Wednesday, February 10, 2010

योग बाबा को लग गया है राजरोग

पंजाबी गायक का लोकप्रिय गाना..... नाना-नाना-ना रे....ना रे ना.... सुनते-सुनते राजनेता बनने के लिए बेकरार हो चले हैं बाबा रामदेव। योग की धुनी रमाते-रमाते राजयोग का हांका चलाने लगे हैं। दावा करते हैं कि राजनीति से भ्रष्टाचार खत्म करना है। सवाल ये उठता है कि योग के धंधे में जो भ्रष्टाचार हो रहा है, उसे तो पहले दूर कर लें। बहरहाल, योग गुरु ने भुवनेश्वर (उड़ीसा) में घोषणा की है कि वह 2014 में होने वाले आम चुनाव में हिस्सा लेंगे। उनका कहना है कि एक अच्छे राजनीतिज्ञ बनने के प्रोसेस में उन्होंने वोट बैंक बनाने की प्रक्रिया शुरू कर भी दी है। उनका कहना है कि मेरी कोई महत्वाकांक्षा नहीं है कि मैं राजनीति में जाऊं। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रीमेरी इज्जत करते हैं, तो मैं भी इनमें से एक क्यों बन जाऊं। फिर वह राजनीति में क्यों उतर रहे हैं, इस बारे में किसी भी जवाब से परहेज भी करते हैं। रामदेव कहते हैं कि हिंदुस्तान के हर एक गांव में कम से कम एक योग गुरु होना ही चाहिए। जो लोगों को योग की मार्फत स्वस्थ रहना सिखाए। आहार विहार के साथ पॉलिटिक्स का पाठ योग और भारत स्वाभिमान कैम्पेनल के तहत बताए। उड़ीसा में 13000 योग टीचर और 19000 भारत स्वाभिमान सदस्य हैं। हमारा लक्ष्य 500 टीचर हर एक गांव में बनाना है। ये टीचर हर दिन दो नए टीचर बनाए। हर जिले में आने वाले दो साल में करीब सात लाख सदस्य बनाना लक्ष्य है। हमारा मेन टारगेट हिंदुस्तान को करप्शन मुक्त करना है। हिंदुस्तान में सबसे बड़ा करप्शन है गरीबी। बाबा की धुनी सिर्फ देश के अमीरों के साथ रमती है। ऐसे में बाबा के सारे दावे खोखले लगते हैं। इससे पहले पिछले साल बाबा ने दावा किया था कि जो पार्टी क्रिमिनल्स को टिकिट देगी, उसके बहिष्कार का ऐलान करेंगे। फिर कहने लगे कि क्रिमिनल्स को टिकिट देने वाली पार्टियों में कुछ अच्छे लोग भी हैं। उनका समर्थन किया जाएगा। पार्टियों की ईमानदारी परखने के लिए वह चाहते हैं कि सभी पार्टियां स्विस बैंक में जमा ब्लैक मनी को वापस लाने के बारे में अपनी नीति और नीयत बताएं। इससे पूर्व बाबा के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर आगाह किया था कि अगर वे अपराधी, बेईमान, अनपढ़ और गैर-जिम्मेदार चरित्र के लोगों को अपना उम्मीदवार बनाएंगे, तो उस पार्टी का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा। साथ ही, कहा था कि अगर पत्र का उत्तर नहीं दिया गया, तो हम मान लेंगे कि वह पार्टी भ्रष्ट और आपराधिक उम्मीदवारों के पक्ष में है। जब उनसे पूछा गया कि बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बीएसपी अब तक कई क्रिमिनल बैकग्राउंड के लोगों को लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बना चुकी हैं। अब क्या आप इन पार्टियों का बहिष्कार नहीं करेंगे तो उनका जवाब था कि ऐसी पार्टियों में कुछ अच्छे लोग भी हैं। हम अच्छे लोगों का सपोर्ट करेंगे। हमारा विरोध गलत चरित्र से है। घर-परिवार में भी बुजुर्ग बच्चों को काम सौंप देते हैं, राजनीति में भी बुजुर्गों को युवाओं को जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए। जब 81 साल के बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी के बारे में उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि राजनीति में 40 फीसदी बुजुर्गों को रहना चाहिए, क्योंकि उनके पास अनुभव होता है और बाकी 60 फीसदी युवा होने चाहिए। क्या अभी हमारे पास ऐसे युवा नेता हैं, जिन्हें देश की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है, इस पर बाबा ने कहा कि अभी भारत के युवाओं में जोश है पर समझ विकसित होने की जरूरत है। उनमें गंभीरता होनी चाहिए। बिना किसी का नाम लिए योग गुरु ने कहा कि सिर्फ युवा होना ही काफी नहीं है। युवा होने के साथ चरित्रवान भी होना चाहिए। जिन्हें पार्टियां 'युवराज' घोषित कर रही हैं, आप पता करो कि वह कितने चरित्रवान हैं। बहरहाल, बाबा बोलते-बोलते जो न बोल जाएं, कम है।

3 comments:

tension point said...

मुर्खता पूर्ण लेख है आपका. मेरे विचार से जो लोग बाबा को रोज देख रहे हैं वो सचाई जानते हैं. ऐसी ही कोशिश कई लोग पहले भी कर चुके हैं, पर बाबा बढ़ते ही जा रहा है कोई कारण तो होगा. जो बाबा कर रहा है उसमे कुछ भी गलत नहीं है. इस बात को देश की जनता समझ रही है.

Udan Tashtari said...

जय हो!! अंत में सबकी मंजिल एक!!

संगीता पुरी said...

आगे आगे देखिए .. होता है क्‍या ??