अली सरदार जाफरी
मां है रेशम के कारखाने में
बाप मसरूफ सूती मिल में है
कोख से मां की जब से निकला है
बच्चा खोली के काले दिल में है
जब यहाँ से निकल के जाएगा
कारखानों के काम आयेगा
अपने मजबूर पेट की खातिर
भूक सर्माये की बढ़ाएगा
हाथ सोने के फूल उगलेंगे
जिस्म चांदी का धन लुटाएगा
खिड़कियाँ होंगी बैंक की रोशन
खून इसका दिए जलायेगा
यह जो नन्हा है भोला भाला है
खूनीं सर्माये का निवाला है
पूछती है यह इसकी खामोशी
कोई मुझको बचाने वाला है!
Saturday, August 16, 2008
यह जो नन्हा है भोला भाला है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment