संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा की 55 सीटों के लिए विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने कैंडिडेटों की घोषणा कर चुके हैं। जिन मंत्रियों का राज्यसभा कार्यकाल समाप्त हो गया है उनमें वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा, पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी शामिल हैं। इसके अलावा आर. के. धवन, बी. के. हरिप्रसाद, मोहसिना किदवई, वेंकैया नायडू, मुख्तार अब्बास नकवी और राजीव प्रताप रूडी भी हैं। चुनाव आगामी 17 जून को होना है और नामांकन की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है। राज्यों की विधानसभाओं के सदस्यों की संख्या के मुताबिक ही राज्य के राज्यसभा सदस्यों की संख्या तय होती है। यानी बड़े राज्यों से ज्यादा सदस्य आते हैं और छोटों से कम। मिसाल के तौर पर उत्तर प्रदेश से 31 सदस्य चुने जाते हैं, तो अरुणाचल प्रदेश, गोवा और इसी तरह के 9 छोटे राज्यों से सिर्फ एक-एक सदस्य चुनकर आता है। 13 राज्यों में होने हैं चुनाव आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, पंजाब, झारखंड और उत्तराखंड में राज्यसभा चुनाव होने हैं। राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल 6 साल का होता है। एक तिहाई सदस्य हर दो साल बाद रिटायर हो जाते हैं। द्विवार्षिक चुनाव के जरिए नए सदस्य चुने जाते हैं। विधायक ही हैं वोटर विधानसभा के चुने हुए विधायक राज्यसभा सदस्यों के लिए वोट देते हैं। मतदान की प्रक्रिया आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के आधार पर होती है। राज्यसभा के नेता प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह असम से राज्यसभा के सदस्य हैं तो विपक्ष के नेता अरुण जेटली गुजरात से। मगर ऐसी तस्वीर हमेशा से नहीं थी। 8 साल पहले तक राज्यसभा सदस्य बनने के लिए उस राज्य का मूल निवासी होना अनिवार्य था, पर संसद ने कानून बदल दिया। अब यह राज्यों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। बावजूद इसके यह अभी भी काउंसिल ऑफ स्टेट कहलाती है। कुछ सदस्य होते हैं मनोनीत ऐसा नहीं है कि राज्यसभा के सभी सदस्य निर्वाचन के जरिए ही आते हैं। 12 सदस्यों को राष्ट्रपति विभिन्न क्षेत्रों से मनोनीत करती हैं। मसलन, साहित्य, साइंस और समाज सेवा में उल्लेखनीय काम करने वालों को भी मनोनीत किया जाता है।
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