भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों के लिए मां के पास प्रायः समय नहीं होता. बाल मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चे के सर्वागीण विकास के लिए थोड़ा सा वक्त अवश्य निकालना चाहिए. बहुत से माता-पिता समय न देकर उनकी हर मांग पूरी करने लगते है, जो गलत है. जिन बच्चों को आकर्षण का केंद्र बनाया जाता है, बहुमूल्य खिलौने व वस्त्र उपहार के रूप में दिये जाते है, मनचाहा करने की आजादी दी जाती है, वे यह चाहते है कि उनकी प्रत्येक इच्छा की पूर्ति होनी चाहिए और कोई बात नहीं टाली जानी चाहिए. हर बात मानने से उन्हे ऐसा प्रतीत होता है कि संपूर्ण संसार उनके कदमों में है. वास्तव में बिगड़े हुए बच्चे कभी खुश नहीं रह पाते और बड़े होकर असफल और कुंठित वयस्क के रूप में सामने आते है.
बिगड़ने के लक्षण
* बच्चा मनमानी करता है
* बात न मानने पर फैल जाता है
* नियमों का पालन नहीं करता है
* अत्यधिक व निरर्थक बातें करता है
* हर बात का विरोध करता है
* 'आवश्यकता' और 'इच्छा' में अंतर नहीं समझता
* सही निर्णय ले पाने में असमर्थ होता है
* विषम परिस्थितियों में आसानी से हार मान जाता है
* समय का सदुपयोग नहीं कर पाता है
* दूसरों के साथ मिल-जुलकर काम नहीं करना चाहता
* असंयमित व्यवहार करता है
* अपने कर्त्तव्य व उत्तरदायित्व नहीं समझता
सुशील व सभ्य कैसे बनाएं
* बच्चे को अपने खिलौने दूसरे बच्चों के साथ बांटना सिखाएं
* उसे घर के कार्यो में हाथ बंटाना और बड़ों की सहायता करना सिखाएं
* उसके अनापेक्षित व्यवहार को अनदेखा करें और उसके रोने, चिल्लाने, बेकार की जिद पर ध्यान न दें
* उसकी उम्र के अनुसार सीमाएं निर्धारित करे और उनका सख्ती से पालन कराएं
* गलत बातों को अस्वीकार करते हुए न घबराएं
* जिद छोड़ देने पर उसे प्यार करे। साथ ही उसके पिछले व्यवहार की चर्चा न करे
* उसका सही मार्गदर्शन करे और उसे पुस्तक, खिलौने आदि देकर समय का सदुपयोग करना सिखाएं
* उसकी हर इच्छा को पूरा करना आवश्यक नहीं. वह मनचाही पोशाक तो पहन सकता है, परंतु उसके सोने का समय आप निर्धारित कर सकती है
* उसे सहनशील बनाएं। आपका महत्वपूर्ण कार्य होने तक उसे प्रतीक्षा करना सिखाएं
* केवल विशेष अवसरों पर ही उपहार दें
* भाई-बहनों व अन्य बच्चों की आपस में तुलना न करे
* प्रारंभ से ही उसे बचत की आदत सिखाएं
* अपने बच्चे के लिए स्वयं आदर्श बनें. उससे वैसा व्यवहार करे जैसे व्यवहार की आप उससे अपेक्षा करते है
ध्यान दें
* बच्चा यदि पढ़ नहीं रहा है, तो यह न कहे कि तुम पढ़ोगे नहीं, तो स्कूल में सजा मिलेगी. इसके बजाय यह कहे कि तुम पढ़ना शुरू करो, जरूरत पड़ने पर मैं तुम्हारी सहायता करूंगी.
* ऐसा मत करो, मैं तुम्हे चॉकलेट दूंगी. इसके बजाय यह कहे कि तुम्हारे आज के अच्छे व्यवहार के लिए मैं तुम्हे चॉकलेट देती हूं
* बाजार में बच्चा यदि कोई खिलौना मांग रहा है, तो यह न कहे कि मैं अभी दिला दूंगी. इसके बजाय यह कहे कि मैं तुम्हे बाद में दिला दूंगी.
* ये तुमने क्या किया? मैं तुमसे बात नहीं करूंगी. इसके बजाय यह कहे कि तुम्हे अपने किये पर खेद होना चाहिए और कोशिश करो कि गलती न दोहराओ
Sunday, March 1, 2009
बेटू ये तुमने क्या किया?
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6 comments:
bilkul theek likha hai...bachchon ko samajhane ki jarurat hoti hai..jo shayad hum nahin kar paate..
बहुत अच्छा विषय लिया आपने। आपके सुझाव भी बहुत उपयोगी हैं।
बहुत अच्छे और सही विचार दिए हैं।
उपयोगी सुझाव, सभी ने बिल्कुल सही कहा!
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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
very well said...actually all these things are very necessary part of good parenting.
बच्चे ही भविष्य हैं , इसलिए इनका ध्यान देना होगा आपने अच्छी बातें बताई हैं।
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