ़े दाम वापस नहीं ले लेती वह संसद की कार्यवाही नहीं चलने देंगे। भाजपा और वामदलों ने आज सुबह अलग अल्रग बैठक कर अपनी रणनीति तय की। महंगाई के मुद्दे पर सपा, राजद और वामदल भी भाजपा के साथ हो लिए हैं। उल्लेखनीय है कि पेट्रोल और डीजल के दामों में वृद्धि के खिलाफ दिल्ली-भाजपा ने मंगलवार को संसद मार्च किया था और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी दी थी। इससे पूर्व आज दिन में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि पेट्रोलियम पदाथो’ की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर सरकार अपने सहयोगी दलों से बात करेगी लेकिन साथ ही इस बात का संकेत दिया कि बढी हुई कीमतों को वापस लेना मुश्किल है। पार्टी सूत्रों ने बताया मुखर्जी ने पेट्रोलियम पदाथो’ की कीमतों में वृद्धि को वापस लेने की मांग की पृष्ठभूमि में कांग्रेंस सांसदों को बजट की मुख्य बातों से अवगत कराया। साथ ही यह बताने का प्रयास किया कि पेट्रोलियम पदार्थों के उत्पाद शुल्क में कटौती करना क्यों मुश्किल है। वित्त मंत्री ने कांग्रेस सांसदों को मौजूदा आर्थिक परिदृष्य में सरकार के समक्ष चुनौतियों के बारे में बताया। कहा कि चूंकि बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है और सरकार साढे आठ प्रतिशत का सकल घरेलू उत्पाद हासिल करने की उम्मीद कर रही है, ऐसे में संसाधन जुटाने के लिए कुछ कदम उठाने जरूरी थे। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि सरकार की सामाजिक क्षेत्र पर ज्यादा निवेश की योजना है। ट्रोलियम-पदार्थो की कीमतों में वृद्धि के मुद्दे पर सरकार अपने सहयोगी दलों से बात करेगी लेकिन साथ ही इस बात का पर्याप्त संकेत दिया कि बढ़ी हुई कीमतों को वापस लेना मुश्किल है। मुखर्जी ने संप्रग सरकार और राजग सरकार के शासनकाल के दौरान पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में की गई वृद्धि का तुलनात्मक चार्ट भी पार्टी सांसदों के समक्ष पेश किया और बताया कि राजग शासनकाल के मुकाबले संप्रग शासनकाल के दौरान पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों में वृद्धि बहुत कम की गई है। राजग शासनकाल के मुकाबले संप्रग शासनकाल के दौरान खाद्यान्न के न्यूनतम समर्थन मूल्य में लगभग दोगुने की वृद्धि हुई है और किसानों को ज्यादा पैसे दिए गए हैं। अगर उच्च विकास दर हासिल करनी है तो उत्पाद शुल्क में बढोत्तरी जैसे कदम जरूरी है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने संसद के बाहर पेट्रोलियम पदार्थो पर उत्पाद शुल्क में बढोत्तरी वापस लिए जाने के सवाल पर कहा कि आपको विकास हासिल करना है और विकास के लिए आपको पैसे झोंकने होंगे।