Sunday, May 9, 2010

संसदीय समिति ने किया रेलवे को आगाह


sansadji.com
संसद की लोकलेखा समिति का मानना है कि देश भर में फैली रेलवे की जमीन पर दो लाख से ज्यादा अवैध कब्जे हो चुके हैं, परंतु रेलवे ने खरबों रूपये की अपनी जमीन को इन अवैध कब्जों से मुक्त कराने की गंभीर कोशिश नहीं की और हर साल हजारों की संख्या में अतिक्रमण हो रहे हैं। लोक लेखा समिति ने अतिक्रमण शीघ्र हटाने और नये अवैध कब्जे रोकने के लिए रेलवे से व्यापक कार्य योजना तैयार करने को कहा है। रेलवे के पास कुल दस लाख 68 हजार एकड़ भूमि है, जिसमें एक लाख 13 हजार एकड़ भूमि खाली पड़ी है जो कुल भूमि का दस प्रतिशत है। समिति का मानना है कि कतिपय समस्याओं के कारण रेलवे शीघ्र और परिणामोन्मुखी विकास के माध्यम से अपने बड़े विशाल भू-संसाधनों का वांछित उपयोग करने में असफल रहा है। समिति ने साथ ही अतिक्रमण हटाने के लिए संपदा अधिकारियों को अधिक शक्तियां प्रदान करने और उन्हें मजिस्ट्रेट का दर्जा देने के लिए कानून में संशोधन करने की आवश्यकता बताई है। साथ ही रेलवे के भूमि रिकार्डों के रखरखाव को बेहतर बनाने पर भी जोर दिया है। संसदीय समिति ने ‘भारतीय रेल में आपदा प्रबंधन और भूमि प्रबंधन’ विषय पर हाल में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण का मामला 1999 में संसद में जोरदार ढंग से उठा था। लगता है कि रेलवे ने कोई प्रभावी बेदखली अभियान शुरू नहीं किया है, क्योंकि 2004 में अतिक्रमण के दो लाख बीस हजार से ज्यादा मामले दर्ज थे और वर्ष 2004 से वर्ष 2006 के दौरान अतिक्रमण के 16 हजार नये मामले आ गये।

No comments: