Sunday, December 27, 2009
एनडी तिवारी का सैक्स स्कैंडल!
तिवारी जी को आंध्र प्रदेश के न्यूज चैनल ने सैक्स मुद्रा में दिखाया। क्या वह फोटो सचमुच तिवारी जी की हैं? और भी ऐसे कौन-कौन से सैक्स स्कैंडल? कौन-कौन से राजनेता? राजनीति में सैक्स? वे महिलाएं कौन थीं......??????? सवाल दर सवाल.......भारतीय राजनीति का एक घिनौना कर्मकांड, घिनौना चेहरा............ पढ़िए......sansadji.com ......सांसदजी डॉट कॉम पर...............
Thursday, December 24, 2009
सारी बातें एक साथ, सारी जानकारियां एक साथ, कैसे?
क्या-क्या हुआ, पिछले दिनों, पिछले महीनों। ऐसी-ऐसी बातें देश-दुनिया के बारे में। विज्ञान से लेकर राजनीति तक, होलब्रुक से लेकर मेघायल के यूरेनियम तक, टाइटल से लेकर मुंडे तक, राजनाथ सिंह लेकर अमर सिंह तक, राहुल बजाज से लेकर चंद्रयान तक................ सारी बातें एक साथ, सारी जानकारियां एक साथ, कैसे? किस तरह?? जानने के लिए आज पढ़िए.....रोजाना पढ़िए www.sansadji.com..........सांसदजी डॉट कॉम............ भारतीय संसद सदस्यों की संसदीय गतिविधियों पर केंद्रित भारत का नम्बर-1 न्यूज पोर्टल www.sansadji.com
बिना चर्चा विधेयक पारित होना अनुचितः राहुल बजाज
होलब्रुक को भारत आने से नहीं रोका
मेघालय में बड़ी मात्रा में यूरेनियम मिला
सरकार न्यायाधीशों की जवाबदेही विधेयक लाएगी
टाइटलर पर मुकदमे की अनुमति माँगी
राज्यसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
मुंडे लोकसभा में भाजपा के उपनेता नियुक्त
राज्यसभा के नक्शेकदम पर लोकसभा
वंदे मातरम के उर्दू अनुवाद की जानकारी नही
विश्व बैंक देगा 2.96 अरब डॉलर का ऋण
संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि
संसद का तीस फीसदी समय हो जाता है बर्बाद
दूरसंचार क्षेत्र में 9815 करोड़ रूपए का एफडीआई
आपस में जुड़े थे भारत और अंटार्कटिका
चंद्रयान से जुड़ा अमेरिकी वैज्ञानिक गिरफ्तार
विदेशों में रहते हैं 2.5 करोड़ भारतीय
वर्ष 2009 में 59 बाघ मरे
बनारसी साड़ी का पेटेंट करवाने की माँग
अप्रत्यक्ष कर की वसूली में गिरावट
खेल विधेयक को सरकार ने लिया वापस
जब राज्यसभा में बेलगाम दौड़ी घड़ियां
राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव
लोकसभा से ज्यादा रास आती है राज्यसभा
जब लोकसभा में भी गूंज उठा रैंगिंग का मुद्दा
हज यात्रियों का विमान किराया बढ़ा
सीबीआई : 3 साल में 16 मामले वापस
पड़ोस से हो रहे दुष्प्रचार को रोकने की योजना
देश में दालों की उपज बहुत कम
सोलंकी और दवे निर्वाचित
हंसराज भारद्वाज का राज्यसभा से इस्तीफा
बिना चर्चा विधेयक पारित होना अनुचितः राहुल बजाज
होलब्रुक को भारत आने से नहीं रोका
मेघालय में बड़ी मात्रा में यूरेनियम मिला
सरकार न्यायाधीशों की जवाबदेही विधेयक लाएगी
टाइटलर पर मुकदमे की अनुमति माँगी
राज्यसभा की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
मुंडे लोकसभा में भाजपा के उपनेता नियुक्त
राज्यसभा के नक्शेकदम पर लोकसभा
वंदे मातरम के उर्दू अनुवाद की जानकारी नही
विश्व बैंक देगा 2.96 अरब डॉलर का ऋण
संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि
संसद का तीस फीसदी समय हो जाता है बर्बाद
दूरसंचार क्षेत्र में 9815 करोड़ रूपए का एफडीआई
आपस में जुड़े थे भारत और अंटार्कटिका
चंद्रयान से जुड़ा अमेरिकी वैज्ञानिक गिरफ्तार
विदेशों में रहते हैं 2.5 करोड़ भारतीय
वर्ष 2009 में 59 बाघ मरे
बनारसी साड़ी का पेटेंट करवाने की माँग
अप्रत्यक्ष कर की वसूली में गिरावट
खेल विधेयक को सरकार ने लिया वापस
जब राज्यसभा में बेलगाम दौड़ी घड़ियां
राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव
लोकसभा से ज्यादा रास आती है राज्यसभा
जब लोकसभा में भी गूंज उठा रैंगिंग का मुद्दा
हज यात्रियों का विमान किराया बढ़ा
सीबीआई : 3 साल में 16 मामले वापस
पड़ोस से हो रहे दुष्प्रचार को रोकने की योजना
देश में दालों की उपज बहुत कम
सोलंकी और दवे निर्वाचित
हंसराज भारद्वाज का राज्यसभा से इस्तीफा
इतने खफा कैसे हो गए चंद्रशेखर राव!
चंद्रशेखर राव कभी आमरण अनशन पर बैठे थे इस मांग के साथ कि अलग तेलंगाना राज्य बने। आंध्र प्रदेश का बंटवारा हो। उस अनशन की कामयाबी के दमामे बजे, जब केंद्र सरकार ने अलग राज्य के गठन के संकेत दे दिए। इससे आंध्रा में ऐसा राजनीतिक भूचाल आया कि केंद्र की आंखें फटी की फटी रह गईं। तब समझ में आया कि गलती हो गई। रस्साकशी बढ़ती गई। केंद्र सरकार मुंह बचाती डोलने लगी। अब परिदृश्य एकदम अलग होता जा रहा है। चंद्रशेखर राव खफा हैं। क्यों खफा हैं, क्यों दिया लोकसभा से इस्तीफा............पढ़िए सांसदजी डॉट कॉम......www.sansadji.com पर
Wednesday, December 23, 2009
Monday, December 21, 2009
सांसदजी डॉट कॉम पर आज
क्यों गए आडवाणी? क्यों आईं सुषमा स्वराज? क्यों गए राजनाथ? क्यों आए गडकरी? देश के सबसे बड़े विपक्ष के भीतर की राजनीति हलचल नई सुर्खियां अख्तियार करने लगी है। पार्टी नई उम्मीदों के पंख लगाकर उड़ान भरना चाहती है। सविस्तार पढ़ें ....www.sansadji.com पर.
Saturday, December 19, 2009
आज सांसदजी डॉट कॉम पर पढ़िये रंगनाथ
धार्मिक और भाषायी अल्पसंख्यकों की स्थिति से संबद्ध न्यायधीश रंगनाथ मिश्र कमेटी की रिपोर्ट 18 दिसम्बर 09 को संसद में पेश कर दी गई। उल्लेखनीय है कि रंगनाथ मिश्र आयोग ने शिक्षा में मुस्लिम समुदाय को शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की है। रिपोर्ट में मुस्लिम और इसाई समुदाय को अनुसूचित जाति में शामिल करने की बात कही गई है यानी रिपोर्ट में हिन्दू दलितों की तरह मुसलमान और ईसाई दलितों को भी अनुसूचित जाति की श्रेणी में शामिल कर वही सुविधाएं देने की सिफारिश की गई है। जस्टिस मिश्र की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय धार्मिक एवं भाषायी अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट प्रधानमंत्री को 22 मई 07 को सौंपी गई थी। आरोप लगाए जा रहे थे कि वोट बैंक की राजनीति के तहत सरकार दो साल बीत जाने के बावजूद रिपोर्ट पेश करने से बच रही है।
अंदेशा है कि आयोग की रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 15 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश पर अमल से केंद्र को बहुसंख्यक समुदाय का गुस्सा झेलना पड़ सकता है। इसी वजह से कांग्रेस इस रिपोर्ट को पेश करने से अब तक हिचकती रही थी। आधिकारिक रूप से पार्टी का कोई भी नेता या केंद्रीय मंत्री इस पर कुछ कहने को तैयार नहीं है, लेकिन निजी तौर पर कुछ ने ऐसे आयोग की प्रासंगिकता पर ही सवाल उठा दिया। इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा था कि वह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की आरक्षण नीति को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। सच्चर के सहारे अल्पसंख्यकों का समर्थन पाने में सफल रही सरकार आखिर रंगनाथ मिश्र रिपोर्ट को लेकर अल्पसंख्यकों और पिछड़ों-दलितों के बीच उलझ गई है। रिपोर्ट की सिफारिशें मानने पर सरकार को अल्पसंख्यकों के लिए नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण का दरवाजा खोलना होगा। यह अन्य वर्गो को मिल रहे आरक्षण के मौजूदा कोटे के तहत ही हो सकता है क्योंकि आरक्षण को पचास फीसदी पर सीमित रखने का सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है। रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा और नौकरियों में जहां 15 प्रतिशत सीटें निश्चित करने की सिफारिश है, वहीं आरक्षण के अंदर आरक्षण की भी बात है। उससे भी बड़ी उलझन 1950 के उस राजकीय आदेश को खत्म करने की सिफारिश है जिसमें दलितों को हिंदू धर्म से जोड़कर देखा गया है।
आरक्षण की सीमा कोर्ट ने सुनिश्चित कर दी है। यह पचास प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता है। लिहाजा अन्य पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण में ही अल्पसंख्यकों के लिए राह तलाशी जा सकती है। सरकार के लिए यह बड़ी परेशानी है। दरअसल ओबीसी को यह समझाना मुश्किल होगा कि उनके लिए आरक्षित स्थानों में कुछ कटौती की जाए। वैसे भी देश में ओबीसी की संख्या काफी है और उन्हें कोई नाराज नहीं करना चाहेगा। यदि ओबीसी मान भी जाएं तो इसका असर महिला आरक्षण पर पड़ेगा। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल जैसे कई दल महिला आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग करते रहे हैं। ओबीसी के कोटे में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण होते ही इन दलों का दबाव बढ़ेगा। जबकि कांग्रेस और भाजपा महिला आरक्षण के अंदर आरक्षण नहीं चाहती हैं। आयोग का तीसरा सुझाव अल्पसंख्यकों के लिए राजनीतिक रूप से काफी अहम है। दरअसल, 1950 के राजकीय आदेश में दलितों को सिर्फ हिंदू धर्म से जोड़कर देखा गया है। इसे वापस लेने का सुझाव है। इसके वापस होते ही अल्पसंख्यक दलितों के लिए न सिर्फ शिक्षा और नौकरियों में बल्कि संसद में आरक्षित सीट से जाने की भी राह खुल जाएगी। जाहिर है कि कुछ स्तर पर इसका भी विरोध होगा। सरकार को इन्हीं मुद्दों पर मशक्कत करनी पड़ सकती है। पिछले दिनों रिपोर्ट संसद में पेश न करने को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा भी हुआ था। सांसदों का आरोप था कि मीडिया में रिपोर्ट लीक हो जाने के बाद उसे संसद में पेश नहीं किया जा रहा है।
अंदेशा है कि आयोग की रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 15 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश पर अमल से केंद्र को बहुसंख्यक समुदाय का गुस्सा झेलना पड़ सकता है। इसी वजह से कांग्रेस इस रिपोर्ट को पेश करने से अब तक हिचकती रही थी। आधिकारिक रूप से पार्टी का कोई भी नेता या केंद्रीय मंत्री इस पर कुछ कहने को तैयार नहीं है, लेकिन निजी तौर पर कुछ ने ऐसे आयोग की प्रासंगिकता पर ही सवाल उठा दिया। इस साल लोकसभा