Tuesday, September 16, 2008

नागा बाबा की डायरी


नागा बाबा वैसे तो जितना अभागा है, उतना ही मुंहफट भी, धड़ाम-धड़ाम, झमाझम बोलता है धांय-धांय लेकिन लिखता भी है उतना हीखाटी और खप्पर फाड़ भी। उसका शब्द संसार औघड़दानी है।तुकबंदियों की अजीबोगरीब दुनिया बनायी है उसने अपनी डायरीमें.........






तुर्सी-पत्रकारिता
कुर्सी-पत्रकारिता
मातमपुर्सी-पत्रकारिता।

जोक-तंत्र
ठोंक-तंत्र
लोक-तंत्र

सम-आलोचना
भ्रम-आलोचना
बम-आलोचना

हई-रचना
नयी-रचना
छई-रचना।

मूर्त-आदमी
पूर्त-आदमी
धूर्त-आदमी।

काम-लीला
राम-लीला
दाम-लीला।

अर्थात
राम-राज
दाम-राज
काम-राज।

अहा-भारत
ढहा-भारत
महा-भारत।

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