Saturday, August 9, 2008

इसका चिट्ठा, उसका चिट्ठा














मैं ब्लॉगर हूं
भट-नागर हूं
कलमकार हूं
कथाकार हूं
हीहीहीही

अगड़म-बगड़म मैं लिखता हूं
अखबारों में भी दिखता हूं
अहा-अहा मैं हुआ महान
नाचूं-गाऊं तोड़ूं तान
हीहीहीही

इसका चिट्ठा, उसका चिट्ठा
पढ़ते-पढ़ते हुआ पनिट्ठा
गीत-गौनई, कबाड़खाना
हुआ चवन्नी छाप जमाना
हीहीहीही

क्या करता लेखक बेचारा
जो मन आया, सो लिख मारा
कोई सिर मत चढ़े ठेंग से
पढ़े-पढ़े, मत पढ़े ठेंग से
हीहीहीही

जो मैं लिखूं, वही सुस्वाद
बाकी का लिक्खा बकवाद
कितना अच्छा लगता हूं मैं
अखबारों में छपता हूं मैं
हीहीहीही


7 comments:

Udan Tashtari said...

आपके साथ ही ही ही ही!! और क्या बोलें. :)

बालकिशन said...

इ का? हमरे बारे में सब कुछ इत्ता खुल्लम-खुल्ला छाप दिए हो जी.

Yunus Khan said...

हे हे हे हे :D

Anonymous said...

हीहीहीही !

Udan Tashtari said...

किस दिशा में जा रही है यह ही ही ही ही????

प्रवीण त्रिवेदी said...

हा हा हा
इतना खोल के छापा की कुछ बोलने को बचा ही नहीं /

प्रवीण त्रिवेदी said...

हा हा हा
इतना खोल के छापा की कुछ बोलने को बचा ही नहीं /