चुनाव के दौरान अपने घोषणा पत्र में कांग्रेस ने कहा था कि वह केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु की आरक्षण नीति को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। सच्चर के सहारे अल्पसंख्यकों का समर्थन पाने में सफल रही सरकार आखिर रंगनाथ मिश्र रिपोर्ट को लेकर अल्पसंख्यकों और पिछड़ों-दलितों के बीच उलझ गई है। रिपोर्ट की सिफारिशें मानने पर सरकार को अल्पसंख्यकों के लिए नौकरियों व शिक्षा में आरक्षण का दरवाजा खोलना होगा। यह अन्य वर्गो को मिल रहे आरक्षण के मौजूदा कोटे के तहत ही हो सकता है क्योंकि आरक्षण को पचास फीसदी पर सीमित रखने का सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट आदेश है। रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के लिए शिक्षा और नौकरियों में जहां 15 प्रतिशत सीटें निश्चित करने की सिफारिश है, वहीं आरक्षण के अंदर आरक्षण की भी बात है। उससे भी बड़ी उलझन 1950 के उस राजकीय आदेश को खत्म करने की सिफारिश है जिसमें दलितों को हिंदू धर्म से जोड़कर देखा गया है।
आरक्षण की सीमा कोर्ट ने सुनिश्चित कर दी है। यह पचास प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता है। लिहाजा अन्य पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण में ही अल्पसंख्यकों के लिए राह तलाशी जा सकती है। सरकार के लिए यह बड़ी परेशानी है। दरअसल ओबीसी को यह समझाना मुश्किल होगा कि उनके लिए आरक्षित स्थानों में कुछ कटौती की जाए। वैसे भी देश में ओबीसी की संख्या काफी है और उन्हें कोई नाराज नहीं करना चाहेगा। यदि ओबीसी मान भी जाएं तो इसका असर महिला आरक्षण पर पड़ेगा। गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल जैसे कई दल महिला आरक्षण के अंदर आरक्षण की मांग करते रहे हैं। ओबीसी के कोटे में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण होते ही इन दलों का दबाव बढ़ेगा। जबकि कांग्रेस और भाजपा महिला आरक्षण के अंदर आरक्षण नहीं चाहती हैं। आयोग का तीसरा सुझाव अल्पसंख्यकों के लिए राजनीतिक रूप से काफी अहम है। दरअसल, 1950 के राजकीय आदेश में दलितों को सिर्फ हिंदू धर्म से जोड़कर देखा गया है। इसे वापस लेने का सुझाव है। इसके वापस होते ही अल्पसंख्यक दलितों के लिए न सिर्फ शिक्षा और नौकरियों में बल्कि संसद में आरक्षित सीट से जाने की भी राह खुल जाएगी। जाहिर है कि कुछ स्तर पर इसका भी विरोध होगा। सरकार को इन्हीं मुद्दों पर मशक्कत करनी पड़ सकती है। पिछले दिनों रिपोर्ट संसद में पेश न करने को लेकर राज्यसभा में जमकर हंगामा भी हुआ था। सांसदों का आरोप था कि मीडिया में रिपोर्ट लीक हो जाने के बाद उसे संसद में पेश नहीं किया जा रहा है।
Wednesday, December 16, 2009
अरे अब ऐसी कविता लिखो/ रघुवीर सहाय
अरे अब ऐसी कविता लिखो
कि जिसमें छंद घूमकर आय
घुमड़ता जाय देह में दर्द
कहीं पर एक बार ठहराय
कि जिसमें एक प्रतिज्ञा करूं
वही दो बार शब्द बन जाय
बताऊं बार-बार वह अर्थ
न भाषा अपने को दोहराय
अरे अब ऐसी कविता लिखो
कि कोई मूड़ नहीं मटकाय
न कोई पुलक-पुलक रह जाय
न कोई बेमतलब अकुलाय
छंद से जोड़ो अपना आप
कि कवि की व्यथा हृदय सह जाय
थामकर हंसना-रोना आज
उदासी होनी की कह जाय ।
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