Monday, October 27, 2008

शीबी jaisi कोई नहीं


तब उसकी उमर, यही कोई छह-सात साल रही होगी. उदकती-फुदकती. चहकती-चिचियाती. बात-बात पर हंसती, बात-बात पर रोती. टुहुक्का टपकाती. फिर गली बच्चियों या स्कूल की सहेलियों के साथ फुर्र हो जाती. तब वह आगरा के सेंट जांस कालेज में तीसरी या चौथी कक्षा पढ़ रही थी. मझोले वर्ग के बाप की बेटी. अपनी कचर-बचर चार-पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी और दुबली-पतली. चिमट्टी चेहरा, बड़े-बड़े दांत और तिपट्टी नाक. जूंजीवी बालों की लंबी सी चुटिया, जो उसके ऊधमों के कारण उसके टीचरों और मां-बाप के पीटने के काम आती थी.

शीबी जितना स्कूल में पिटती, उससे कहीं ज्यादा अपने मां-बाप से. सहेलियों से भी अक्सर नहीं बनती. पिट जाती या पीटकर भाग लेती. पूरा खंदारी इलाका जान चुका था कि शीबी है कितनी शैतान बच्ची. किसी एक सहेली के पीछे वह हाथ धोकर पड़ जाती कि तू सिर्फ मेरी सहेली. अगर शीबी उसे किसी और के साथ हंसते-बतियाते देख ले तो पीछे से धप्प से पीटकर भाग जाए.

शीबी के झोले में किताब-कापी कम, हीरो-हिरोइनों के फोटो ज्यादा होते. या बीड़ी-सिगरेट के खाली पैकेट या खाली माचिस या टूटी-फूटी गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियां या फटे-पुराने ताश के पत्ते. दरअसल शीबी को राह में पड़ी कोई भी चीज उठाकर अपने बैग में रख लेने लत थी. सनकी लत. अपनी इस लत के कारण भी वह कई बार घर-स्कूल में पिट चुकी थी लेकिन लत थी कि छूटने का नाम ही नहीं ले रही थी....और शीबी पिटती जा रही थी, पिटती जा रही थी.

एक दिन अचानक 14 साल बाद शीबी दिखी आरबीएस कालेज के चौराहे पर.....कुछ इस तरह, जैसा आप यहां ऊपर इस चित्र में देख रहे हैं. मैंने ठमक कर नजदीक पहुंच कर देखा, 14 साल बाद किसी बच्ची को देखकर पहचानना मुश्किल जो था. खैर वह शीबी ही थी. मैं भी चौका, वह भी.....
अरे शीबी तू?
अरे अंकल आप??
तू ने अपना सिर क्यों मुंड़ा रखा है?
अरे अंकल....वो मेरा शैतान बाप मर गया ना...
तो तुमने भी सिर मुंड़वा लिया?
क्या करती अंकल, चाहे वह बेचारा मुझे जितना भी मारता था, वह था तो मेरा बाप न. उसके मरने पर मुझे भी बड़ा दुख हुआ.
इसके बाद शीबी फिर दुम दबाकर भाग ली. उसे लगा होगा कि मुझे इस तरह देखकर अंकल अपनी बेटी यानी मेरे बचपन की सहेली से मेरे बारे में जाने क्या कह दें.
तो शीबी आज भी नहीं बदली थी.














1 comment:

manvinder bhimber said...

दीप मल्लिका दीपावली - आपके परिवारजनों, मित्रों, स्नेहीजनों व शुभ चिंतकों के लिये सुख, समृद्धि, शांति व धन-वैभव दायक हो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ इसी कामना के साथ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ दीपावली एवं नव वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं